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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: कर्जमाफी और फसलों की अच्छी कीमत की मांग को लेकर देश के कई राज्यों में किसान आंदोलनरत हैं। कर्ज के बोझ तले दबे किसानों की ​खुदकुशी भी चिंता की बात है। इन सब के बीच बैंकरों का आरोप है कि कर्जमाफी की उम्मीद में किसान बैंकों का कर्ज नहीं चुका र​हे हैं। एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार, बैंकरों का कहना है कि किसानों में कर्ज न चुकाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। कुछ राज्यों में तो कर्ज न चुकाने की दर हाल के महीनों में बढ़कर 50 फीसदी तक हो गई है। बैंकरों ने केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली से मुलाकात में किसानों के कर्ज के मसले को उठाया। साथ ही किसानों के कर्ज न चुकाने को लेकर अपनी चिंताओं से भी मंत्रालय को अवगत कराया। इस बैठक में कई सरकारी बैंकों के अधिकारी शामिल रहे। एक बैं​क प्रमुख ने बताया कि किसान अपने खातों से सारा पैसा निकाल लेते हैं ताकि बैंक अपना कर्ज न ले सकें। गौरतलब है कि यूपी में सत्ता में आने के बाद आदित्यनाथ की सरकार ने किसानों के 36 हजार करोड़ के कर्ज माफ करने की घोषणा कर दी। यूपी सरकार के इस फैसले के बाद से ही अन्य राज्यों के किसान भी कर्जमाफी के लिए राज्य सरकारों पर दबाव डाल रहे हैं।

किेसानों के उग्र आंदोलन के आगे झुकते हुए महाराष्ट्र सरकार ने भी रविवार को किसानों के पूर्ण कर्जमाफी की घोषणा कर दी, जिसमें सरकार का कहना है कि किसानों का पूरा कर्ज माफ करने के लिए सरकार एक कमेटी का गठन करेगी जो कर्जमाफी के लिए मानक तैयार करेगी। महाराष्ट्र के 1 करोड़ 36 लाख किसानों पर करीब 1 लाख 14 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। इनमें से करीब 31 लाख छोटे किसानों की कर्जमाफी पर 30 हजार करोड़ रुपए का बोझ सरकार पर पड़ेगा। वहीं, तमिलनाडु के सीएम ई पलानीसामी ने सोमवार को डेल्टा रीजन के किसानों के लिए 56.92 करोड़ की धनराशि आवंटित की। अपको बता दें कि तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा क्षेत्र में हजारों एकड़ फसलें खराब मानसून के चलते चौपट हो गई हैं।

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