नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी की जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों (विलफुल डिफॉल्टारों) और उनकी कंपनियों के लिए पूंजी बाजारों से धन जुटाना कठिन बनाने की योजना है। सेबी फंसे कर्ज यानी गैर-निष्पादित आस्तियों के खिलाफ सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की लड़ाई में सहयोग देने के लिए यह कदम उठा रहा है। सेबी की आगामी बैठक में इस आशय के प्रस्तावित कदम पर विचार होने की संभावना है। इस कदम का उद्देश्य यही है कि इस तरह के कर्जदारों के लिए प्रतिभूति बाजार से और धन जुटाना मुश्किल बनाया जाए, साथ ही छोट निवेशकों के हितों की रक्षा की जाए। उल्लेखनीय है कि मौजूदा कर्ज का भुगतान नहीं करने पर बैंक कई इकाइयों को 'विलफुल डिफॉल्टर' घोषित कर देते हैं और उन्हें कर्ज देना रोक देते हैं।
ऐसी इकाइयां उसके बाद शेयर और बांड बाजार में लोगों से पैसा जुटाती हैं। ऐसे में तमाम छोटे निवेशक फंस जाते हैं क्योंकि उनको उस कंपनी के 'डिफॉल्टर' होने की जानकारी नहीं होती। हालांकि एक राय यह भी है कि ऐसी इकाइयों द्वारा धन जुटाने पर पूर्ण प्रतिबंध से किसी सूचीबद्ध कंपनी में नया धन लगाने के इच्छुक प्रवर्तकों के लिए दिक्कत होगी। इससे अल्पांश हिस्सेदारों के हित प्रभावित हो सकते हैं। सेबी इस मामले में संतुलन साधते हुए कोई कदम उठाने पर विचार करेगा।