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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित नोटबंदी के फैसले के बाद सरकार और आयकर विभाग ने सभी बैंको में हुए बड़े वित्तीय लेनदेन की जांच शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक़ बैंकों में जमा कैश की जांच के बाद आयकर विभाग को लगभग 18 लाख लोगों के बैंक खातों में 5 लाख रुपए या उससे अधिक की रकम जमा मिली थी। आयकर विभाग ने इन सभी लोगों को मोबाइल एसएमएस और ईमेल भेज कर जानकारी मांगी गई थी। इनमें से करीब 9 लाख लोगों ने विभाग को कोई जबाव नहीं दिया है। विभाग इनके खातों में जमा रकम को सांदिग्‍ध मान रहा है। हालांकि आयकर विभाग इन सभी लोगों के खिलाफ कोई भी कदम 31 मार्च के बाद ही उठाएगा जब ब्‍लैक मनी को उजाकर करने वाली योजना बंद हो जाएगी। इनकम टैक्‍स विभाग ने नोटबंदी के बाद जमा धन की जांच के लिए आपरेशन क्‍लीन मनी चलाया था। इसके तहत करीब 18 लाख लोगों से बैंक में जमा र‍कम के बारे में एसएमएस और ईमेल से पूछा गया था। इन लोगों के खाते में नोटबंदी के बाद 5 लाख रुपए से ज्‍यादा जमा की बात सामने आई थी। इन लोगों से विभाग ने 15 फरवरी तक इस बारे में जानकारी मांगी थी। सरकार के सूत्रों का कहना है कि जिन लोगों ने विभाग के प्रश्‍नों का उत्‍तर नहीं दिया है उनके पास कानूनी जबाव हो सकता है वह रिटर्न में वि‍वरण देंगे। लेकिन सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2016-17 में अचानक इनकम का बढ़ना शक का कारण हो सकता है और उसकी जांच हो सकती है।

मुंबई: अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संरक्षणवादी बयानों से जहां पूरी दुनिया चिंतित है वहीं भारत के प्रमुख उद्योग घराने रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी ने आज स्थानीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को सलाह दी कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति के रूख को एक बिन मांगे वरदान के रूप में स्वीकार करे और भारतीय बाजार पर ध्यान दे। अमेरिका में विदेशी पेशेवरों को अल्पकालि नौकरी के लिए वीजा के नियम सख्त करने और ‘पहले अमेरिका’ जैसी ट्रंप की बातों से भारत में खास कर सालाना 155 अरब डॉलर का करोबार कर रहे सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को चिंता में डाल रखा है जिसकी आय का 65 प्रतिशत हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है। अंबानी ने यहां आज शुरू हुए Nasscom के नेतृत्व मंच सम्मेलन में कहा, ‘ट्रंप वास्तव में बिनमांगी मुराद पूरी करने जैसा साबित हो सकते हैं। घरेलू सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग अपने यहां की समस्याओं के समाधान तैयार करने पर ध्यान दे सकता है जो कि खुद बहुत बड़ा बाजार है।’ सम्मेलन तीन दिन चलेगा। संयोग से उनका यह बयान ऐसे समय आया है जकि भारतीय सॉफ्टवेयर एवं सॉफ्टवेयर सेवा प्रदाता कंपनियों के मंच Nasscom ने अपने वार्षिक वृद्धि के अनुमानों की घोषणा को आज मई 2017 के लिए टाल दिया क्यों कि यह उद्योग ट्रंप की नीतियों के बारे में स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार करना चाहता है। ट्रंप ने गत 20 जनवरी को अपना कार्यभार ग्रहण किया।

नई दिल्ली: वैश्विक आकार का बड़ा बैंक बनाने की अपनी मंशा के तहत सरकार ने एसबीआई और इसके पांच सहयोगी बैंकों की विलय योजना को बुधवार को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी, लेकिन भारतीय महिला बैंक के बारे में कोई फैसला नहीं किया। एसबीआई में उसके अनुषंगी बैंकों को मिलाने के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला किया गया। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मंत्रिमंडल ने (विलय) प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इन बैंकों के बोर्डों के पास ये प्रस्ताव गए थे, जिन्होंने उसे मंजूरी दे दी थी। बैंकों के निदेशक मंडलों की सिफारिशों पर विचार हुआ और मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।' जिन सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय किया जाना है, उनमें स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (एमबीएम), स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (एसबीटी), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (एसबीपी) और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (एसबीएच) शामिल हैं। जेटली ने कहा कि इस विलय के बाद यह एक बहुत बड़ा बैंक बन जाएगा, घरेलू लिहाज से ही नहीं, बल्कि आकार के हिसाब से वैश्विक स्तर पर भी। मंत्री ने कहा कि इस विलय से जहां इन बैंकों की कोष लागत घटेगी, वहीं परिचालन लागत में भी कमी आएगी। प्रस्तावित विलय के बाद एसबीआई का आस्ति आधार 37 लाख करोड़ रुपये का होगा, जबकि इसकी शाखाओं की संख्या 22500 होगी।

नई दिल्ली: वित्तीय सेवा कंपनी नोमूरा का अनुमान है कि भारत में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति अगले 3 माह तक बढ़ेगी और वर्ष 2017 में थोक महंगाई की औसत दर 4.4% के आस-पास रहेगी। वर्ष 2016 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति औसतन 2% थी। जनवरी में थोक मुद्रास्फीति बढ़ कर 5.2% पर पहुंच गयी जबकि दिसंबर में यह 3.4% थी। यह उछाल उस समय दिख रहा है जबकि बाजार नोटबंदी से प्रभावित था। नोमूरा की मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में यह बढ़ोतरी कोई ‘मांग जनित’ नहीं है बल्कि मुख्यत: जिंसों के दामों में बढ़ोतरी का नतीजा है। साथ ही इससे कंपनियों के लाभ के मार्जिन पर दबाव का भी संकेत मिलता है। इसके मांग जनित न होने का कारण यह बताया गया है कि जनवरी में लकड़ी, चमड़ा, गैर धात्विक सामान, मशीनरी और मशीन टूल और ट्रांसपोर्ट उपकरणों के दामों में गिरावट दर्ज की गयी। नोमूरा की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘थोक मुद्रास्फीति अभी तीन महीने चढ़ाई पर होगी और उसके बाद इसका ढलान आएगा।’

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