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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के वाम-कांग्रेस गठबंधन ने अपने कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों के बीच राज्य में तृणमूल कांग्रेस की नई सरकार के शपथ-ग्रहण समारोह में ‘‘करोड़ों रूपए खर्च’’ करने को लेकर आज (शुक्रवार) तृणमूल कांग्रेस की आलोचना की । माकपा के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने ट्वीट किया, ‘‘एक तरफ बंगाल में खून बह रहा है और दूसरी तरफ शपथ-ग्रहण के नाम पर जनता के करोड़ों रूपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं । कितने करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं ।’’ विपक्षी कार्यकर्ताओं पर किए जा रहे हमले तुरंत बंद करने की मांग करते हुए मिश्रा ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘तड़क-भड़क के बीच मुख्यमंत्री शपथ ले रही हैं । उनके गुंडों ने हल्दिया से विधायक तापसी मंडल के घर में बम फेंके, एक ऐसी विजेता जिसे 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले । लोकतंत्र ।’’ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यदि विपक्षी कार्यकर्ताओं पर हमले नहीं हुए होते तो कांग्रेस ने शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया होता । चौधरी ने कहा, ‘‘यदि हमारे कार्यकर्ताओं पर हमले नहीं होते तो हमने समारोह में हिस्सा लिया होता । बहिष्कार करने का हमारा फैसला विपक्षी कार्यकर्ताओं पर हमले के विरोध में लिया गया था ।’’

कोलकाता: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला उस वक्त विवाद से घिर गए, जब ममता बनर्जी के शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रगान बजने के दौरान वह फोन पर बात करते हुए कैमरे में कैद हो गए। शपथ ग्रहण के समारोह स्थल पर पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव वासुदेव बनर्जी ने सभी से राष्ट्रगान के लिए खड़े होने के लिए आग्रह किया। जब लोग राष्ट्रगान के लिए सावधान की मुद्रा में खड़े थे, तब यह नजर आया कि नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष अब्दुल्ला फोन पर बातचीत कर रहे हैं। उनके बगल में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद खड़े थे। इस मामले पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी ने कहा, 'मैं नहीं जानती कि क्या हुआ। परंतु जब राष्ट्रगान होता है तो हमें सावधान की मुद्रा में खड़े होने चाहिए।' ममता के शपथ ग्रहण समारोह में वित्तमंत्री अरुण जेटली, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, द्रमुक नेता कनिमोई तथा कई अन्य शामिल हुए।

कोलकाता: गैर भाजपा और गैर कांग्रेस दलों के कुछ नेताओं ने भाजपा को चुनौती देने के लिए शुक्रवार को केंद्र में एक ‘संघीय मोर्चा’ बनाने का सुझाव दिया और कहा कि इस तरह की संभावना पर चर्चा के लिए वे बैठक कर सकते हैं। लगातार दूसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पद का शपथ लेने वाली तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इस विचार का समर्थन करते हुए कहा कि समान सोच वाले दल अगर इस तरह का मोर्चा बनाते हैं तो वह उसे समर्थन देंगी। शपथ ग्रहण समारोह में यहां शिरकत करने आए लालू प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा, ‘भाजपा को हराना जरूरी है क्योंकि पार्टी और संघ परिवार देश को विभाजित करना चाहता है। मोदी सरकार में विकास नहीं हो रहा।’ उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष और समान सोच वाली पार्टियों को साथ बैठकर भाजपा के खिलाफ एक मोर्चा बनाने के लिए बातचीत करनी होगी। नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र में एक संघीय मोर्चा बनाने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘समान सोच वाले कई दल व नेता हैं और ममता बनर्जी उनमें से एक हैं। लोकतंत्र और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने के लिए यह महान दिन है।’ बहरहाल, इस पर प्रतिबद्धता व्यक्त करने से बचते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, ‘हम यहां उन्हें बधाई देने आए हैं। यह हम सबके लिए और लोकतंत्र के लिए महान दिन है।’

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज (शुक्रवार) लगातार दूसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पद की शपथ लीं। राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण का भव्य समारोह कोलकाता के रेड रोड पर आयोजित किया गया। उनके कैबिनेट के 41 मंत्रिओं ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में राजनीति के कई बड़े चेहरे मौजूद थे, जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव शामिल हैं ममता मंत्रिमंडल में शामिल किये गए नये चेहरों में पूर्व भारतीय क्रिक्रेटर लक्ष्मी रतन शुक्ला, सोवनदेब चट्टोपाध्याय, कोलकाता के महापौर सोवन चटर्जी, अबनी मोहन जोरदर, अब्दुर रज्जाकम मुल्ला, सुवेंदु अधिकारी, रवींद्रनाथ घोष, चामूमनि महतो, जेम्स कुजुर , सिद्दिकुल्ला चौधरी, आसिमा पात्रा आदि हैं। गौरतलब है कि 19 मई को आए राज्य के विधानसभा चुनाव रिजल्ट में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई थी। 2011 में 34 साल बाद लेफ्ट को राज्य से उखाड़ फेंकने वाली ममता बनर्जी ने अपनी सत्ता कायम रखी। 200 से ज्यादा सीटें लाकर उन्होंने सभी विरोधियों को पीछे छोड़ दिया।

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