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नई दिल्ली: जम्मू एवं कश्मीर में फिदायीन आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के आठ जवानों के शहीद होने के बाद रविवार को सरकार ने कहा कि एक केंद्रीय दल राज्य का दौरा करेगा। इस दल का मकसद सीमापार से आतंकियों की घुसपैठ रोकने की संभावना तलाशना है। गृह मंत्रालय के एक बयान में यहां कहा गया है कि इस दल में सचिव (सीमा प्रबंधन) सुशील कुमार, विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) महेश कुमार सिंगला और संयुक्त सचिव (कश्मीर) ज्ञानेश कुमार होंगे। यह दल मंगलवार को राज्य का दौरा करेंगे। बयान में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस टीम को जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा है। अधिकारियों ने बताया कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने शनिवार को पुलवामा जिले में श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीआरपीएफ के जवानों की बस पर गोलीबारी की जिसमें आठ जवान शहीद हो गए और 22 अन्य घायल हैं।
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नई दिल्ली: आपातकाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने आज (रविवार) आरोप लगाया कि मोदी शासनकाल में देश में ‘‘अघोषित आपातकाल’’ है । पार्टी प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने अरूणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में केंद्र की भूमिका को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये ‘‘लोकतंत्र के दमन के उदाहरण’’ हैं । वडक्कन ने कहा, ‘‘मौजूदा सरकार ने आज आपातकाल पर यह बहस शुरू की है । मैं शुरूआत में ही कह दूं कि यह देश एक अघोषित आपातकाल से गुजर रहा है ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक अघोषित आपातकाल है । मैं आपको यह भी याद दिला दूं कि जब आडवाणी जी ने आपातकाल की प्रवृतियां अब भी मौजूद होने की बात कही थी, तो वह इस तथ्य की ओर साफ तौर पर इशारा कर रहे थे कि यह सरकार आपातकाल घोषित करने में सक्षम है ।’’ वडक्कन एक साल पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की ओर से दिए गए इस बयान का जिक्र कर रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि अब ‘‘लोकतंत्र को कुचलने वाली ताकतें पहले से ज्यादा मजबूत हो गई हैं’’ और आपातकाल संभव है । देश में ‘‘अलिखित, अघोषित आपातकाल’’ होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मौजूदा शासनकाल में ‘‘संविधान के लिए अनादर, चुनी हुई सरकारों को गिराकर लोकतंत्र के दमन, असहमति के अधिकार को छीनने’’ की प्रवृतियां हैं ।
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नई दिल्ली: परमाणु आपूर्तिकर्ता के समूह (एनएसजी) में शामिल होने के प्रारंभिक प्रयास में अड़चन आने के बावजूद भारत को पूरा भरोसा है कि वह इसकी सदस्यता हासिल कर लेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि हम परमाणु आपूतिकर्ता देशों के समूह में शामिल हो जाएंगे क्योंकि एक देश को छोड़कर किसी ने हमारे दावे का विरोध नहीं किया है। उन्होंने कहा कि सोल में हाल में सम्पन्न हुए पूर्ण अधिवेशन से हमें यह संदेश मिला है कि हमें अपने प्रयासों में और तेजी लानी होगी। एनएसजी में भारत के शामिल होने पर लगभग आम सहमति बन गयी थी। स्वरूप ने सोल में भारतीय कूटनीति के विफल रहने की बात से असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि कूटनीति निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है और किसी भी अंतरराष्ट्रीय समूह में शामिल होने के लिए सर्वसम्मति बनाने में समय लगता है। उन्होंने इस संबंध में शंघाई सहयोग संगठन और मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण प्रणाली का उल्लेख किया, जिसमें भारत लंबे प्रयास के बाद प्रवेश कर पाया। स्वरूप ने कहा कि एक (चीन) को छोड़कर किसी भी देश ने भारत के दावे का विरोध नहीं किया। उनमें से कुछ ने केवल प्रक्रियागत मुद्दे उठाए थे। यदि एक देश ने हमारे दावे का विरोध नहीं किया होता तो सोल में ही निर्णय हो जाता। उन्होंने कहा कि भारत चीन को यह संदेश देना जारी रखेगा कि सहयोग और संबंध दोतरफा प्रक्रिया हैं।
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नई दिल्ली: कांग्रेस ने रविवार को पंजाब में कमलनाथ की जगह पार्टी सचिव आशा कुमारी को एआईसीसी प्रभारी नियुक्त किया लेकिन जमीन कब्जाने के एक मामले में उनके दोषी होने को लेकर उन्हें इस पद पर चुने जाने पर विवाद शुरू हो गया। इससे पहले कमलनाथ ने 1984 के सिख-विरोधी दंगों में कथित भूमिका को लेकर भाजपा, अकाली दल और आप के विरोध के बाद पिछले दिनों यह जिम्मेदारी छोड़ दी थी। हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से विधायक कुमारी को इस साल फरवरी में चांबा की एक अदालत ने एक साल के कैद की सजा सुनाई थी लेकिन वह फिलहाल जमानत पर हैं। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमलनाथ को इसी महीने इस पद पर नियुक्ति के तीन दिन के भीतर जिम्मेदारी छोड़नी पड़ी थी। आशा कुमारी पार्टी में अनेक जिम्मेदारियां निभा चुकी हैं। पार्टी सूत्रों ने पहले कहा था कि पंजाब में किसी मौजूदा महासचिव को तब तक अस्थाई रूप से प्रभारी बनाया जा सकता है, जब तक नये नेताओं को एआईसीसी में शामिल करने पर फैसला नहीं हो जाता। कुमारी को चांबा की एक अदालत ने जमीन हड़पने के एक मामले में 26 फरवरी को दोषी ठहराया था और एक साल कैद की सजा के साथ 8000 रपये का जुर्माना उन पर लगाया था। अदालत ने उन्हें आपराधिक षड्यंत्र का दोषी ठहराया था।
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