नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए फंड का इंतजाम करने के उद्देश्य से टैक्स बढ़ाने और कोरोना सेस लगाने के सुझाव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। वित्त मंत्रालय ने आईआरएस एसोसिएशन की फोर्स रिपोर्ट को अपरिपक्व बताया है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि यह कुछ अधिकारियों का गैर जिम्मेदाराना रवैया है। सीबीडीटी से लिखित सफाई मांगने को कहा गया। ये भी साफ किया गया है कि न तो ऐसी रिपोर्ट तैयार करने को अधिकारियों को कहा गया था न ही ये उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।
कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए फंड का इंतजाम करने के उद्देश्य से कुछ इनकम टैक्स ऑफिसर्स ने सलाह दी है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सुपर रिच लोगों से अधिक टैक्स वसूल करे। साथ ही 10 लाख से अधिक आमदनी वालों पर कोविड रिलीफ सेस लगाने का सुझाव दिया गया है। सलाह के मुताबिक, एक वित्त वर्ष में 1 करोड़ रुपए से अधिक आमदनी वालों से 30 फीसदी की बजाय 40 फीसदी टैक्स वसूल किया जाए। वैकल्पिक रूप से 5 करोड़ रुपए से अधिक संपत्ति वालों पर वेल्थ टैक्स लगाने का भी सुझाव दिया गया है।
सुझाव में कहा गया है, ''अधिक आमदनी वाले अधिकतर लोग घर से काम कर रहे हैं और धनवान इस अस्थायी झटके का सामना कर सकते हैं। अधिक टैक्स एक निश्चित समय के लिए, 3-6 महीने के लिए वसूल किया जा सकता है।''
फोर्स 1.0 (कोविड-19 महामारी के लिए राजकोषीय विकल्प और प्रतिक्रिया) शीर्षक से इस सिफारिश को 50 आईआरएस ऑफिसर्स ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) को भेजा है। पेपर में यह भी सलाह दी गई है कि कोविड रिलीफ के लिए एक बार 4 फीसदी सेस (जिसे कोविड रिलीफ सेस कहा जा सकता है) लगाया जा सकता है। अधिकारियों ने कहा है कि इन उपायों से 15 से 18 हजार करोड़ रुपए तक का फंड हासिल हो सकता है। सेस केवल उन लोगों पर लगाया जाए जिनकी सालाना आमदनी 10 लाख रुपये से अधिक है।