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भुवनेश्वर: हाल ही में पश्चिम बंगाल और ओडिशा में महाचक्रवात अम्फान की तबाही के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (शुक्रवार) दोनों राज्यों का दौरा किया। इस दौरान भारत सरकार ने अम्फान महाचक्रवात से प्रभावित ओडिशा के लिए 500 करोड़ रुपये देने की घोषणा की। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूर्ण सर्वेक्षण और पुनर्वास योजना के गठन के बाद, सरकार ओडिशा सरकार को इस संकट से बाहर निकालने में मदद करेगी और बाकी की व्यवस्था करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार आपदा से उबरने में राज्यों की आगे भी मदद करती रहेगी।

इससे पहले प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल में कहा कि देश इस संकट की घड़ी में बंगाल के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि मृतक व्यक्तियों के परिजनों को दो लाख रुपये दिए जाएंगे, जबकि जिन लोगों को गंभीर चोटें आई हैं, उनमें से प्रत्येक को 50,000 रुपये दिए जाएंगे।पश्चिम बंगाल में चक्रवात जनित हादसों में करीब 80 लोगों की जान गई है, जबकि करीब एक लाख करोड़ रुपये की आधारभूत संरचनाओं को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, ओडिशा में किसी की मौत नहीं हुई, लेकिन तटीय इलाकों में भारी तबाही हुई है।

भुवनेश्वर: अम्फान तूफान के ओडिशा तटों के करीब पहुंचने के साथ ही कुछ हिस्सों में खतरनाक तेज हवाएं और बारिश शुरू हो गई है। तेज हवाओं की वजह से पेड़ टूटकर सड़कों पर गिर रहे हैं। फायर सर्विसेज टीम वाहनों की आवाजाही, आवश्यक वस्तुओं, और आपातकालीन सेवा कर्मियों की सुविधा के लिए भद्रक में आर एंड बी कार्यालय के पास सड़क पर गिरे पेड़ों को हटाने का काम शुरू हो चुका है। मौसम विभाग ने बताया कि पारादीप में 102 किमी, चंदबली में 74 किमी, भुवनेश्वर में 37 किमी, बालासोर में 61 किमी और पुरी में 41 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं।  भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि महाचक्रवाती तूफान अम्फान आज सुबह 6:30 बजे से बंगाल की उत्तर-पश्चिमी खाड़ी पर एक बेहद भयंकर चक्रवाती तूफान के रूप में केंद्रित है, जो पारादीप से लगभग 125 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में है।

ओडिशा में 119075 लोगों को निकाला गया 

चक्रवाती तूफान के मद्देनजर ओडिशा में अब तक 1704 आश्रय शिविर लगाए गए हैं और 119075 लोगों को निकाला गया है।

भुवनेश्वर: कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन की वजह से हजारों-लाखों प्रवासी मजदूर हताश-परेशान हैं। रोजी-रोटी चले जाने और जिंदगी बचाने की जद्दोजहद के बीच मजदूर बिना किसी चीज की परवाह किए बगैर पैदल ही अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। इस बीच ओडिशा के मयूरभांज जिले से एक हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले रूपया टुडू अपने परिवार के साथ अपने घर मयूरभंज जिले से 160 किलोमीटर दूर जाजपुर जिले में एक ईंट भट्ठे में काम करते थे।

जब कोविड-19 लॉकडाउन के बाद उन्हें घर वापस लौटना पड़ा, तो टुडू के कंधे पर न सिर्फ परिवार को खिलाने का बोझ था, बल्कि अपने दोनों बच्चों को कंधे पर टांग कर ले जाना पड़ा। कुछ महीने पहले, मयूरभंज जिले के मोराडा ब्लॉक के बलादिया गांव में रहने वाले आदिवासी टुडू ईंट भट्ठे पर काम करने के लिए जाजपुर जिले के पनीकोइली गए थे। लॉकडाउन के बाद भट्टे के मालिक ने काम बंद कर दिया और उन्हें उनका पैसा देने से मना कर दिया। जब उन्हें कोई रास्ता नहीं दिखा तो टुडू अपने परिवार संग पैदल ही घर के लिए निकल पड़े।

भुवनेश्वर: पूरे देश में कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन है और इस समय पुलिस कर्मी अपने निजी जीवन की परवाह किए बिना दिन रात देश की सेवा में लगे हुए हैं। इसका एक उदाहरण कर्नाटक के बाद अब ओडिशा में देखने को मिला। राज्य के सुंदरगढ़ जिले में सेवारत दो महिला पुलिसकर्मियों ने अपने कर्तव्य और शादी के बीच चयन के लिए, इस संकट के समय में कर्तव्य को प्राथमिकता दी और शादी स्थगित कर दी। इन दोनों ने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान होने की मिसाल कायम की।

हाल ही में सुंदरगढ़ जिले का दौरा कर लौटे डीजीपी अभय ने बताया कि होमगार्ड तिलोत्तमा मेहर की शादी 12 अप्रैल को होनी तय हुई वहीं कांस्टेबल सुनीता अधा की शादी 25 अप्रैल को होने वाली थी। उन्होंने कहा, “तिलोत्तमा ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर ड्यूटी कर देश की दूसरी दुल्हनों की दुनिया सुरक्षित करने के लिए अपनी शादी टाल दी।” वहीं बीरमित्रापुर में तैनात सुनीता के बारे में डीजीपी ने कहा कि स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए उसने अपनी शादी टाल दी है। डीजीपी ने तिलोत्तमा और सुनीता की, कर्तव्य प्राथमिकता के लिए सराहना करते हुए दोनों को शुभकामनाएं दीं।

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