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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य मुद्दों के साथ बिना समझौता किए और मंदिर समिति, राज्य और केंद्र सरकार के समन्वय के साथ रथ यात्रा आयोजित की जाएगी। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को हुई सुनवाई में पुरी में 23 जून को होने वाली रथयात्रा को कोरोना महामारी के कारण रोक लगा दी थी। लेकिन कोर्ट के फैसले को लेकर कई पुनर्विचार याचिकाएं लगाई गई थी। जिसपर आज सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को पलटते हुए जगन्नाथ रथ यात्रा को कुछ शर्तों के साथ निकालने की अनुमति दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए आदेश में कहा कि अगर ओडिशा सरकार को लगता है कि कुछ चीजें हाथ से निकल रही हैं तो वो यात्रा को रोक सकती है। इससे पहले 18 जून को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा था, ''यदि हमने इस साल हमने रथ यात्रा की इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे। महामारी के दौरान इतना बड़ा समागम नहीं हो सकता है।''

भुवनेश्वर: ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले में एक शादी की सालगिरह और जन्मदिन कार्यक्रम में शामिल हुए 17 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। दरअसल, जन्मदिन कार्यक्रम का आयोजन करने वाली महिला कोविड-19 से संक्रमित थी और उसने क्वारंटीन नियमों को तोड़ते हुए एक शादी समारोह में भी हिस्सा लिया था, जिस कारण इन कार्यक्रमों में उसके संपर्क में आए 17 लोग संक्रमित हो गए। एक अधिकारी ने रविवार को इस बात की जानकारी दी।  अधिकारियों ने बताया कि 20 जून की रात तक झारसुगुड़ा जिले में कोरोना वायरस के 25 मामले रिपोर्ट किए गए, इनमें से 17 मामले तीन परिवारों में सामने आए, जिन्होंने होम क्वारंटीन के नियमों की अवहेलना की। 

झारसुगुड़ा जिला कलेक्टर सरोज कुमार समाल ने कहा कि सभी 17 लोग एक जन्मदिन कार्यक्रम और और एक शादी की सालगिरह पर दी गई पार्टी में शामिल हुए, जिसमें एक कोविड-19 संक्रमित महिला ने भाग लिया।  जिला कलेक्टर ने कहा कि 14 जून को गुड़गांव से अपने पति और बेटे के साथ यहां लौटी महिला संक्रमित पाई गई।

भुवनेश्वर: कोविड-19 महामारी को देखते हुए इस साल पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर सप्रीम कोर्ट ने 18 जून, गुरुवार को रोक लगा दी। अब इस न्यायिक आदेश में संशोधन के लिए जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में 18 जून के आदेश में आंशिक संशोधन के लिए सर्वोच्च न्यायालय से राज्य सरकार को तुरंत संपर्क करने का निवेदन किया है, ताकि पूरी में रथ यात्रा को अनुमति मिल सके। यह रथयात्रा इस साल 23 जून से शुरू होनी थी, लेकिन कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को कहा था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित को ध्यान में रखते हुए इस साल पुरी में रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि अगर हम इस साल रथ यात्रा आयोजित होने देते तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करते। आदेश को वापस लेने के लिए याचिका भी दायर की गई है, जिसमें कोर्ट से 18 जून के अपने आदेश को वापस लेने और संशोधित करने की मांग की गई है।

नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण के चलते सुप्रीम कोर्ट ने भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर रोक लगा दी है। गुरुवार को इस संबंध में एक याचिका पर सुनवाई हुई है, जिस दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर वो इसके लिए अनुमति देते हैं, तो भगवान उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि ये एक गंभीर मामला है और कोर्ट इसके लिए अनुमति नहीं दे सकता। रथयात्रा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि इस रथयात्रा में दस लाख लोग इकट्ठा होते हैं। इस पर सीजेआई बोबडे ने कहा कि अगर दस हजार भी हैं तो गंभीर बात है। बता दें कि 23 जून से रथयात्रा शुरू होनी थी। यह उत्सव अगले 20 दिनों तक जारी रहता है।

याचिका में कहा गया है कि रथयात्रा में जुटने वाली भीड़ से कोरोना संक्रमण फैलने का ख़तरा बहुत ज़्यादा है, लिहाज़ा इस पर फिलहाल रोक लगाई जाए। इसमें कहा गया है 'क्योंकि लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट अगर दीपावली पर पटाखे जलाने पर रोक लगा सकता है, तो रथयात्रा पर रोक क्यों नहीं लगाई जा सकती?'

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