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चंडीगढ़: मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। कैबिनेट ने एक नई योजना पंजाब दिव्यांगजन शक्ति योजना को मंजूरी दी है। यह योजना चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में लागू की जाएगी। 

इसके अलावा लद्दाख की गलवां घाटी में शहीद हुए तीन अविवाहित जवानों सिपाही गुरतेज सिंह (23), गुरबिंदर सिंह (22) और लांस नायक सलीम खान (23) के विवाहित भाई-बहनों को नौकरी देने के लिए नियमों में संशोधन करने को भी मंजूरी दी गई है। वहीं कोविड 19 के कारण पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर एग्रीकल्चरल एजुकेशन एक्ट, 2017 को लागू करने का फैसला 30 जून, 2021 तक टाल दिया गया है। 

पटियाला और अमृतसर में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में महत्वपूर्ण पदों को मंजूरी दी गई है। कैबिनेट ने इन दो जीएमसी में अनुबंध के आधार पर सुपर-स्पेशलिस्ट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के सहायक कोटे के 25 रिक्त पदों के अस्थायी रूपांतरण को भी मंजूरी दी। आईटी, ई-कॉमर्स, ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए दूरसंचार बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट ने नई एकल-खिड़की नीति को भी मंजूर किया है।

चंडीगढ़: लद्दाख की गलवां घाटी में इस साल जून माह में शहीद हुए पंजाब के तीन अविवाहित जवानों के विवाहित भाई-बहनों को सरकारी नौकरी मिलेगी। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में पंजाब सरकार ने नियमों में ढील देने को मंजूरी दी है। बता दें कि तीन में से दो जवान चीनी सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हुए थे जबकि तीसरा जवान वास्तविक नियंत्रण रेखा में गलवां नदी में गश्त के दौरान वीरगति को प्राप्त हुआ था। बता दें कि पहले नियमों के अनुसार शहीद के आश्रितों और उनके बच्चों या पत्नी को ही सरकारी नौकरी मिलती थी। लेकिन इन अविवाहित शहीदों के विवाहित भाई-बहनों को नौकरी देने के लिए कैबिनेट ने नियमों में महत्वपूर्ण संशोधन किया हैं। अब शहीद के विवाहित भाई-बहन भी नौकरी के हकदार होंगे। 

मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि तीनों जवानों के भाइयों ने राज्य सेवाओं में नियुक्ति के लिए आवेदन किया था लेकिन वे आश्रित की श्रेणी में नहीं आते थे और परिवारों में कोई अन्य उन पर आश्रित नहीं था। अब पंजाब सरकार ने एक अपवाद के तौर पर नियमों में ढील दी है। जिसके बाद इन विवाहित भाई-बहनों को सरकारी नौकरी मिलने का रास्ता खुल गया है।

चंडीगढ़: चंडीगढ़ जिला अदालत ने मंगलवार को पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ अखंड कीर्तनी जत्थे को आतंकवादी संगठन का चेहरा बताने के मामले में जमानती वारंट जारी किए हैं। 

अभियोजन पक्ष ने एक आवेदन दायर किया है, जिसमें वकील पीआईपी सिंह ने तर्क देते हुए कहा कि सुखबीर बादल ने जांच अधिकारी को अपना बयान दिया था। इसमें सुखबीर बादल ने अपना पता मकान नंबर 256, सेक्टर-9 चंडीगढ़ दर्ज कराया था। 

वकील ने कहा कि उस बयान पर सुखबीर बादल के हस्ताक्षर भी हैं, इसलिए वह कार्रवाई से अच्छी तरह वाकिफ हैं और जानबूझकर अदालत में पेश होने से बच रहे हैं। इसके बाद वकील ने सुखबीर बादल के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने की अपील की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अब मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।

चंडीगढ़: महाराष्ट्र और झारखंड के बाद पंजाब सरकार ने भी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) से जनरल कंसेंट यानी सामान्य सहमति को वापस ले लिया है।  इसका मतलब यह है कि अब बिना इजाजत सीबीआई पंजाब में किसी भी नए मामले की जांच नहीं कर सकेगी और उसे हर केस के लिए राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होगी। हाल ही में महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने भी सीबीआई से सामान्य सहमति वापस ले ली थी। इसी महीने झारखंड सरकार ने भी सीबीआई से यह सहमति वापस लेने की घोषणा की है।

सामान्य सहमति क्या है?

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के विपरीत, जो अपने स्वयं के एनआईए अधिनियम द्वारा शासित होती है और जिसका देशभर में अधिकार क्षेत्र है, सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम द्वारा शासित की जाती है। यह अधिनियम उसे किसी भी राज्य में जांच के लिए एक राज्य सरकार की सहमति को अनिवार्य करता है।

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