नई दिल्ली: संसद की आचार समिति विजय माल्या द्वारा राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के बाद भी शराब कारोबारी को उच्च सदन से निष्कासित करने की सिफारिश करेगी। वहीं राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने उनका इस्तीफा प्रक्रियागत आधार पर अस्वीकार कर दिया है। माल्या राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य हैं। अंसारी के ओएसडी गुरदीप सिंह सप्पल ने राज्यसभा महासचिव के पत्र का जिक्र करते हुए ट्विटर पर कहा, 'हामिद अंसारी, सभापति, राज्यसभा, विजय माल्या का इस्तीफा स्वीकार नहीं करते। महासचिव राज्यसभा ने माल्या को लिखा है कि उनका त्यागपत्र प्रक्रियाओं के अनुरूप नहीं है और इस पर वास्तविक हस्ताक्षर नहीं हैं।' उन्होंने कहा, 'राज्यसभा प्रक्रियाओं के नियम 213 के अनुरूप त्यागपत्र स्वेच्छापूर्ण और वास्तवकि होना चाहिए।' वहीं सूत्रों ने बताया कि समिति में इस फैसले पर आम सहमति थी कि 9,400 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज चूक का सामना कर रहे माल्या को अब उच्च सदन में और नहीं रहने देना चाहिए। समिति ने अपने नोटिस पर माल्या के जवाब को संतोषजनक नहीं पाया। सूत्रों ने बताया कि समिति बुधवार को राज्यसभा में अपनी रिपोर्ट रखेगी। किसी भी सांसद की सदस्यता खत्म करने के लिए सदन में इस आशय का प्रस्ताव लाना और इसे मंजूरी दिया जाना आवश्यक होता है।
समिति के अध्यक्ष कर्ण सिंह ने बैठक के बाद हालांकि, यह कहकर विस्तृत ब्यौरा देने से इनकार कर दिया कि समिति का प्रमुख होने के नाते बैठक में हुए फैसले के बारे में घोषणा करना उनके लिए उचित नहीं होगा। सिंह ने इस सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या समिति अब भी माल्या के निष्कासन की सिफारिश कर सकती है। माल्या ने उनके निष्कासन पर आचार समिति द्वारा फैसला किए जाने से एक दिन पहले सोमवार को फैक्स के जरिये राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को अपना इस्तीफा भेज दिया था। उनके निष्कासन के मुद्दे पर समिति की 25 अप्रैल को हुई पिछली बैठक में आम सहमति थी। सिंह ने आगे कहा कि आज की बैठक में भी फैसले पर आम सहमति थी। यह पूछे जाने पर कि जब माल्या पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं, तो क्या समिति के पास अब कोई गुंजाइश बची है, सिंह ने कहा, 'नि:संदेह गुंजाइश है। (इस्तीफा) स्वीकार होने तक वह अब भी सदन के सदस्य हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि समिति बुधवार को उच्च सदन के समक्ष अपनी सिफारिश रखेगी। बार-बार यह पूछे जाने पर कि क्या माल्या के निष्कासन की सिफारिश करने के अलावा समिति के पास कोई अन्य विकल्प बचा है, क्योंकि समिति ने अपनी पिछली बैठक में ऐसा करने का फैसला किया था, सिंह ने कहा, 'आचार समिति केवल सिफारिश करती है। समिति की रिपोर्ट सदन की संपत्ति है।'