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लखनऊः (जनादेश ब्यूरो) शिक्षक दिवस के मौके पर जहां पूरे देश में शिक्षकों का सम्मान हो रहा है। वहीं दूसरा तरफ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ऐसी तस्वीरें सामने आई, जिसमें अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों पर पुलिस ने जमकर लाठियां बरसाई। यूपी विधानसभा की तरफ कूच कर रही शिक्षकों की भीड़ पर अचानक पुलिस ने लाठियां भांजना शुरु कर दिया। दरअसल उत्तर प्रदेश में शिक्षा प्रेरेक संघ के बैनर तले साक्षरता प्रेरक अपनी स्थायी नियुक्ति की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारी शिक्षक अपनी मांगों को लेकर विधानसभा की तरफ कूच कर रहे थे। शिक्षा प्रेरक संघ के कर्मचारी पहले लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर इकठ्ठा हुए। जिसके बाद इन्होंने विधान भवन का घेराव करने के लिए पैदल मार्च शुरू किया, इसी दौरान विधान भवन का घेराव करने जा रहे शिक्षा प्रेरक संघ के कर्मचारियों पर पुलिस ने जमकर लाठियां बरसाईं। इस लाठी चार्ज में कई कर्मचारी घायल हो गए। लाठी चार्ज के दौरान पुलिस ने महिला एवं पुरुष कर्मचारियों को जमकर धुना। लाठीचार्ज से भगदड़ मच गई और कई शिक्षक चोटिल हो गए। इस दौरान कई कर्मचारियों के हाथ पैर में चोटें आई हैं। लाठी चार्ज में एक महिला के सर पर काफी चोट आई है।

लखनऊ मेट्रो का पटरी पर दौड़ना शुरू, राजनाथ सिंह-सीएम योगी ने दिखाई हरी झंडी लखनऊ: नवाबों के शहर लखनऊ में भी आज (मंगलवार) से मेट्रो दौड़ने लगेगी। गाजियाबाद और नोएडा के बाद यह प्रदेश का तीसरा शहर होगा जहां मेट्रो शुरू हो रही है। लखनऊ के सांसद और गृहमंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्रांसपोर्टनगर स्टेशन पर हरी झण्डी दिखाकर इसका आगाज़ किया। हरी झण्डी दिखाने के साथ गृहमंत्री, सीएम व उनकी कैबिनेट के तमाम मंत्री भी मेट्रो में यात्रा की। लोकार्पण के बाद छह सितम्बर से राजधानी में नियमित मेट्रो दौड़ने लगेगी। मेट्रो सुबह छह बजे से चलना शुरू होगी और रात के 10 बजे तक चलेगी। यात्रियों को हर स्टेशन पर मेट्रो प्रत्येक सात मिनट पर मिलेगी। जानें क्या है इस मेट्रो की खासियतें:- लखनऊ मेट्रो में सेफ्टी के सारे इंतजाम हैं, फायर स्मोक डिटेक्शन और प्रोटेक्शन, इमरजेंसी में बाहर निकलने की सारी सुविधाएं हैं। टॉकबैक सुविधा होगी। एमरजेंसी फीचर कम्यूनिकेशन जिसके जरिए अगर मेट्रो में कोई एमरजेंसी आती है तो यात्री ड्राइवर से बात कर पाएंगे और सीसीटीवी इमेज एक ट्रेन से दूसरी ट्रेन में भेज पाएंगे ताकि सिक्योरिटी कंट्रोल रुम तक जानकारी पहुंच सके।

बरेली (उत्तर प्रदेश): यूपी के बरेली जिले के एक गांव में घर में सो रहे एक परिवार के सात लोगों पर किसी ने तेजाब फेंक दिया. घटना में मां-बेटे झुलस गए, जिन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस को मौके से तेजाब की बोतलें मिली हैं. फरीदपुर क्षेत्राधिकारी एम पी अशोक ने बताया कि बरेली जिले के गांव करनपुर निवासी श्रीपाल यादव और उनका परिवार शनिवार रात अपने घर में सोया हुआ था। रविवार सुबह पड़ोसी गांव का दूधिया पहुंचा तो श्रीपाल की पत्नी श्रीवती सो कर उठीं. तब उन्हें पता चला कि उनका पेट तेजाब से झुलस चुका है। उन्होंने तुरंत बेटे सुधीर, जगपाल, अंचल और पुष्पेंद्र को आवाज दी, मगर सभी बेसुध पड़े थे। कई बार सुधीर और जगपाल ने उठने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं उठ सके. तेजाब से सुधीर का हाथ झुलस गया था। घटना की सूचना पुलिस को दी गई तो दारोगा मुकेश कुमार बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने पांच बोतलों से तेजाब बरामद किया, घटनास्थल से नमूने लिए गए, झुलसे सुधीर (8) और श्रीवती (28) को महानगर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। श्रीपाल ने बताया कि उनके मकान का हाल ही में निर्माण हुआ है और अभी इसमें दरवाजे नहीं लग पाए हैं।

फर्रुखाबाद: यूपी से बच्चों की मौत के मामले एक के बाद एक आते ही जा रहे हैं। पहले गोरखपुर और अब फर्रुखाबाद से यह बुरी खबर आई है। यूपी के फर्रुखाबाद में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ज़िला अस्पताल में एक महीने में 30 बच्चों की मौत के बाद डीएम ने तीन डॉक्टरों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाई है। अस्पताल में पिछले एक महीने में कुल 49 बच्चों की मौत हुई है। जिनमें 19 बच्चे मृत पैदा हुए थे। मृत बच्चों के रिश्तेदारों का कहना है कि अस्पताल में ऑक्सीजन और दवा की कमी की वजह से बच्चों की मौत हुई है। इस मामले के चर्चा में आने के बाद जिलाधिकारी रबिन्द्र कुमार ने मामले पर तुरंत पैनल के द्वारा जाच करने का आदेश जारी कर दिया था, जिसकी जांच जिले के सदर एस डी एम सिटी मजिस्ट्रेट तहसीलदार सदर कर रहे थे। जांच प्रक्रिया को 3 दिनों के अन्दर सामने आने के बाद जांच में बड़ा खुलासा हुआ और जांच अधिकारी सिटी मजिस्ट्रेट ने कोतवाली सदर में जाच के दौरान दोषी पाए गए सीएमओ, सीएमएस जिला अस्पताल लोहिया और अन्य डॉक्टर के खिलाफ केस रजिस्टर करवा दिया गया है। जांच के दौरान जांच अधिकारियों ने मौतों की जांच की तो पता चला कि ज्यादातर मौतें ऑक्सीजन की कमी और दवाओं की कमी से हुई हैं।

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