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नई दिल्ली: देश के 12 राज्यों में सूखे के हालात को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कुछ अहम सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि क्या केंद्र सरकार राज्य सरकार को ये आदेश दे सकता है कि आप राज्य के इस हिस्से को सूखा घोषित करें और क्या राज्य सरकार इसको मानने के लिए बाध्य है ? न्यायालय द्वारा उठाए गए अहम सवाल यह हैं कि क्या कोर्ट किसी राज्य सरकार को ये कहा सकता है कि आप इन मानदंडों के तहत राज्य के इस हिस्से को सूखाग्रस्त घोषित करें? मनरेगा पर कोर्ट ने कहा कि क्या कोर्ट राज्य सरकार को डिजास्टर रिलीफ फंड का पैसा मनरेगा में इस्तेमाल करने की इजाज़त दे सकता है? कोर्ट ने ये भी कहा कि कोई मंत्री अपने निजी हित के लिए किसी राज्य के हिस्से को सूखाग्रस्त घोषित कर देता है तो क्या कोर्ट इस पर अंकुश लगा सकता है? कोर्ट ने कहा कि हमने ऐसे कई मामले देखे हैं, जिनमें नेता अपने निजी हित के लिए ऐसा करते हैं। कोर्ट ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के वक्त मंत्री पैसा बांट देते हैं।

ऐसे में क्या उसके लिए नियम बनाए जाने चाहिए? इस मामले में याचिकाकर्ता ने कहा कि जिन किसानों ने ज्यादा लोन लिया है उनको लोन चुकाने की मोहलत एक साल तक बढ़ा दी जाए। इसके अलावा सूखा प्रभावित लोगों को जरुरत की सामग्री दी जाए। इस मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट स्वराज अभियान की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिका में मांग की गई है कि देश के 12 राज्य भीषण सूखे की चपेट में हैं और ऐसे में लोगों को सूखे से निजात दिलाने के लिए राज्यों के साथ केंद्र सरकार को भी उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया जाना चाहिए।

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