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बेंगलुरु: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने शनिवार को कहा कि अगर मुसलमान विधेयक में संशोधन नहीं चाहते हैं तो इसे दरकिनार कर देना चाहिए। एआईएमपीबी के महासचिव मौलाना मोहम्मद फजलूर्रहीम मुजद्दीदी ने बेंगलुरु में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, महज 13 दिन में 3.66 करोड़ से ज्यादा मुसलमानों ने ईमेल के जरिए वक्फ संशोधन विधेयक पर अपना विरोध जताया है। जब मुसलमान इस विधेयक को नहीं चाहते हैं, तो सरकार को इसे दरकिनार कर देना चाहिए।

एआईएमपीबी ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने इस मुद्दे पर जनता की राय मांगी थी। मुजद्दिदी ने कहा, “इससे पहले वक्फ बोर्ड के लिए लाए गए सभी संशोधनों का उद्देश्य इसे मजबूत करना था। हम जानते हैं कि मौजूदा विधेयक वक्फ बोर्ड को कमजोर करेगा। यही वजह है कि एआईएमपीबी इन संशोधनों को स्वीकार नहीं कर रहा है। वे यह भी तय करेंगे कि इस मामले को कानूनी रूप से कैसे निपटाया जाए। हम आग्रह करते हैं कि इस मुद्दे पर ध्यान दिया जाए और इस बात पर विचार किया जाए कि मुसलमान क्या चाहते हैं।”

बेंगलुरू: मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया लगातार विवादों में बने हुए हैं। अब उनकी पत्नी पार्वती बीएम की ओर से मुडा को 14 विवादित प्लॉट वापस लौटाने के फैसले पर सियासत गरमा गई है। हालांकि, सीएम सिद्धारमैया का कहना है कि उनकी पत्नी ने उनके (सिद्धारमैया) खिलाफ चल रही 'नफरत की राजनीति' का शिकार होकर यह निर्णय लिया है। वह खुद उनके कदम से हैरान हैं।

मानसिक प्रताड़ना झेल रहीं

मुख्यमंत्री ने कहा, 'पार्वती मेरे खिलाफ नफरत की राजनीति का शिकार हैं और मानसिक प्रताड़ना झेल रही हैं। आई एम सॉरी। हालांकि, मैं प्लॉट वापस करने के अपनी पत्नी के फैसले का सम्मान करता हूं। मेरी पत्नी पार्वती ने मैसूर में मुडा (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) को जमीन वापस कर दी है। राज्य की जनता भी जानती है कि विपक्षी दलों ने मेरे खिलाफ राजनीतिक द्वेष पैदा करने के लिए झूठी शिकायत रची और मेरे परिवार को विवाद में घसीटा।'

बेंगलुरु: अब समाप्त हो चुकी चुनावी बॉन्ड योजना से संबंधित एक शिकायत के बाद बंगलूरू की एक अदालत के निर्देश के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ शनिवार को मामला दर्ज किया गया। पुलिस के मुताबिक, एक विशेष अदालत के आदेश के आधार पर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, ईडी अधिकारियों, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के पदाधिकारियों के खिलाफ धारा 384 (जबरन वसूली के लिए सजा) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के साथ धारा 34 (सामान्य इरादे से किए गए कृत्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

चुनावी बॉन्ड स्कीम के जरिए जबरन वसूली का आरोप

इससे पहले बंगलूरू की एक अदालत ने चुनावी बॉन्ड के जरिए जबरन वसूली के मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। वहीं, इस मामले को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अब भाजपा नेता कब इस्तीफा मांगेंगे।

बेंगलुरु: केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने शनिवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को चुनौती दी कि वह राज्य लोकायुक्त में अपने खिलाफ लंबित 70 मामलों के बारे में जनता को बताएं। बेंगलुरु में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने कहा, "अगर सीएम सिद्धारमैया ईमानदार हैं, तो उनके खिलाफ इतने सारे मामले क्यों दर्ज हैं?" उन्होंने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया ने खुद को बचाने के लिए लोकायुक्त संस्था को बंद कर दिया और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की स्थापना की।

"वे नष्ट हो जाएंगे": कुमारस्वामी

कुमारस्वामी ने कहा कि कांग्रेस सरकार मुझे 12 साल पुराने मामले में जेल भेजने की साजिश कर रही है। अगर ऐसी स्थिति आई तो मैं स्वेच्छा से अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का जिक्र करते हुए कहा कि जो लोग पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा (मेरे पिता) की आंखों में आंसू लाए, वे नष्ट हो जाएंगे। वे सभी नष्ट हो जाएंगे। कर्नाटक में यही हो रहा है।

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