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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मंगलवार को विधानसभा में महिलाओं को लेकर दिया गया एक बयान वायरल हो रहा है। उन्होंने बिहार विधानसभा में जातीय गणना पर बोलते समय शादीशुदा जोड़े के फिजिकल रिलेशन पर ऐसा अमर्यादित बयान दिया, जिसे लेकर महिला विधायक भी झेंप गईं। बीजेपी समेत अन्य नेताओं ने नीतीश कुमार को घेरा है। जबकि, नीतीश कुमार के जूनियर और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव उनके बचाव में उतर आए हैं।

तेजस्वी यादव बोले- इसे सेक्स एजुकेशन की तरह देखें

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार का बचाव किया है। तेजस्वी ने कहा, "कोई गलत मतलब निकालता है, तो गलत बात है। एक तरह से मुख्यमंत्री का बयान आया, वो सेक्स एजुकेशन के बारे में था। जब भी सेक्स एजुकेशन की बात की जाती है, तो लोग शर्माते हैं। इससे लोगों को बचना चाहिए। अब तो स्कूलों में इसकी पढ़ाई होती है। साइंस बायोलॉजी में भी पढ़ाते हैं। नीतीश अपने बयान में सेक्स एजुकेशन की बात कर रहे थे। उन्होंने बर्थ कंट्रोल की बात की। इसे लोगों को गलत तरीके से नहीं लेना चाहिए।"

पटना: बिहार में जाति गणना रिपोर्ट जारी होने के बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाने की कवायद तेज हो गई है। नीतीश कुमार सरकार ने विधानसभा में आरक्षण का दायरा 50% से बढ़ाकर 65% करने का प्रस्ताव पेश किया है। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार सरकार ने ओबीसी और ईबीसी वर्ग के लिए ये प्रस्ताव पेश किया है।

इस प्रस्ताव के मुताबिक, अनुसूचित जाति (एससी) को फिलहाल 16 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 20 फीसदी किया जाएगा। अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 1 फीसदी से बढ़ाकर 2 फीसदी किया जाएगा। अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलाकर 43 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। पहले महिलाओं को 3 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था, जिसे अब खत्म कर दिया गया है।

बिहार विधानसभा में मंगलवार को देश का पहला जातिगत आर्थिक सर्वे पेश किया गया। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किस वर्ग और किस जाति में कितनी गरीबी है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछड़ा वर्ग के 33.16%, सामान्य वर्ग में 25.09%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58%, एससी के 42.93% और एसटी 42.7% गरीब परिवार हैं।

पटना: महागठबंधन सरकार द्वारा कराए गए जातीय सर्वे में चौकाने वाले आंकड़ा सामने आए हैं।बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। सत्र के शुरू होते ही सदन के पटल पर जाति आधारिक गणना की आर्थिक रिपोर्ट पेश कर दी गई। जातीय-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 34 प्रतिशत परिवारों की मासिक आमदनी मात्र छह हजार रुपये महीना है।

रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार में पिछड़ा वर्ग में 33.16%, सामान्य वर्ग में 25.09%, अति पिछड़ा वर्ग में 33.58%, अनुसूचित जाति वर्ग (एससी) में 42.93% और अनुसूचित जनजाति वर्ग (एसटी) में 42.7% गरीब परिवार हैं। सामान्य वर्ग में भूमिहार सबसे ज्यादा 25.32% परिवार, ब्राह्मण में 25.3% परिवार, राजपूत में 24.89% परिवार, कायस्थ में 13.83% परिवार, शेख 25.84% परिवार, पठान (खान ) 22.20% परिवार और सैयद 17.61% परिवार गरीब हैं।

इससे पहले विधानसभा परिसर में जाति आधरित गणना के आंकड़ो पर चर्चा शुरू हो गई थी। गणना के कुछ आंकड़े सार्वजनिक हो गए हैं।

पटना: जातिगत जनगणना के आंकड़ों को लेकर बीजेपी और आरजेडी के बीच आरोप प्रत्यारोप देखने को मिल रहा है। बीजेपी नेता और गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को बिहार में एक सभा को संबोधित करते हुए नीतीश सरकार के जातिगत आंकड़ों पर सवाल खड़ा किया और उन्होंने कहा कि मुस्लिमों और यादवों की आबादी को बढ़ाकर दिखाया गया है। अमित शाह के बयान पर अब उपमुख्यमत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने पलटवार किया है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर बिहार के जातीय सर्वे के आंकड़े गलत है तो केंद्र सरकार पूरे देश और सभी राज्यों में जातीय गणना करा अपने आंकड़े जारी क्यों नहीं करती?

तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि बीजेपी शासित राज्यों में बीजेपी जातिगत गणना क्यों नहीं कराती? केंद्र सरकार में कितने ओबीसी/एससी/एसटी कैबिनेट मंत्री है और कितने गैर ओबीसी/एससी/एसटी? सूची जारी करें। खानापूर्ति के लिए इक्का-दुक्का मंत्री है भी तो उन्हें गैर-महत्त्वपूर्ण विभाग क्यों दिया हुआ है? बीजेपी के कितने मुख्यमंत्री ओबीसी/एससी/एसटी है? पिछड़ा और गैर-पिछड़ा मुख्यमंत्री का तुलनात्मक प्रतिशत बताएँ?

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