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कोलकाता: कोरोना संक्रमित मामलों का इलाज कर रहे अस्पतालों को पश्चिम बंगाल की सरकार ने शुक्रवार की रात को 11 निर्देश दिए हैं। राज्य में कोविड-19 को रोकने के लिए किए जा रहे ममता सरकार के प्रयासों की समीक्षा करने के लिए दिल्ली से गई टीमों की तरफ से सवाल उठाए जाने के महज कुछ घंटे बाद ही वहां के अस्पतालों को ये निर्देश दिए गए हैं। शनिवार की शाम तक पश्चिम बंगाल में 38 नए केस आने के बाद कोविड-19 के कुल मामले राज्य में बढ़कर 571 हो गए जबकि 18 लोगों की इस महामारी से मौत हो चुकी है।

राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार की शाम को मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल्स के प्रिंसिपल और सीनियर डॉक्टरों से मुलाकात की और रात को कई निर्देश जारी किए। इसमें कहा गया है कि कोई भी मरीज को इलाज से नहीं मना किया जाएगा और 12 घंटे में ही कोरोना का टेस्ट आना चाहिए। अभी काफी मात्रा में सैंपल होने के चलते इस प्रक्रिया में 2 से ज्यादा दिन लग रहे हैं। सरकार ने निर्देश दिया है कि अगर किसी मरीज को रेफर किया जाता है तो उसे एंबुलेस की सुविधा दी जानी चाहिए और बिना किसी देरी को मृतक को वॉर्ड से शिफ्ट किया जाना चाहिए।

यह निर्देश केन्द्रीय दल (आईएमसीटी) की तरफ से उठाए गए सवाल के बाद दिए गए हैं, जहां कोलकाता के बांगुर अस्पताल में एक मरीज बेड पर मृतक के पड़े शव को रिकॉर्ड कर लिया था। यह विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद सरकार ने अस्पताल के कोविड-19 वॉर्ड में मोबाइल फोन पर बैन लगा दिया है।

केन्द्रीय टीमों ने ममता सरकार पर उठाए सवाल

पश्चिम बंगाल में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा करने के लिए राज्य के दौरे पर पहुंची केंद्र सरकार की एक टीम ने शनिवार को कहा कि राज्य सरकार आवश्यक सहायता और अन्य जरूरी सूचनाएं देने में सहयोग नहीं कर रही है। वरिष्ठ अधिकारी अपूर्व चंद्रा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की अंतर-मंत्रालयी टीम ने मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को लिखे एक पत्र में यह भी जानने की इच्छा जताई कि दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होकर राज्य में लौटे व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें क्वारंटाइन में भेजने के लिए ममता बनर्जी सरकार ने क्या किया।

चंद्रा ने कहा कि टीम सोमवार को शहर में पहुंच गई थी लेकिन सिन्हा को लिखे पत्रों का जवाब अभी तक राज्य सरकार की ओर से नहीं मिला है। उन्होंने शनिवार को सिन्हा को लिखे दो पत्रों में से एक में कहा, “अभी तक राज्य सरकार को चार पत्र लिखे जा चुके हैं जिसका कोई जवाब नहीं मिला है।

मीडिया में आई खबरों के अनुसार पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने कहा है कि अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम कहीं भी जाने को स्वतंत्र है और राज्य सरकार उसके साथ जाकर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती।” चंद्रा ने कहा, “इस प्रकार की प्रतिक्रिया केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश का उल्लंघन है और राज्य सरकार से आवश्यक सहायता और सुविधा अपेक्षित है।”

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