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चंडीगढ़: पंजाब में किसान संगठन 23 नवंबर से रेल सेवा फिर से शुरू करने को राजी हो गए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और किसान संगठनों के बीच वार्ता के बाद यह सहमति बनी। किसान संगठन लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। इससे राज्य में रेल सेवाएं करीब-करीब ठप हैं। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पारित कृषि कानूनों को वापस लेने समेत कई मांगें रखी हैं।

हालांकि पंजाब के किसान ने 15 दिनों के लिए ही यात्री ट्रेन सेवा बहाल करने को राजी हुए हैं। किसान संगठन रेल सेवा शुरू करने को सशर्त राजी हुए हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार से वार्ता विफल रही तो वे दोबारा आंदोलन शुरू कर देंगे। इससे पहले किसान संगठन बुधवार को नाकेबंदी खत्म नहीं करने का निर्णय लिया था। किसान समूहों ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के अस्पष्ट रुख की आलोचना की थी। किसान समूहों का कहना है कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह उनकी मांगों को लेकर पहले तो सहानुभूति दिखा रहे थे, लेकिन अब उनका रुख निश्चित नहीं है।

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि फर्स्ट कजन (चाचा-ताऊ, मामा-बुआ और मौसी के बच्चों) के बीच शादी गैरकानूनी है। कोर्ट ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसमें याचिकाकर्ता अपने पिता के भाई (चाचा) की बेटी से शादी करना चाहता है। 

एक 21 वर्षीय युवक के खिलाफ लुधियाना के खन्ना सिटी-2 थाने में आईपीसी की धारा 363 (अपहरण) और 366ए (नाबालिग लड़की को कब्जे में रखने) के तहत केस दर्ज है। उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अग्रिम जमानत के लिए अनुरोध किया। याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के वकील ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि लड़की नाबालिग है। उसके माता-पिता ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उसके और लड़के के पिता आपस में सगे भाई हैं। 

वहीं, युवक के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने लड़की के साथ मिलकर एक याचिका दाखिल की थी। इसमें दोनों ने जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा की गुहार लगाई थी। मौजूदा सुनवाई के दौरान ही इस याचिका की फाइल कोर्ट में तलब की गई थी।

चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह शनिवार दोपहर डेढ़ बजे पंजाब भवन में किसान संगठनों से मुलाकात करेंगे। पंजाब में कृषि कानूनों के विरोध में करीब डेढ़ माह से चल रहे आंदोलन के कारण मालगाड़ियों का आवागमन ठप हो चुका है। इसके कारण अब प्रदेश में यूरिया की कमी होने लगी है। किसान संगठनों से बैठक के दौरान मुख्यमंत्री उनसे रेल यातायात की बहाली और यूरिया की सप्लाई के मुद्दे पर चर्चा करेंगे।

किसान संगठन यात्री ट्रेनों से पहले मालगड़ियां चलाने की मांग कर रहे हैं वहीं रेलवे का कहना है कि यात्री गाड़ियों के साथ ही मालगाड़ियों का संचालन किया जाएगा। इससे पहले किसान संगठनों ने यूरिया की उपलब्धता का जिम्मा राज्य सरकार पर डाल दिया था और कहा था कि सरकार ट्रकों के जरिए प्रदेश में यूरिया लाए।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार को उदारता दिखाते हुए मालगाड़ियों की आवाजाही की बहाली को यात्री ट्रेनों से नहीं जोड़ना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए सुखद माहौल बनाने में राज्य सरकार को सहयोग देने की भी अपील की।

चंडीगढ़: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसानों का दिल्ली कूच कार्यक्रम तय हो गया है। संविधान दिवस (26 नवंबर) को पड़ोसी राज्यों के किसान पांच प्रमुख मार्गों से दिल्ली में घुसेंगे। किसान अमृतसर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग (कुंडली बॉर्डर), हिसार-दिल्ली राजमार्ग  (बहादुरगढ़), जयपुर-दिल्ली राजमार्ग (धारूहेड़ा), बरेली-दिल्ली राजमार्ग (हापुड़), आगरा-दिल्ली राजमार्ग (बल्लभगढ़) पर एकत्रित होकर दिल्ली में प्रवेश करेंगे। यह फैसला चंडीगढ़ स्थित किसान भवन में गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में लिया गया। वहीं यदि किसानों को किसी स्थान पर रोका गया तो वे वहीं शांतिपूर्वक धरना देकर अपना विरोध जताएंगे। 

किसान भवन में संयुक्त किसान मोर्चा की पहली बैठक सुबह 11.30 बजे शुरू हुई। इसमें पंजाब की 30 किसान जत्थेबंदियों के प्रमुख किसान नेताओं के अतिरिक्त दूसरे राज्यों की भी किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। मोर्चा के पदाधिकारियों ने दावा किया है कि किसानों के इस आंदोलन को देश भर के 500 से अधिक किसान संगठनों ने समर्थन दिया है।

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