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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में बहुमत के साथ सत्ता में आई तृणमूल कांग्रेस उप-चुनाव को लेकर काफी चिंतित दिखाई दे रही है। दरअसल, ममता बनर्जी चुनाव हारने के बाद भी मुख्यमंत्री बनी थीं। अब उन्हें छह महीने के अंदर किसी दूसरी सीट से चुनाव जीतकर कर आना होगा। दो मई को चुनावी परिणाम आए थे। ऐसे में अगर वह अगले ढाई महीने में विधायक नहीं बनीं, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। इसी के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को एक बार फिर चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने अपील की कि राज्य में जल्द से जल्द उपचुनाव कराया जाए।

टीएमसी नेता सौगत रॉय के नेतृत्व में टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचा था। इससे पहले भी दो बार तृणमूल नेता चुनाव आयोग से उपचुनाव कराने की सिफारिश कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी राज्य में बिना देरी किए उपचुनाव कराने की मांग कर चुकी हैं। इस बीच सौगत रॉय ने कहा कि हमने चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया है कि पश्चिम बंगाल में सात सीटों पर जल्द से जल्द उपचुनाव काराया जाए।

हावड़ा: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) नीति को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। बनर्जी ने दावा किया कि जिस संपत्ति को बेचने के लिए यह चाल चली जा रही है वह संपत्ति देश ही है, न कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की या भारतीय जनता पार्टी की। 

एनएमपी को एक चौंकाने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण फैसला करार देते हुए तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ने आरोप लगाया कि इन संपत्तियों की बिक्री से जुटाया जाने वाला रुपये चुनावों के दौरान विपक्षी पार्टियों के खिलाफ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूरा देश इसके खिलाफ उठ खड़ा होगा और इस जन विरोधी फैसला का विरोध करेगा। बनर्जी ने कहा, 'भाजपा को शर्म आनी चाहिए। किसी ने भी उन्हें देश की संपत्तियों को बेचने का अधिकार नहीं दिया है।'

ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय नबन्ना में मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हम केंद्र सरकार के इस चौंकाने वाले और दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय की निंदा करते हैं। ये संपत्तियां देश की हैं। ये मोदी की हैं न भाजपा की। वे (केंद्र सरकार) केवल अपनी इच्छा और सनक के आधार पर देश की संपत्तियों को नहीं बेच सकते हैं।'

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): पश्चिम बंगाल सरकार को पेगासस मामले की जांच के लिए जांच कमेटी गठित करने पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करना पड़ा है। दरअसल, ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति का गठन किया था। उनके इस कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इसी को लेकर बुधवार को बंगाल सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि जब तक पेगासस मामले में दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं करता, तब तक सरकार द्वारा गठित जांच समिति इसमें जांच शुरू नहीं करेगी। 

बंगाल सरकार के इस आश्वासन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी गठित करने के खिलाफ दायर याचिकाओं को पेगासस मामले की बाकी याचिकाओं में सामिल कर लिया। इन पर अब अगले हफ्ते सुनवाई तय की गई है। बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायामूर्ति मदन बी लोकुर और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योतिर्मय भट्टाचार्य को जांच आयोग का सदस्य बनाया है। इस आयोग के गठन की घोषणा राज्य सरकार ने पिछले महीने की थी।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर सभी राजनीतिक दल आम सहमति पर पहुंच जाते हैं तो वह राष्ट्रव्यापी जाति आधारित जनगणना को स्वीकार करेंगी। बनर्जी का यह बयान उस समय आया है जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने जाति आधारित जनगणना पर जोर देने के लिए नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। बनर्जी ने कहा, ‘‘जब चर्चा होगी और अगर आम सहमति बन जाती है, तो मुझे इसे स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं होगी। अगर सभी राजनीतिक दल और राज्य आम सहमति पर पहुंचते हैं, तो मैं नहीं लडूंगी। राजनीतिक दलों, मुख्यमंत्रियों और केंद्र सरकार को आम सहमति पर पहुंचने दें।''

उन्होंने इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ कहने से इंकार करते हुए कहा कि एक राज्य से दूसरे राज्य में भावनाएं अलग-अलग होती हैं। बनर्जी ने कहा, ‘‘नीतीश जी ने इस मुद्दे पर अपने सवाल रखे हैं। देखते हैं कि इस पर दूसरे लोग क्या प्रतिक्रिया देते हैं।''

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