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नई दिल्‍ली: बिहार जातिगत गणना के आंकड़े सार्वजनिक करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ता ने डेटा को सार्वजनिक करने पर जताई आपत्ति जताई है। श‍िकायत में कहा गया है कि इस मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के दौरान डेटा कैसे जारी किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में जल्‍द सुनवाई की मांग की गई है। कोर्ट ने तय किया है कि इस मामले में 6 अक्‍टूबर को सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मामले पर अभी हम कुछ नहीं कह सकते हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट जातिगत गणना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस मामले में जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच सुनवाई कर रही है। हालांकि, बेंच ने पहले ही गणना पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। साथ ही डेटा सार्वजनिक करने पर भी कोई रोक नहीं लगाई थी। हालांकि, इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने जातिगत गणना की इजाजत दे थी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं।

पटना: बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना के आंकड़ों को सार्वजनिक कर दिया। किस जाति और धर्म के लोगों की कितनी आबादी है, इसका भी आंकड़ा जारी कर दिया है। गांधी जंयती के मौके पर जाति आधारित आंकड़े जारी करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई।

नीतीश बोले- सभी वर्ग का विकास होगा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी और 2 जून 2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है। जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है।

पटना: बिहार में हुई जाति आधारित गणना की रिपोर्ट सोमवार (02 अक्टूबर) को जारी कर दी गई। गांधी जयंती के मौके पर बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव बैठे विवेक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी की है। जाति आधारित गणना को लेकर बिहार में खूब बवाल मचा था। हाई कोर्ट से लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था।

बिहार में हुई जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में पिछड़ा वर्ग 27.13% है। अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01%, सामान्य वर्ग 15.52% है। बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है।

अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने कहा एक जून 2022 को सर्वदलीय बैठक में बिहार में जाति आधारित गणना कराने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया था। इसके बाद दो जून 2022 को राज्य मंत्री परिषद द्वारा दिए गए निर्णय के आधार पर राज्य में जाति आधारित गणना को दो चरणों में फरवरी 2023 तक संपन्न करने का निर्णय लिया गया था।

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक सोमवार को हुई। इसमें दस एजेंडों पर मुहर लगी है। बिहार में कुल 28 यातायात थानों के लिए 849 पद सृजन की स्वीकृति कैबिनेट में की गई है। 28 यातायात में कुल 4215 पद की जरूरत थी, जिसमें 3366 पदों पर नियुक्ति हो चुकी थी। 849 पद की नियुक्ति के लिए आज स्वीकृति मिल गई। कुल मिलाकर अब राज्य के सभी जिलों में यातायात थाना की स्वीकृति हो गई है। वहीं, इसके अलावा इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, (आईजीआईएमएस) पटना में मरीजों को अब मुफ्त में दवा एवं सभी प्रकार चिकित्सा सुविधा मिलेगी। बिहार कैबिनेट में आज इसकी भी मंजूरी मिल गई है।

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के डीलक्स बेड में कोई छूट नहीं मिलेगी

अब इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज करने के लिए दवा और चिकित्सा संबंधी सभी सुविधा मुफ्त मिलेगी। इसकी आपूर्ति बिहार चिकित्सा सेवा एवं आधारभूत संहिता नियम लिमिटेड के द्वारा आईजीआईएमएस में करवाया जाएगा। इसकी मंजूरी आज कैबिनेट में मिल गई है।

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