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नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार कहा कि दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में गिरावट नोटबंदी की वजह से है और आगामी महीनों में इसमें बढ़ोतरी होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि नवंबर और दिसंबर के आईआईपी के आंकड़ों के आधार पर पूरे साल के लिए अनुमान लगाना ठीक नहीं होगा। ‘यह नोटबंदी की अवधि थी। नवंबर की तुलना में दिसंबर अधिक चुनौतीपूर्ण था क्योंकि नवंबर में कई क्षेत्रों में पुरानी करेंसी के इस्तेमाल की अनुमति थी। दिसंबर में यह पूरी तरह समाप्त हो गई। उन्होंने कहा कि दिसंबर में नई करेंसी डालने का काम शुरुआती चरण में था। इसके साथ ही अनौपचारिक और औपचारिक अर्थव्यवस्था का एकीकरण हो रहा था। आगामी महीनों में संभवत: आप औपचारिक अर्थव्यवस्था में अधिक विस्तार के संकेतक देखेंगे। दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन 0.4 प्रतिशत घटा है।
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नई दिल्ली: देश में फर्जी कंपनियों जिन्हें खोखा या मुखौटा कंपनियां भी कहा जाता है, के गोरखधंधे के खिलाफ सख्ती की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार ने गड़बड़ी करने वाली ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक कार्य बल गठित किया है। सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी करने में लिप्त ऐसी कंपनियों के बैंक खाते जब्त करने और सुप्त कंपनियों का पंजीकरण खत्म करने का भी निर्णय किया है। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा शुक्रवार को की गई एक समीक्षा के बाद गठित कार्यबल में विभिन्न मंत्रालयों और प्रवर्तन एजेंसियों के सदस्य रखे गए हैं। इसका नेतृत्व राजस्व और कॉरपोरेट मामलों के सचिव करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार, ‘देश में करीब 15 लाख कंपनियां पंजीकृत हैं लेकिन इनमें से छह लाख ही अपना वाषिर्क विवरण जमा कराती हैं। इसका अर्थ है कि इनमें बहुत सी कंपनियां वित्तीय अनियमिताओं में लिप्त हैं।’ कंपनी के मंत्रालय के तहत आने वाले गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने 49 फर्जी कंपनियों के खिलाफ मामले दायर किए हैं। इन मामलों में 3,900 करोड़ रुपये का कथित रूप से धनशोधन किया गया है। इन मामलों में 559 लोगों ने 54 पेशेवरों की मदद से गड़बड़ियां की। नोटबंदी के बाद खोखा और सुप्त कंपनियों के खाते में 1238 करोड़ रुपये की नकद जमा के संदिग्ध मामले भी सामने आए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार, ‘गड़बड़ियों में लिप्त कंपनियों के खिलाफ बेनामी लेन-देन (निरोधक) संशोधित अधिनियम-2016 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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नई दिल्ली: रसोई गैस एलपीजी के बाद अब सरकार ने राशन की दुकानों (पीडीएस) से सब्सिडी वाले अनाज की आपूर्ति पर आधार अनिवार्य कर दिया है। इसका मकसद खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 1.4 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी को सही लोगों तक पहुंचाना है। जिन लोगों के पास आधार नंबर नहीं है उन्हें इसका आवेदन करने को 30 जून तक का समय दिया गया है। सरकार ने इस बारे में अधिसूचना जारी की है। हालांकि, सरकार ने यह नहीं कहा है कि 30 जून के बाद आधार के बिना सब्सिडी वाला खाद्यान्न नहीं दिया जाएगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को पिछले साल नवंबर में देशभर में लागू किया गया था। इसके तहत 80 करोड़ से अधिक लोगों को प्रति व्यक्ति एक से तीन रुपये प्रति किलो की दर पर पांच किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराती है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 8 फरवरी को आधार कानून के तहत अधिसूचना जारी की है। इसमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत प्रत्येक ऐसे व्यक्तिगत लाभार्थी जिनके पास राशन कार्ड है, को इस बात का प्रमाण पेश करना होगा कि उनके पास आधार नंबर है या फिर उन्हें इसके तहत सब्सिडी का लाभ लेने को आधार सत्यापन से गुजरना होगा। यह अधिसूचना 8 फरवरी से असम, मेघालय और जम्मू—कश्मीर को छोड़कर अन्य सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों पर लागू होगी।
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नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने ऐलान किया है कि 20 फरवरी से लोग एक हफ्ते में 50 हजार रुपये निकाल पाएंगे। इसके अलावा 13 मार्च से आम लोगों पर कैश निकालने पर कोई नियम लागू नहीं होगा। यानी आप कितनी भी रकम निकाल पाएंगे। फिलहाल सेविंग अकाउंट से एक हफ्ते में 24 हजार रुपये ही निकाले जा सकते हैं। मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर ने बताया कि बचत खाते ने कैश निकालने की सीमा दो चरणों में धीरे-धीरे खत्म कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 20 फरवरी से कैश निकासी की सीमा को हफ्ते में 24 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया। वहीं 13 मार्च के बाच नकद निकासी पर लगी यह सीमा पूरी तरह खत्म कर दी जाएगी। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार को दूसरे दिन भी हुई। समिति की आज की बैठक में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया। फिलहाल रेपो रेट 6.25 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया है। वहीं रिवर्स रेपो रेट को भी 5.75 फीसदी ही रखा गया। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की जीडीपी वद्धि का अनुमान घटाकर 6.9 प्रतिशत किया। अगले वित्त वर्ष में इसके 7.4 प्रतिशत पर पहुंचने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रूख को नरम से निरपेक्ष किया है। रिजर्व बैंक का अनुमान मुद्रास्फीति जनवरी-मार्च में पांच प्रतिशत से नीचे रहेगी।
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