चंडीगढ़: लद्दाख की गलवां घाटी में इस साल जून माह में शहीद हुए पंजाब के तीन अविवाहित जवानों के विवाहित भाई-बहनों को सरकारी नौकरी मिलेगी। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में पंजाब सरकार ने नियमों में ढील देने को मंजूरी दी है। बता दें कि तीन में से दो जवान चीनी सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हुए थे जबकि तीसरा जवान वास्तविक नियंत्रण रेखा में गलवां नदी में गश्त के दौरान वीरगति को प्राप्त हुआ था। बता दें कि पहले नियमों के अनुसार शहीद के आश्रितों और उनके बच्चों या पत्नी को ही सरकारी नौकरी मिलती थी। लेकिन इन अविवाहित शहीदों के विवाहित भाई-बहनों को नौकरी देने के लिए कैबिनेट ने नियमों में महत्वपूर्ण संशोधन किया हैं। अब शहीद के विवाहित भाई-बहन भी नौकरी के हकदार होंगे।
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि तीनों जवानों के भाइयों ने राज्य सेवाओं में नियुक्ति के लिए आवेदन किया था लेकिन वे आश्रित की श्रेणी में नहीं आते थे और परिवारों में कोई अन्य उन पर आश्रित नहीं था। अब पंजाब सरकार ने एक अपवाद के तौर पर नियमों में ढील दी है। जिसके बाद इन विवाहित भाई-बहनों को सरकारी नौकरी मिलने का रास्ता खुल गया है।
पंजाब के पांच जवान हुए थे शहीद, तीन थे अविवाहित
15-16 जून 2020 की रात को लद्दाख की गलवां घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुए संघर्ष में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे। इनमें से चार पंजाब के थे। इनमें पंजाब के दो जवान सिपाही गुरतेज सिंह (23) और सिपाही गुरबिंदर सिंह (22) अविवाहित थे। इसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास गलवां नदी में गश्त के दौरान नाव पलटने से पटियाला के लांसनायक सलीम खान भी शहीद हुए थे। 23 वर्षीय सलीम खान भी अविवाहित थे। जबकि गलवां घाटी में ही नायब सूबेदार मनदीप सिंह और सतनाम सिंह भी चीनी सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हुए थे।