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नई दिल्ली: परमाणु बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने के क्रम में सरकार ने फैसला किया है कि भविष्य में भारत के सभी परमाणु रिएक्टरों में 1200 मेगावाट और इससे अधिक की बिजली का उत्पादन करने की क्षमता होगी। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पास पहले ही 1000 मेगावाट (कुडनकुलम) क्षमता के विदेशी बिजली संयंत्र हैं। प्रौद्योगिकी भी इतनी विकसित हो गई है कि हमारे पास इतनी अधिक क्षमता के रिएक्टर हैं। यदि हम उन्हें लगा रहे हैं तो हमारे पास वे रिएक्टर भी हो सकते हैं जो ज्यादा बिजली पैदा कर सकते हों और उनका अधिकतम इस्तेमाल किया जा सके।’ सूत्रों के अनुसार, आंध्रप्रदेश के कावली में प्रस्तावित परमाणु उर्जा पार्क के लिए रूस को आवंटित किए जाने वाले दूसरे स्थान पर भी 1200 मेगावाट की विस्तारित क्षमता वाले परमाणु रिएक्टर होंगे। रूस द्वारा कुडनकुलम में निर्मित वीवीईआर रिएक्टरों की क्षमता एक-एक हजार मेगावाट है। कुल 1200 मेगावाट की क्षमता स्वदेशी तौर पर विकसित देश के संपीडित भारी जल रिएक्टरों (पीएचडब्ल्यूआर) की तुलना में दोगुने से कुछ ही कम होगी। मौजूदा पीएचडब्ल्यूआर की क्षमता 220 मेगावाट से 540 मेगावाट तक बिजली उत्पादन की है। परमाणु उर्जा विभाग पहले ही अपने आगामी रिएक्टर के लिए 700 मेगावाट क्षमता के स्वदेशी पीएचआरडब्ल्यू बनाना शुरू कर चुका है। संयोगवश सरकार छह एपी-1000 रिएक्टरों की क्षमता बढ़ाने के लिए मंजूरी दे चुकी है। इसका निर्माण अमेरिका के वेस्टिंगहाउस कॉर्प द्वारा किया जाना है।

प्रत्येक रिएक्टर की क्षमता 1208 मेगावाट रहनी है और इनका निर्माण आंध्रप्रदेश के कोवाडा में किया जाना है। महाराष्ट्र के जैतापुर में प्रस्तावित छह परमाणु उर्जा रिएक्टरों में भी प्रत्येक की क्षमता 1650 मेगावाट होगी। यदि कावली और कोवाडा में परियोजनाएं फलीभूत होती है। तो आंध्रप्रदेश के परमाणु उर्जा रिएक्टर 14448 मेगावाट का उत्पादन करेंगे, जो कि देशभर में उच्चतम होगा। इन परियोजनाओं के आगामी 15-20 साल में पूरा हो जाने की संभावना है।

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