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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मुद्रा बाजार में किसी भी तरह के अनावश्यक उतार-चढ़ाव से निपटने के लिये देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है। इसके अलावा, पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। जेटली की यह टिप्पणी डॉलर के मुकाबले रुपये के रिकॉर्ड निम्न स्तर पर पहुंचने के एक दिन बाद आई है। तुर्की के आर्थिक संकट और उसकी मुद्रा लीरा में भारी गिरावट को लेकर उभरी चिंताओं के बीच कल के कारोबार में रुपया एक समय 70.09 रुपये प्रति डॉलर तक नीचे चला गया था।
जेटली ने ट्वीट में कहा, "तुर्की के आर्थिक संकट और डॉलर में मजबूती से उभरते हुये देशों की मुद्राओं के लिये जोखिम उत्पन्न हुआ है। हालांकि, देश के वृहद आर्थिक कारक मजबूत बने हुये हैं।" जेटली ने कहा, "भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप संतोषजनक स्थिति में है और यह विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अनुचित उतार-चढ़ाव को कम करने के लिये पर्याप्त है।"
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नई दिल्ली: भारतीय मुद्रा मंगलवार को डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक गिरावट के साथ 70 रुपये पार पहुंच गई। भारतीय मुद्रा उतार-चढ़ाव के बाद मंगलवार सुबह रुपया 70.08 पर पहुंच गया, जो अब तक का सबसे निम्नतम स्तर है। इससे पहले सोमवार को विदेशी निवेशकों में अस्थिरता के माहौल के कारण अंतर बैंकिंग विनिमय बाजार में रुपया 1.08 पैसे टूटकर यानी करीब 1.57% लुढ़का और यह तीन सितंबर 2013 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है। रुपया सोमवार को 69.49 रुपये पर खुला था। जबकि शुक्रवार को यह 68.84 पर बंद हुआ था।
विश्लेषकों का कहना है कि व्यापार युद्ध के बाद अमेरिका और तुर्की के बीच राजनीतिक टकराव का सीधा असर उभरती देशों की अर्थव्यवस्था की मुद्रा पर पड़ा है। टकराव बढ़ने की आशंका के बाद विदेशी निवेशकों ने उभरते देशों से निकासी की, जिससे डॉलर मजबूत हुआ और रुपया समेत एशियाई देशों की मुद्राएं लुढ़क गईं। भारतीय मुद्रा शुरुआती कारोबार में 79 पैसे गिरकर 69.62 रुपये तक आ गई थी।
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नई दिल्ली: थोक मुल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में घटकर 5.09% पर रही। मुख्य रूप से खाद्य सामग्री विशेषकर फलों और सब्जियों के भाव गिरने से मुद्रास्फीति दर में नरमी रही। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में 5.77 प्रतिशत थी। जबकि पिछले साल जुलाई में यह 1.88 प्रतिशत थी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की थोक मुद्रास्फीति जुलाई में शून्य से 2.16 प्रतिशत नीचे रही जबकि जून में इसमें 1.80 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।
इसी तरह, सब्जियों में थोक महंगाई जुलाई में 14.07 प्रतिशत घटी जबकि जून में इसमें 8.12% प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी। वहीं, फलों के थोक भाव जुलाई में 8.81 प्रतिशत घटे हैं जबकि जून में यह 3.87 प्रतिशत बढ़े थे। दाल श्रेणी में थोक मुद्रास्फीति शून्य से 17.03 प्रतिशत नीचे रही, जो कि जून में शून्य से 20.23 प्रतिशत नीचे थी। रेटिंग एजेंसी इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, "सब्जियों, फलों और दाल के भाव गिरने से तीन महीने बाद प्राथमिक खाद्य पदार्थों में सालाना आधार पर मुद्रास्फीति दर में गिरावट आई है।
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नई दिल्ली: सरकार ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के लिये 'बाहरी कारणों को जिम्मेदार ठहराया है और कहा कि इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि आने वाले समय में स्थिति में सुधार आने की संभावना है। उन्होंने कहा, ''रुपये में गिरावट का कारण बाहरी कारक हैं और इसमें इस समय चिंता की कोई वजह नहीं है। तुर्की की आर्थिक चिंता से अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया आज कारोबार के दौरान 70.1 रुपये प्रति डालर के स्तर तक गिर गया।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि डॉलर की तुलना में सभी मुद्राएं कमजोर हुई हैं लेकिन अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये में उतनी गिरावट नहीं आयी है। कुमार ने कहा, ''मुझे लगता है कि रुपया 69 से 70 के बीच स्थिर होना चाहिए क्योंकि अगर आप देश में बांड और शेयर समेत विभिन्न क्षेत्रों में आने वाले निवेश को देखें तो यह स्तर विदेशी निवेश के लिहाज से आकर्षक रहा है। आनंद राठी शेयर्स एंड स्टाक ब्रोकर्स में शोध विश्लेषक आर मारू ने कहा कि आयातकों की अधिक मांग से रुपये की विनिमय दर में गिरावट आयी है।
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