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नई दिल्ली: सातवें वेतन आयोग और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन से मुद्रास्फीति को एक अनिश्चित क्षेत्र में डाल दिया है और इससे अस्थायी तौर पर कीमतों में कुछ बढ़ोतरी होगी। एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी और एचआरए दोनों एक जुलाई से लागू होंगे। वेतन आयोग भत्ते की वजह से शुरुआत में महंगाई कुछ बढ़ेगी। हालांकि, रिजर्व बैंक द्वारा अगस्त की मौद्रिक बैठक में रेपो दर में चौथाई प्रतिशत कटौती की उम्मीद है। एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि केंद्र मकान किराया भत्ता (एचआरए) में वृद्धि को लागू करता है तो इससे एक साल के लिए मुद्रास्फीति में 0.65 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। यदि राज्य भी ऐसा ही करने का फैसला करते हैं तो मुद्रास्फीति 0.65 प्रतिशत और बढ़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि केंद्र एचआरए को तत्काल लागू करता है लेकिन राज्य इसे बांटकर दो साल के समय में लागू करने का फैसला करते हैं तो मुद्रास्फीति में तत्काल तो बढ़ोतरी होगी, लेकिन 2019 में यह चार प्रतिशत के लक्ष्य पर आ जाएगी।
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नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आश्चर्य जताया कि जीएसटी दरों को लेकर महज कुछ व्यापारी ही शोर क्यों मचा रहे हैं जबकि कराधान का बोझ अंतत: तो उपभोक्ताओं पर पड़ता है। जेटली ने कहा कि माल एवं सेवा कर के बारे में उपभोक्ता शिकायत नहीं कर रहे हैं क्योंकि सरकार ने जीएसटी दरें तर्कसंगत स्तरों पर रखी हैं। उन्होंने कहा, 'पूरे देश में कहीं भी कोई उपभोक्ता शिकायत नहीं कर रहा है क्योंकि हमने करों की श्रेणियां ताकर्कि बनाने का प्रयास किया है। तो क्यों एक या दो व्यापारी शिकायत कर रहे हैं व्यापारियों को कर नहीं भरना पड़ता, कर उपभोक्ता देता है।' वित्तमंत्री ने कहा कि कोई यह दावा नहीं कर सकता कि कर नहीं चुकाना उसका मौलिक अधिकार है। हमारे समाज की सोच बन गयी थी कि कर न चुकाना कोई गलत बात नहीं है। इस मानसिकता को बदलने और नयी सोच पैदा करने की जररत है। भारत को यदि विकासशील देश से विकसित देश बनना है तो लोगों की सोच और प्रवृति विकसित अर्थव्यवस्थाओं की भांति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी आर्थिक सुधार के लिए जररी है कि सरकार की दिशा सही हो। किसी भी अधकचरे प्रयास से सुधार नहीं होते, सरकार हिचक गयी तो वह सुधार लाने में कभी सफल नहीं होती है। जेटली ने कहा कि कुछ आलोचकों की इस बात को खारिज किया कि जीएसटी में केवल एक दर होनी चाहिए।
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नई दिल्ली: कर्ज में डूबी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश के तौर-तरीकों के बारे में निर्णय के लिए मंत्रियों का समूह गठित किया जाएगा। इसका फैसला बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैठक के बाद कहा कि एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया की रूपरेखा तय करने के लिए वित्त मंत्री की अध्यक्षता में मंत्रियों का एक समूह गठित किया जाएगा। इसका प्रस्ताव नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने किया था, जिसे बैठक में मंत्रिमंडल ने स्वीकार कर लिया। हालांकि वित्त मंत्री ने इस समूह के गठन की या विनिवेश राशि तय करने के लिए गठित होने वाले समूह द्वारा अंतिम रिपोर्ट सौंपे जाने की कोई समय सीमा नहीं बताई। जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री इस समिति के सदस्यों पर फैसला लेंगे। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट में नीति आयोग ने घाटे में चल रही एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश की सिफारिश की थी। इसके जरिए एयर इंडिया पर से सरकार का नियंत्रण खत्म कर उसे निजी क्षेत्र को सौंपा जाना है। एयर इंडिया के एक कर्मचारी यूनियन ने बुधवार को नीति आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया से मुलाकात कर सरकारी विमानन कंपनी को निजी हाथों में बेचने की जगह इसका कर्ज माफ करने की मांग की थी।
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को अपने 48 लाख कर्मचारियों को सौगात देते हुए सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं के मुताबिक बढ़े हुए भत्ते को मंजूरी दे दी। बढ़े हुए भत्ते 1 जुलाई 2017 से लागू होंगे और इससे राजकोष पर 30,748 करोड़ रुपये का सालाना बोझ पड़ेगा। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में केंद्रीय कर्मियों के भत्ते में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई। उन्होंने बताया कि वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में 29,300 करोड़ रुपये सालाना का बोझ पड़ेगा। जबकि लवासा समिति की सिफारिशों के मुताबिक वेतन विसंगति दूर करने में 1,448 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च होंगे। इस प्रकार सालाना राजकोष पर 30,748 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। बता दें कि आयोग की सिफारिशों में भत्तों संबंधी विसंगति और विभिन्न विभागों की ओर से दर्ज की गई आपत्ति के बाद सरकार ने वित्त सचिव अशोक लवासा की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। लवासा ने कुल 196 संशोधन प्रस्तावित किए थे, जिसे सरकार ने 34 संशोधनों के साथ स्वीकार कर लिया। सरकार ने सियाचिन जैसे अति दुर्गम इलाकों में तैनात जवानों के भतों को दो गुने से भी अधिक कर दिया है।
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