ताज़ा खबरें
संभल हिंसा: सपा सांसद बर्क और पार्टी विधायक के बेटे पर मुकदमा
संसद में अडानी के मुद्दे पर हंगामा, राज्यसभा पूरे दिन के लिए स्थगित
संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान भड़की हिंसा:अब तक 4 लोगों की मौत
निज्जर हत्याकांड: कनाडा में चार भारतीयों के खिलाफ सीधे होगा ट्रायल

नई दिल्ली: म्यूचुअल फंड पर तरलता दबाव को कम करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज म्यूचुअल फंड के लिए 50,000 करोड़ रुपये की विशेष लिक्विडिटी सुविधा की घोषणा की है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह सतर्क है और कोरोना वायरस के आर्थिक प्रभाव को कम करने और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा। आरबीआई फिक्स रेपो रेट पर 90 दिन की अवधि का एक रेपो ऑपरेशन शुरू करेगा। इस सुविधा के तहत, आरबीआई कम दरों पर बैंकों को धन मुहैया कराएगा और बैंक विशेष रूप से म्यूचुअल फंडों की तरलता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए धन का उपयोग कर सकेंगे।

आरबीआई ने कहा कि एसएलएफ-एमएफ ऑन-टॉप और ओपन-एंडेड है और बैंक सोमवार से शुक्रवार तक किसी भी दिन वित्त हासिल करने के लिए अपनी बोली जमा कर सकते हैं। यह सुविधा 27 अप्रैल से शुरू हो चुकी है और 11 मई, 2020 तक रहेगी। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह भारत की आठवीं सबसे बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनी फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड ने स्वेच्छा से अपनी छह ऋण योजनाएं बंद करने का फैसला लिया।

हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बा राव ने रविवार को कहा कि लॉकडाउन लंबा खिंचने से लाखों भारतीय हाशिये पर चले जाएंगे। हालांकि, उन्होंने कोरोना वायरस महामारी खत्म होने के बाद अर्थव्यवस्था में तेज वापसी की उम्मीद जताते हुए कहा कि भारत में वापसी की गति अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेज रह सकती है। वह मंथन फाउंडेशन की तरफ से आयोजित एक वेबिनार में कोरोना वायरस के बाद की स्थिति पर किए गए सम्मेलन में बोल रहे थे। इसमें आरबीआई की पूर्व डिप्टी गवर्नर उषा थोरट ने भी हिस्सा लिया।

सुब्बा राव ने इस मौके पर कहा, "चूंकि अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि इस वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था में वास्तव में गिरावट आ जाएगी या फिर वृद्धि में काफी गिरावट आएगी। हमें याद रखना चाहिए कि इस संकट के दो महीने पहले भी हमारी वृद्धि दर कम हो रही थी। अब यह (वृद्धि दर) पूरी तरह से ठहर गई है।" राव ने कहा कि पिछले साल वृद्धि दर 5 फीसदी रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा, ''जरा सोचिए, पिछले साल 5 फीसदी की वृद्धि और इस साल सीधे गिरावट या शून्य वृद्धि की ओर हम जा रहे हैं, इस हिसाब से सीधे पांच फीसदी की गिरावट है।''

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए फंड का इंतजाम करने के उद्देश्य से टैक्स बढ़ाने और कोरोना सेस लगाने के सुझाव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। वित्त मंत्रालय ने आईआरएस एसोसिएशन की फोर्स रिपोर्ट को अपरिपक्व बताया है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि यह कुछ अधिकारियों का गैर जिम्मेदाराना रवैया है। सीबीडीटी से लिखित सफाई मांगने को कहा गया। ये भी साफ किया गया है कि न तो ऐसी रिपोर्ट तैयार करने को अधिकारियों को कहा गया था न ही ये उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।

कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए फंड का इंतजाम करने के उद्देश्य से कुछ इनकम टैक्स ऑफिसर्स ने सलाह दी है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सुपर रिच लोगों से अधिक टैक्स वसूल करे। साथ ही 10 लाख से अधिक आमदनी वालों पर कोविड रिलीफ सेस लगाने का सुझाव दिया गया है। सलाह के मुताबिक, एक वित्त वर्ष में 1 करोड़ रुपए से अधिक आमदनी वालों से 30 फीसदी की बजाय 40 फीसदी टैक्स वसूल किया जाए। वैकल्पिक रूप से 5 करोड़ रुपए से अधिक संपत्ति वालों पर वेल्थ टैक्स लगाने का भी सुझाव दिया गया है।

वाशिंगटन: कोरोना वायरस से एक तरफ जहां लगातार लोगों की मौत हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ इसके चलते दुनियाभर के कच्चे तेल उत्पादकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। कोराना वायरस महामारी के असर से कच्चे तेल का अंतरराष्ट्रीय बाजार गंहरे संकट में पहंच गया है। महामारी के चलते आर्थिक गतिविधियां ठप होने से लगातर कम होती मांग का असर कच्चे तेल के दाम पर पड़ रहा है। अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) ने सोमवार को अब तक के इतिहास में अपना सबसे बुरा दिन देखा।

अंतरराष्ट्रीय बजार में अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चा तेल का भाव सोमवार को गिरकर 1 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे पहुंच गया। इससे पहले दिन में बाजार खुलने पर भाव यह 10.34 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया था जो 1986 के बाद इसका सबसे निचला स्तर था।कोरोना वायरस संकट की वजह से दुनियाभर में घटी तेल की मांग के चलते इसकी कीमतें लगातार गिर रही हैं।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख