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संसद का बजटसत्र रहेगा हंगामेदार, महाकुंभ भगदड़ का मुद्दा भी गूंजेगा

आशु सक्सेना तीन साल पहले देश में भ्रष्टाचार मुक्त वैकल्पिक राजनीति के संकल्प के साथ अस्तित्व में आयी आम आदमी पार्टी, दिल्ली की सत्ता हासिल करने के बाद ही व्यक्तिगत टकराव की शिकार हो गई है। पिछले दिनों पार्टी में हुई उटापटक के चलते राष्ट्रीय स्तर पर उसके तीव्र विस्तार की संभावनाओं पर सवालिया निशान लग गया है। देश में तेजी से बदले राजनीतिक परिदृश्य में राष्ट्रीय राजनीति से विलुप्त हो चुकी कांग्रेस एकबार फिर अपने खोये हुए जनााधार को वापस हासिल करती नजर आ रही है। केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आम लोगों की बढती नाराजगी का राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को सबसे ज्यादा राजनीतिक लाभ मिलना लगभग तय है। केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा अपने राजनीतिक जीवन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन एक साल पहले लोकसभा चुनाव में कर चुुकी है। इस दौरान पार्टी के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता लगातार घट रही है। वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी छुट्टी से लौटने बाद नये तेवर में नजर आ रहे हैं।

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