गुड़गांव: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों से निवेश आकर्षित करने के लिए नीतिगत सुधारों को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने सोमवार को कहा कि निवेशक नीतिगत निर्णय के मामले में अक्षमता को पसंद नहीं करते और वे उस जगह जाना पसंद करते हैं जहां व्यापारिक और राजनीतिक परिवेश अनुकूल होता है। उन्होंने कहा, ‘ भारत में सहकारी संघवाद के अलावा अब एक प्रतिस्पर्धी संघवाद की स्थिति बन गई है। भविष्य प्रतिस्पर्धी संघवाद का होगा क्योंकि यह केंद्र-राज्य संबंध का मामला नहीं है बल्कि निवेश आकर्षित करने को लेकर राज्यों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा का विषय है।’ यहां ‘हैपनिंग हरियाणा’ वैश्विक निवेशक सम्मेलन में देश विदेश से जुटे निवेशकों को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि भारत में अब इस तरह के निवेशक सम्मेलन आयोजित करने वाले राज्यों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ रही है।
उन्होंने कहा, ‘जो राज्य सुधार नहीं कर रहे हैं, उस राज्य के लोग नुकसान में हैं और जो निवेशकों को अधिक अनुकूल आर्थिक, व्यापारिक एवं राजनीतिक माहौल उपलब्ध कराने की स्थिति में हैं, वहां के लोगों को फायदा होगा।’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘सुधार कीजिए वरना मिट जाइएगा, यह बात आज जितनी वास्तविक दिखती है, उतना कभी नहीं थी।’ विनिर्माण तथा रीयल एस्टेट क्षेत्रों के लिए कई कदमों की घोषणा करने वाले जेटली ने कहा कि अगर नीतिगत निर्णय को लेकर जड़ता का माहौल है और नीतियों में सुधार नहीं हो रहा है, निवेशक वहां निवेश करने को लेकर उत्साहित नहीं होते। परिवहन बुनियादी ढांचे में और सुधार की जरूरत पर बल देते हुए जेटली ने कहा कि वह राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारी यातायात के कारण सम्मेलन में 20 मिनट की देरी से पहुंचे। जाट आरक्षण के मुद्दे पर जेटली ने कहा, ‘काले बादल छंट गए हैं और राज्य ने अपनी मजबूती का बोध कराया है।’