नई दिल्ली: कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के कयास को खारिज किया है। पार्टी ने कहा कि वह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे। इसे चुनावी रणनीतिकारी प्रशांत किशोर के लिए झटका माना जा रहा है। प्रशांत यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए राहुल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोमवार को कहा, प्रशांत ने क्या कहा, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। राहुल गांधी लोकसभा सांसद हैं। वह पार्टी के उपाध्यक्ष हैं। हम सभी उम्मीद करते हैं कि 2016 में वह कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालेंगे। कांग्रेस के इस रुख को प्रशांत के लिए झटका माना जा रहा है। प्रशांत यूपी और पंजाब चुनाव में कांग्रेस के प्रचार अभियान का जिम्मा संभाल रहे हैं। वहीं खुद राहुल गांधी ने भी यूपी के सीएम पद के उम्मीदवार बनने संबंधी कयास पर अनभिज्ञता जताई है। यूपी के साथ पंजाब में भी प्रशांत किशोर की रणनीति को झटका लगा है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एच.एस. फुलका का कहना है कि प्रशांत ने 2017 विधानसभा चुनाव का घोषणा पत्र में सिख विरोधी दंगों से निपटने के बारे में सुझाव मांगे थे।
हालांकि प्रशांत की टीम ने इस तरह की खबरों से इनकार कर दिया। लेकिन एचएस फुलका ने प्रशांत के करीबी डाॠ. बिपिन झा का एसएमएस सार्वजनिक कर दिया। एक मई को भेजे गए एसएमएस में जस्टिस फार सिख के बारे में उनके सुझाव मांगे गए। इससे प्रशांत की काफी किरकिरी हुई। राहुल गांधी को काफी दिनों से अध्यक्ष बनने के कयास लगाए जाते रहे हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद कोई चुनाव नहीं है। ऐसे में राहुल पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालकर अगले लोकसभा चुनाव के लिए संगठन को मजबूत कर सकते हैं। पार्टी उपाध्यक्ष होने के नाते संगठन से जुड़े ज्यादातर फैसले राहुल गांधी ले रहे हैं। संसद सत्र में सदन के अंदर पार्टी की रणनीति तय करने में भी उनकी अहम भूमिका होती है।