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नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी कथित ‘दोहरी नागरिकता’ के मुद्दे पर लोकसभा की एक समिति की ओर से भेजे गए नोटिस का जवाब दाखिल कर दिया है। अपने जवाब में राहुल ने एक ऐसी शिकायत का संज्ञान लेने के समिति के फैसले पर सवाल उठाए जो सही नहीं थी।’ उन्होंने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी को भी इस बात की चुनौती दी कि वह उनका ब्रिटिश पासपोर्ट नंबर और अन्य संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक करें। भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता वाली आचार समिति की ओर से भेजे गए नोटिस के जवाब में राहुल ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता ने इस मुद्दे पर ‘सरासर गुमराह’ किया है। समिति सचिवालय को 23 मार्च को दिए गए अपने जवाब में कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, ‘मुझे हैरत हो रही है कि आचार समिति ने एक ऐसी शिकायत का संज्ञान लिया जो सही नहीं है । यह मुझे बदनाम करने की कोशिश है। मैंने न तो कभी ब्रिटिश नागरिकता मांगी है और न ही कभी ली है। मेरी पहचान एक भारतीय की है।’ इस वाकये से करीबी तौर पर जुड़े सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने मांग की कि शिकायतकर्ता अपना आरोप साबित करने के लिए सबूत पेश करें और अपनी दलीलों के समर्थन में एक हलफनामा दाखिल करे।

वाशिंगटन: बेल्जियम की यात्रा संपन्न करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को चौथे परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन (एनएसएस) में शामिल होने के लिए वाशिंगटन पहुंच गए। इस सम्मेलन में वह एक अप्रैल को परमाणु सुरक्षा के संदर्भ में कुछ अहम घोषणाएं करेंगे और प्रस्ताव रखेंगे। भारत इस सम्मेलन में परमाणु सुरक्षा पर राष्ट्रीय प्रगति रिपोर्ट सौंपेगा। एनएसएस ओबामा द्वारा शुरू किया गया एक द्विवार्षिक कार्यक्रम है। इस शिखर सम्मेलन में इस साल 53 देशों के नेता और राजदूत सहित चार अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, जिनका उद्देश्य परमाणु सुरक्षा में सुधार लाना व वैश्विक परमाणु सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी वाशिंगटन पहुंच गए हैं। वह शुक्रवार को पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे। इस दौरान वह इस क्षेत्र में चीन के नए कदमों और उपलब्धियों को रखेंगे और वैश्विक परमाणु सुरक्षा बढ़ाने के लिए व्यवाहारिक प्रस्तावों को रखेंगे।प्रधानमंत्री अमेरिका के दौरे के बाद दो अप्रैल को दो दिवसीय यात्रा पर सऊदी अरब की राजधानी रियाद जाएंगे।

ब्रसेल्स: पिछले सप्ताह यहां हुए आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद से विश्व के समक्ष उत्पन्न खतरों को रेखांकित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र को ऐसी बड़ी चुनौतियों से निपटना चाहिए । ऐसा न कर पाने की स्थिति में यह वैश्विक संस्था अप्रासंगिक हो सकती है। यहां भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र अब तक आतंकवाद को परिभाषित करने में असमर्थ है। यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि आतंकवाद को मदद या शरण देने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहने वाले प्रस्ताव पर कानून बनाने में भी यह सक्षम नहीं हो पाया है। आतंकवाद को धर्म से हटाकर देखे जाने की जरूरत पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि इस खतरे ने पूरी मानवता के खिलाफ चुनौती पेश की है और जो लोग मानवता में यकीन रखते हैं, उन्हें मिलकर इससे लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को सिर्फ बंदूकों से नहीं हराया जा सकता, इसके लिए समाज में एक ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है, जो यह सुनिश्चित करे कि युवा चरमपंथ का शिकार नहीं बनें। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व आतंकवाद के असर को सिर्फ अब महसूस कर रहा है जबकि भारत इस खतरे का सामना पिछले 40 साल से भी अधिक समय से कर रहा है।

नई दिल्ली: देश के 12 राज्यों में सूखे के हालात को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कुछ अहम सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि क्या केंद्र सरकार राज्य सरकार को ये आदेश दे सकता है कि आप राज्य के इस हिस्से को सूखा घोषित करें और क्या राज्य सरकार इसको मानने के लिए बाध्य है ? न्यायालय द्वारा उठाए गए अहम सवाल यह हैं कि क्या कोर्ट किसी राज्य सरकार को ये कहा सकता है कि आप इन मानदंडों के तहत राज्य के इस हिस्से को सूखाग्रस्त घोषित करें? मनरेगा पर कोर्ट ने कहा कि क्या कोर्ट राज्य सरकार को डिजास्टर रिलीफ फंड का पैसा मनरेगा में इस्तेमाल करने की इजाज़त दे सकता है? कोर्ट ने ये भी कहा कि कोई मंत्री अपने निजी हित के लिए किसी राज्य के हिस्से को सूखाग्रस्त घोषित कर देता है तो क्या कोर्ट इस पर अंकुश लगा सकता है? कोर्ट ने कहा कि हमने ऐसे कई मामले देखे हैं, जिनमें नेता अपने निजी हित के लिए ऐसा करते हैं। कोर्ट ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के वक्त मंत्री पैसा बांट देते हैं।

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