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नई दिल्ली: संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने आज (मंगलवार) पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया और कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान द्वारा लगातार समर्थन दिए जाने पर एक कठोर डिमार्शे जारी किया। इसने घाटी में अशांति को बढ़ावा दिया है। विदेश सचिव एस जयशंकर ने बासित को अपने साउथ ब्लॉक कार्यालय में बुलाया और मुद्दे पर जोरदार विरोध दर्ज कराया क्योंकि उन्होंने लश्कर-ए-तय्यबा के आतंकवादी और पाकिस्तानी नागरिक बहादुर अली का विशेष तौर पर उल्लेख किया, जिसे हाल में एक मुठभेड़ के दौरान उत्तर कश्मीर से पकड़ा गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, ‘‘जयशंकर ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त को बुलाया और पाकिस्तान से लगातार चल रहे सीमा पार आतंकवाद पर सख्त डिमार्शे जारी किया।’’ बासित को जारी डिमार्शे के अनुसार पाकिस्तान के जिया बग्गा गांव में जन्मे अली को 25 जुलाई को भारतीय अधिकारियों ने हथियारों (एके 47 राइफल, जिंदा कारतूस, ग्रेनेड, ग्रेनेड लांचर आदि) के साथ गिरफ्तार किया था। साथ ही उसके पास से अत्याधुनिक संचार उपकरण और अन्य सामग्रियां जब्त की गई थीं। डिमार्शे में कहा गया है, 'बहादुर अली ने हमारे अधिकारियों के सामने कबूल किया कि लश्कर-ए-तैयबा के शिविरों में ट्रेनिंग के बाद वह भारत में घुसा। वह उसके बाद लश्कर-ए-तैयबा के 'ऑपरेशंस रूम' के संपर्क में था। उसे भारतीय सुरक्षाकर्मियों पर हमले और भारत में अन्य आतंकवादी हमले करने का निर्देश मिल रहा था।

नई दिल्ली : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संवैधानिक संशोधन विधेयक का पारित होना देश के लिए अच्छा कदम है। गांधी ने जीएसटी के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त करने वाले 122वें संवैधानिक संशोधन विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे लगता है कि यह देश के लिए अच्छा कदम है।’ उन्होंने आगे कहा कि जीएसटी को लेकर सरकार एवं कांग्रेस के बीच मतभेद कम हुए हैं लेकिन जीएसटी की दर की अधिकतम सीमा 18 प्रतिशत रखने संबंधी मामले को लेकर चिंता है क्योंकि यह मुद्रास्फीति के विषय से जुड़ा है। गांधी ने कहा, ‘हमारे बीच पहले जीएसटी को लेकर तीन बड़े मतभेद थे। हमने इन मतभेदों को दूर करने पर काम किया। एक मामला 18 प्रतिशत की सीमा का है और हमारा मानना है कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण मामला है क्योंकि हमें चिंता है कि कोई सीमा नहीं होने से मुद्रस्फीति बढ़ सकती है। इसलिए अब इस मामले पर दिसंबर में चर्चा होगी।’ सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में सीजीएसटी एवं आईजीएसटी विधेयक लेकर आएगी ताकि विभिन्न परोक्ष करों को समाहित करने वाली नई कर प्रणाली लागू की जा सके।

नई दिल्‍ली: दलितों पर हमले के मुद्दे की गर्माहट सोमवार को लोकसभा में महसूस की गई और कांग्रेस सदस्यों ने प्रधानमंत्री से सदन में बयान देने की मांग करते हुए न केवल अध्यक्ष के आसन के समीप आकर नारेबाजी की बल्कि बाद में वे सदन से वाकआउट भी कर गए। कांग्रेस सदस्यों ने प्रधानमंत्री से मांग की कि भाषण देने की बजाए कार्रवाई करें। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सार्वजनिक बयान पर कांग्रेस सांसदों ने आज सदन में नारेबाजी करते हुए कहा कि ‘घड़ियाली आंसू नहीं बहाएं, भाषण देने की बजाए कार्रवाई करें। शून्यकाल शुरू होने के बाद सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे इस विषय पर कुछ बोलना चाहते थे लेकिन अध्यक्ष ने तत्काल इसकी अनुमति नहीं दी। इस पर कांग्रेस सदस्य नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि वह मना नहीं कर रही है। शून्यकाल की सूची समाप्त होने के बाद ही वह सदस्य को बोलने का मौका देंगी क्योंकि उन्होंने नोटिस नहीं दिया है। उन्होंने बार बार सदस्यों से अपने स्थान पर जाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने मना नहीं किया है लेकिन कई छोटे छोटे दल हैं जो अपनी बात रखना चाहते हैं और उनके साथ ऐसा करना अन्याय होगा। सदन में गृह मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार को खडगे की ओर कुछ संकेत करते देखा गया। अध्यक्ष की ओर से तत्काल खडगे को बात रखने की अनुमति नहीं दिये जाने पर कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर के लोगों के साथ वार्ता प्रक्रिया जल्द शुरू करने पर जोर देते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि अशांति से मिले मौके का इस्तेमाल लोगों के ‘दिल जीतने’ और उनकी समस्याएं सुलझाने के लिए करें, जैसा अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। महबूबा ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ दो घंटे चली बैठक में घाटी की स्थिति पर चर्चा की जिसके काफी बड़े हिस्से में एक महीने से अधिक समय से कर्फ्यू है। महबूबा ने बैठक से बाहर निकलते हुए संवाददाताओं से कहा कि मोदी सरकार के पास भारी जनादेश है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मैं उम्मीद करती हूं कि प्रधानमंत्री इस मौके का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ उनकी समस्याओं के समाधान के लिए वार्ता शुरू करने के लिए करेंगे। लोगों का दिल जीतने की उसी पहल की जरूरत है जो कि (अटल बिहारी) वाजपेयी जी के कार्यकाल में की गई थी।’ बैठक सिंह द्वारा राज्य की स्थिति की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई थी और महबूबा को बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया था। इस बैठक में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित कुमार डोभाल तथा गृह, रक्षा और वित्त मंत्रालयों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी बुरहान वानी के गत आठ जुलाई को मुठभेड़ में मारे जाने के बाद घाटी में सामान्य स्थिति बहाल करने में मुश्किलों का सामना कर रही महबूबा ने कहा कि कश्मीर के लोगों के साथ वार्ता प्रक्रिया स्थिति को सुधारने में मदद कर सकती है।उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ वार्ता शुरू करने के लिए लोगों के घावों पर मरहम लगाने की जरूरत है। ये हमारे अपने लोग हैं। यदि जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ वार्ता प्रक्रिया घाटी में स्थिति में सुधार ला सकती है तो यह हमें करना चाहिए।’

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