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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 50 प्रतिशत के आरक्षण के प्रावधान को बढ़ाए जाने के संविधान संशोधन और निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की वकालत किए जाने के एक दिन बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी रविवार को कहा कि इसके लिए शुरू से वे संघर्ष कर रहे हैं। पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान लालू ने कहा कि शुरू से वे संघर्ष करते रहे हैं कि निजी क्षेत्रों में भी आरक्षण को लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए कितनी बैठकें हुई, लेकिन उद्योगपतियों ने बहाना बनाकर इससे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि नौकरी की संभावना सबसे अधिक निजी क्षेत्र में है, इसलिए उसमें आरक्षण मिलना चाहिए। उल्लेखनीय है कि शनिवार को नीतीश ने कहा था कि आज की परिस्थिति में 50 प्रतिशत के आरक्षण के प्रावधान को संविधान संशोधन कर बढ़ाया जाना चाहिए और केवल सरकारी क्षेत्र में ही क्यों, निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू होना चाहिए। वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने रविवार को कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर वे सिद्धांत रूप से सहमत हैं, लेकिन इसमें कई कानूनी पेचीदीगियां हैं।

नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आज (रविवार) जेडीयू का नया अध्यक्ष निर्वाचित किया गया है। इस पहल के जरिए नीतीश कुमार का पार्टी पर अब पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो गया है। बिहार से बाहर पार्टी के प्रसार की कोशिशों और 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में रविवार को नीतीश कुमार को इस शीर्ष पद के लिए सर्वसम्मति से चुना गया। नीतीश इस पद का प्रभार वरिष्ठ नेता शरद यादव से ग्रहण कर रहे हैं जो एक दशक तक अध्यक्ष पद पर रहे। शरद ने इस पद के लिए चौथी बार दावेदारी नहीं करने का निर्णय किया था। नीतीश पहली बार जेडीयू अध्यक्ष चुने गए हैं जो बिहार में पार्टी का चेहरा रहे हैं। इससे पहले जॉर्ज फर्नांडिस और शरद यादव पार्टी अध्यक्ष रह चुके हैं, जो बिहार से बाहर के थे हालांकि उनकी कर्मभूमि बिहार ही रही। राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक के बाद नेताओं ने बताया कि बैठक में नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव शरद यादव ने किया और पार्टी महासचिव के.सी. त्यागी के साथ जावेद रजा एवं अन्य नेताओं ने इसका समर्थन किया। त्यागी ने बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में समान विचारधाराओं वाली पार्टियों को साथ लाने के प्रयासों के बारे में बताया और नई जिम्मेदारी को स्वीकार किया।

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को भाजपा नीत केंद्र की राजग सरकार पर कटाक्ष करते हुए 50 प्रतिशत के आरक्षण के प्रावधान को बढ़ाए जाने के संविधान संशोधन और निजी क्षेत्र में भी आरक्षण देने की वकालत की। बिहार विधान परिषद सभागार में आयोजित एक समारोह के दौरान अमेरिका के शिकागो स्थित पेरियार इंटरनेशनल की ओर से सामाजिक न्याय के लिए 2015 का वीरमणि अवार्ड ग्रहण करते हुए नीतीश ने कहा कि जिस प्रकार से 1915 के उत्पाद एवं मद्य निषेध कानून को पर्याप्त नहीं पाए जाने पर हम लोगों ने संशोधन किया, इसी प्रकार आज की परिस्थिति में 50 प्रतिशत के आरक्षण के प्रावधान को संविधान संशोधन कर बढ़ाया जाना चाहिए और केवल सरकारी क्षेत्र में क्यों निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मुझे जनता ने जो दायित्व दिए हैं, मैं उसे निभाना चाहता हूं लेकिन यह नहीं है कि देश के विकास के लिए अपने कर्तव्यों से दूर रहूंगा। जब भी कोई ज्वलंत मुद्दा आएगा तो सामने आऊंगा। चाहे रोहित बेमुला की आत्महत्या का मामला हो या डा अयूब द्वारा उठाए गए दलित मुसलमानों के आरक्षण का मामला, मेरे द्वारा इन मुद्दों पर अपना स्पष्ट विचार रखा गया है।’ नीतीश ने कहा ‘मैंने 14वीं लोकसभा चुनाव के समय दलित मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने का मुद्दा उठाया था। मैंने उस वक्त लोकसभा में कहा था कि अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग के लोग किसी भी धर्म से हो सकते हैं।

पटना: बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव के घर के बाहर खड़ी आधुनिक उपकरणों से लैस एक एंबुलेंस को आलोचनाओं के बाद हटा दिया गया। यह एंबुलेंस 108 सेवा के अधीन आती है। एक वेंटिलेटर, इको-कार्डियोग्राफ मशीन, डिफाइब्रिलेटर और अर्धचिकित्साकर्मियों से लैस यह एंबुलेंस पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आधिकारिक घर 10, सर्कुलर रोड के बाहर खड़ी रहती थी। तेज प्रताप यहां अपने माता पिता के साथ रहते हैं। पटना के सिविल सर्जन वीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि एंबुलेंस 10, सकरुलर रोड से हटा ली गई है। इससे पहले तेज प्रताप ने कहा, 'यह घर पर मुझसे मिलने आने वाले लोगों की सेवा के लिए तैनात थी।' प्रधान स्वास्थ्य सचिव आर के महाजन ने भी ऐसे ही विचार रखते हुए कहा कि यह आम आदमी के लिए थी जो मंत्री के घर जाने के दौरान तपती धूप के कारण स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ से पीड़ित होने पर सेवा देती। नियमों के अनुसार एंबुलेंस केवल राज्यपाल और मुख्यमंत्री के घरों में ही तैनात हो सकती है और उनके काफिले का हिस्सा हो सकती है।

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