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लखनऊ: शिक्षामित्रों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद आंदोलन स्थगित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने समान कार्य, समान वेतन की मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है। वहीं इनकी मांगों पर विचार करने के लिए विभागीय अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव सूचना अवनीश अवस्थी और लखनऊ के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा की कमेटी भी बनाई है। शिक्षा मित्रों ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था कि वह उनके सामने अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहते हैं। लिहाजा मुख्यमंत्री ने बुधवार को शिक्षामित्रों से मुलाकात की। एक घण्टे से ज्यादा चली मुलाकात में शिक्षा मित्रों की ओर से आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही और उप्र प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला समेत कई नेता मौजूद रहे। शिक्षामित्रों ने मांग रखी है कि आश्रम पद्धति के स्कूली शिक्षकों की तरह समान कार्य, समान वेतन पर सहमति दिया जाए। आश्रम पद्धति के स्कूलों में 11 माह 29 दिन का मानदेय दिया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कमेटी इस पर विचार करेगी। वहीं योगी आदित्यनाथ ने अगले तीन दिनों में बैठक कर शिक्षामित्रों की मांगों पर विचार करने के निर्देश भी दिए। शिक्षामित्र 17 से 19 अगस्त तक जिलों में प्रदर्शन कर 21 अगस्त से लखनऊ में डेरा डाले थे।

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश में अब राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्‍यापक की नियुक्ति राज्‍य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा के अंकों की मेरिट के आधार पर होगी। राज्‍य कैबिनेट ने मंगलवार को इस सिलसिले में प्रस्‍तावित संशोधन को मंजूरी दे दी। राज्‍य सरकार के प्रवक्‍ता ने बताया कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की अध्‍यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में उत्‍तर प्रदेश अधीनस्‍थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्‍नातक श्रेणी) सेवा नियमावली 1983 में पांचवें संशोधन को मंजूरी दे दी गई। इसके तहत राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्‍यापक की नियुक्ति के लिए विभिन्‍न कक्षाओं की परीक्षा में प्राप्‍त अंकों के बजाय राज्‍य लोक सेवा आयोग की लिखित परीक्षा में प्राप्‍त अंकों की मेरिट के आधार पर चयन किया जाएगा। परीक्षा के अंकों की मेरिट के आधार पर चयन से शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शी व्‍यवस्‍था के तहत अधिक मेधावी, योग्‍य एवं उपयुक्‍त शिक्षकों का चयन किया जा सकेगा, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्‍मक सुधार एवं छात्रों के शिक्षण के लिए अधिक उपयुक्‍त शिक्षक उपलब्‍ध हो सकेंगे।

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने तीन तलाक मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आए फैसले का स्वागत किया, लेकिन कहा कि अब केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह आरएसएस के 'गुप्त एजेंडे' की राजनीति किए बिना समय सीमा के भीतर कानून बनाए. मायावती ने अपने बयान में कहा, "देश में तीन तलाक के मामले में व इसकी आड़ में मुस्लिम महिलाओं का वर्षों से जो शोषण व उत्पीड़न हो रहा था, उसके मद्देनजर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का बसपा दिल से स्वागत करती है। वैसे तो सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का संविधान पीठ द्वारा बारीकी से अध्ययन किया जाना बाकी है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की पांच जजों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत के फैसले से तीन तलाक को असंवैधानिक करार देकर इस पर पाबंदी लगाते हुए केंद्र सरकार से इस संबंध में छह महीने के भीतर कानून बनाने के लिए कहा है, जिसका समय से अनुपालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "न्यायालय का मानना है कि यह अच्छा होता कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड खुद ही पूरी तत्परता के साथ तीन तलाक के मामले में कार्यवाही करता। न्यायालय का यह भी मानना है कि इस बुराई की रोकथाम के लिए जितनी तत्परता से इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए थी, वह नहीं की गई. इसी कारण न्यायालय को ऐसा हस्तक्षेप करना पड़ा है।

लखनऊ: राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। इस बीच उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस मामले में अहम बयान दिया है। शिया बोर्ड ने सोमवार को कहा कि 16वीं शताब्दी की शुरुआत में बाबर सेनापति ने मंदिरों के बीच में मस्जिद का निर्माण कराया था और यहीं से हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच विवाद की नींव रखी गई। बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने यहां एक बयान में कहा, 'मीर बाकी बाबर की सेना का कमांडर था। वह शिया था और उसे हिंदुओं की भावनाओं के खिलाफ मुगल सेना का इस्तेमाल किया और 1528-29 में मंदिरों के बीच में एक बड़ी मस्जिद बनवाई। उसने झगड़े की जड़ पैदा करने का काम किया।' बोर्ड का यह बयान सुप्रीम कोर्ट में उसकी ओर से दिए गए उस हलफनामे के बाद आया है, जिसमें उसने कहा था कि मस्जिद को अयोध्या में विवादित भूमि से पर्याप्त दूरी पर मुस्लिम बहुत इलाके में बनाया जा सकता है।

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