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बेंगलुरु: अब समाप्त हो चुकी चुनावी बॉन्ड योजना से संबंधित एक शिकायत के बाद बंगलूरू की एक अदालत के निर्देश के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ शनिवार को मामला दर्ज किया गया। पुलिस के मुताबिक, एक विशेष अदालत के आदेश के आधार पर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, ईडी अधिकारियों, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के पदाधिकारियों के खिलाफ धारा 384 (जबरन वसूली के लिए सजा) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के साथ धारा 34 (सामान्य इरादे से किए गए कृत्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

चुनावी बॉन्ड स्कीम के जरिए जबरन वसूली का आरोप

इससे पहले बंगलूरू की एक अदालत ने चुनावी बॉन्ड के जरिए जबरन वसूली के मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। वहीं, इस मामले को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अब भाजपा नेता कब इस्तीफा मांगेंगे।

बेंगलुरु: केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने शनिवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को चुनौती दी कि वह राज्य लोकायुक्त में अपने खिलाफ लंबित 70 मामलों के बारे में जनता को बताएं। बेंगलुरु में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने कहा, "अगर सीएम सिद्धारमैया ईमानदार हैं, तो उनके खिलाफ इतने सारे मामले क्यों दर्ज हैं?" उन्होंने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया ने खुद को बचाने के लिए लोकायुक्त संस्था को बंद कर दिया और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की स्थापना की।

"वे नष्ट हो जाएंगे": कुमारस्वामी

कुमारस्वामी ने कहा कि कांग्रेस सरकार मुझे 12 साल पुराने मामले में जेल भेजने की साजिश कर रही है। अगर ऐसी स्थिति आई तो मैं स्वेच्छा से अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का जिक्र करते हुए कहा कि जो लोग पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा (मेरे पिता) की आंखों में आंसू लाए, वे नष्ट हो जाएंगे। वे सभी नष्ट हो जाएंगे। कर्नाटक में यही हो रहा है।

मैसूर: कर्नाटक में एमयूडीए घोटाले मामले में सीएम सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) साइट आवंटन मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। 

बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने बुधवार को मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस को जांच का आदेश दिया था, जिससे उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आधार तैयार हो गया। इससे पहले उच्च न्यायालय ने एक आदेश में राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा सिद्धारमैया के खिलाफ जांच की मंजूरी के फैसले को बरकरार रखा था।

विशेष अदालत ने दिए थे आदेश

राज्यपाल ने एमयूडीए द्वारा सीएम की पत्नी बी एम पार्वती को 14 भूखंडों के अवैध आवंटन के आरोपों की जांच की मंजूरी दी थी। वहीं विशेष न्यायालय ने बुधवार को मैसूर में लोकायुक्त पुलिस को आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर शिकायत पर जांच शुरू करने का निर्देश देते हुए आदेश जारी किया था।

बंगलूरू: कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक में सीबीआई को जांच के लिए दी गई सहमति वापस ले ली है। राज्य कानून मंत्री एचके पाटिल ने इसकी जानकारी दी। अब केंद्रीय जांच एजेंसी बिना राज्य सरकार की अनुमति के कर्नाटक में प्रवेश नहीं कर सकेगी।

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने कहा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के तहत कर्नाटक राज्य में आपराधिक मामलों की जांच के लिए सीबीआई को सामान्य सहमति देने वाली अधिसूचना वापस ले ली गई है। ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि यह स्पष्ट है कि सीबीआई या केंद्र सरकार अपने साधनों का उपयोग करते समय उनका विवेकपूर्ण उपयोग नहीं कर रही है। इसलिए मामले-दर-मामले हम सत्यापन करेंगे और सीबीआई जांच के लिए सहमति देंगे। सामान्य सहमति वापस ले ली गई है। उन्होंने कहा कि ‘‘दिन-प्रतिदिन’’ यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि कई मामलों में सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है।

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