ताज़ा खबरें
केजरीवाल के खिलाफ कार्यवाही पर रोक से दिल्ली हाईकोर्ट का इंकार
गौतम अडानी पर रिश्वत देने, धोखाधड़ी के आरोप, यूएस में मामला दर्ज

(आशु सक्सेना) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए जहां बीता साल चुनौतियों भरा रहा, वहीं साल 2018 की चुनावी शुरूआत के नतीजों ने भी 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तस्वीर काफी हद तक साफ कर दी है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद यह साफ हो जाएगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ राष्ट्रीय स्तर पर क्या रहने वाला है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सूबे की 28 सीट में से 18 पर कब्जा किया था। इस लिहाज से विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलना चाहिए। लेकिन अभी तक के चुनावी सर्वे भाजपा के पक्ष में ऐसा कोई संकेत नही दे रहे हैं।

दक्षिण में कर्नाटक एकमात्र सूबा है, जहां भाजपा का जनाधार है। इस सूबे में भाजपा को सत्तावापसी के लिए संघर्ष कर रही है। पाटी के स्टार प्रचारक पीएम मोदी और पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने लाव लश्कर (केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री) के साथ इन दिनों कर्नाटक में डेरा डाले हुए हैं। इस सूबे में कांग्रेस और जनतादल सेक्यूलर और भाजपा के बीच तिकोना मुकाबला है। पार्टी के स्टार प्रचारक पीएम मोदी ने जनतादल सेक्यूलर प्रमुख एवं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पहले तारीफ की और फिर अगले की दिन उनकी पार्टी और कांग्रेस के बीच मिलीभगत की बात कह कर अपनी आशंका जाहिर की दी कि बहुमत हासिल नही करने की स्थिति में सत्ता वापसी की संभव नही है।

(रवीश कुमार) पहाड़ों में जितनी बर्फ नहीं गिरी है उससे कहीं ज़्यादा दिल्ली में सत्ता के गलियारों में बर्फ गिर रही है। दो दिनों से दिल्ली में बर्फ की सिल्ली गिर रही है मगर कोई इसके बारे में बात नहीं करना चाहता। एक ऐसी रिपोर्ट आई है जिसे लेकर पढ़ने वालों की सांसें जम जाती हैं, जो भी पढ़ता है अपना फोन बंद कर देता है कि कहीं कोई इस पर प्रतिक्रिया न मांग ले।

पत्रकार इस रिपोर्ट को छोड़कर बाकी सारी रिपोर्ट धुंआधार तरीके से ट्वीट कर रहे हैं ताकि बर्फ की इस सिल्ली पर जितनी जल्दी हो सके, धूल जम जाए। बहुत मुश्किल से निरंजन टाकले नाम के एक रिपोर्टर ने एक जज की लाश पर जमी धूल की परत हटा कर ये रिपोर्ट छापी है, बहुत आसानी से उस रिपोर्ट को यह दिल्ली बर्फ की सिल्ली के नीचे दबा देना चाहती है। मगर यह रिपोर्ट धीरे-धीरे व्हाट्स अप के तहखानों में बिना बताए एक जगह से दूसरी जगह पहुंच रही है।

अंग्रेज़ी में छपी इस लंबी रिपोर्ट को पढ़ते ही पाठक डर के ऐसे अंधेरे कुएं में ख़ुद को गिरता हुआ महसूस करने लगता है, जहां उसकी चीख भी उसके पास नहीं पहुंच पाती है। हमने कई लोगों से प्रतिक्रिया के लिए पूछा, दोबारा जब फोन किया तो फोन बंद हो गया। सत्ता का डर सबको निहत्था कर देता है।

(आशु सक्सेना): गुजरात में अभी मतदान और मतगणना होना बाकी है।लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव का एजेंड़ा भी तय कर दिया। भाजपा यह मानकर चल रही है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में उसकी जीत तय है और मोदी एक बार फिर सत्ता की बागड़ोर संभाल लेंगे।

उसके बाद पार्टी मोदी को भावी प्रधानमंत्री का दावेदार बनाकर लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान छेड़ देगी और मोदी के चेहरे पर 2014के लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल कर लेगी। भाजपा की इस सोच को मानसिक दिवालियापन ही कहा जा सकता है।

भाजपा के चिंतकों ने पार्टी के चुनावी इतिहास पर नजर डालने की भी जहमत नही उठार्इ और मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का ख्याब देखने लगे । लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने गुजरात की जमीन पर पैर रखते ही मोदी को प्रधानमंत्री का सबसे बेहतर उम्मीदवार घोषित कर दिया। इतना ही नही अब भाजपा ने गुजरात में मोदी के उतराधिकारी की खोज भी शुरू कर दी है।

भाजपा 1989में लोकसभा की 89सीट जीतने में सफल रही थी। उस वक्त कांग्रेस विरोधी लहर थी और भाजपा उस चुनाव में जनतादल और वामपंथी दलों के साथ चुनावी तालमेल के तहत मैदान में कूदी थी।

(आशु सक्सेना) गुजरात विधानसभा चुनाव नतीजे 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजों को परिलक्षित करेंगे। इस वक्त गुजरात की सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 115 सीट हासिल हुईं थी। सूबे का यह चुनाव मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया था। इस चुनाव में भी भाजपा अपने पिछले आंकडे़ को बरकरार नही रख सकी थी।

उस चुनाव में भी प्रमुख विपक्ष कांग्रेस थी, जिसने 57 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा सूबे का यह चुनाव भी पार्टी के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ रही है। जबकि सामने इस बार भी मुख्य रूप से कांग्रेस ही है।

यूं तो आम आदमी पार्टी समेत कुछ क्षेत्रीय पार्टियां मैदान में हैं। मोटे तौर पर अभी तक जो खिचड़ी पकती नज़र आ रही है, उसमें भाजपा विरोधी अधिकांश राजनीतिक दलों की कांग्रेस के साथ गोलबंदी रहेगी। लिहाजा धर्म निरपेक्ष वोट कटने की संभावना कम होगी।

गुजरात में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले एक महीने में पांच बार सूबे का दौरा कर चुके हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने प्रदेशवासियों को करोड़ों रूपयों की बड़ी बड़ी परियोजनाओं के रूप में तोहफे दिये हैं। इस दौरान जनसभाओं में पीएम मोदी ने कांग्रेस को जमकर कौसा है। उन्होंने कांग्रेस को विकास में रूकावट बताया है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख