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नई दिल्ली: दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के ऊपर एक पुस्तक का विमोचन करते हुए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि जहां राव ने देश के लिए जो अच्छा काम किया वह उनके जाने के बाद भी बना हुआ है, वहीं नुकसान भी बदस्तूर जारी है और भारी कीमत वसूल रहा है। गौरतलब है कि नरसिम्हा राव के शासनकाल में ही बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना हुई थी। विनय सीतापति की लिखी किताब 'हाफ-लॉयन' में उस वक्त राव की भूमिका का बचाव किया गया है और उन बातों को खारिज करने की कोशिश की गई है कि पूर्व प्रधानमंत्री ने जानबूझकर मस्जिद को गिराए जाने से रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। लेखक ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने राव के प्रति बेरुखी दिखाई और मुस्लिम वोट आकर्षित करने के लिए सारा ठीकरा उन पर फोड़ दिया। पुस्तक विमोचन के बाद परिचर्चा में सीतापति ने कहा कि राव की भूमिका 1984 के सिख विरोधी दंगों में अधिक गंभीर थी, क्योंकि वह उस वक्त गृहमंत्री थे और सीधे तौर पर कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार थे। इस परिचर्चा में पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह, वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता, स्तंभकार और विदेश नीति विश्लेषक सी राजा मोहन और राजनीतिक विज्ञानी प्रताप भानु मेहता ने भी हिस्सा लिया।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक तरह से झिड़कने के एक दिन बाद भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने आज दार्शनिक अंदाज में कहा कि ‘‘किसी मापदंड में एक मामूली परिवर्तन सभी परिवर्तनशील स्थितियों में बदलाव ला देता है।’’ स्वामी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘यह विश्व आम तौर पर संतुलन पर आधारित है। एक मापदंड में एक मामूली परिवर्तन सभी परिवर्तनशील वस्तुओं में बदलाव ला देता है। इसलिए भगवान कृष्ण ने सलाह दी है: सुख दुखे.’’ नवनिर्वाचित भाजपा सांसद ने कुछ अन्य ट्वीट और अपने फॉलोअर्स के री-ट्वीट्स भी पोस्ट किए, लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा कल दिए बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की। मोदी ने रघुराम राजन पर स्वामी के हमले को ‘अनुचित’ करार देते हुए कहा था कि आरबीआई गवर्नर ‘ हमसे कम देशभक्त नहीं हैं’। सुब्रमण्यम स्वामी को एक स्पष्ट संदेश देते हुए प्रधानमंत्री ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में कहा था कि ‘‘प्रचार के लिए इस तरह की लालसा से राष्ट्र को कोई लाभ नहीं होगा और यदि कोई स्वयं को इस व्यवस्था से उपर समझता है तो यह गलत है।’’

नई दिल्ली: विपक्षी दलों ने आज (मंगलवार)  आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पाकिस्तान को लेकर कोई समग्र नीति नहीं है और कहा कि कूटनीति को गंभीरता, संजीदगी की जरूरत है, न कि ‘‘ड्रामेबाजी’’ की । कांग्रेस और माकपा की तरफ से टिप्पणी मोदी के यह कहे जाने के एक दिन बाद आई है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत के भारत के प्रयासों का सर्वोच्च मकसद शांति है, लेकिन बलों को ‘‘जवाब देने की पूरी आजादी है’’ जिस तरह वे चाहें । कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘कोई भी पाकिस्तान से बातचीत के खिलाफ नहीं है लेकिन हमने उनसे :मोदी: जो सवाल किया है, वह विपक्ष को विश्वास में नहीं लेने के बारे में हैं ।’’ उन्होंने कहा कि कूटनीति को ड्रामेबाजी की नहीं, बल्कि गंभीरता और संजीदगी की आवश्यकता है । माकपा नेता बृंदा करात ने केंद्र पर यह कहकर निशाना साधा कि उसके पास पाकिस्तान को लेकर कोई समग्र नीति नहीं है । उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ आतंकी समूहों को नि:संदेह रूप से प्रोत्साहित करते रहे पड़ोसी से निपटने के लिए गंभीर कूटनीतिक पहल के मुकाबले यह असल में ‘‘शो आधारित’’ नीति है । बृंदा ने कहा, ‘‘एक दिन आप कहते हैं कि आप पाकिस्तान को मटियामेट कर देंगे । दूसरे दिन आपके गृहमंत्री :राजनाथ सिंह: ने कहा कि आप पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली गोलियों को नहीं गिनेंगे ।’’ लेकिन नवाज शरीफ से मिलने प्रधानमंत्री पाकिस्तान चले गए थे । कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने सरकार पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के मुद्दे पर ‘‘दोहरी नीति’’ अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि एक तरफ उसने उनके काम की तारीफ की, लेकिन दूसरी तरफ वह सुब्रह्मण्यम स्वामी के आरोपों से सहमत रही और उन्हें अलविदा कह दिया ।

नई दिल्ली: पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले की पृष्ठभूमि में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में मौजूदा सुरक्षा हालात की समीक्षा की और सुरक्षा बलों को चौकसी बढ़ाने का निर्देश दिया। करीब एक घंटे की बैठक के दौरान गृह मंत्री को जम्मू-कश्मीर के भीतर और देश के शेष हिस्से के सुरक्षा हालात तथा शांति सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी गई। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव महरिषि, खुफिया एजेंसियों के प्रमुख और दूसरे वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। इसमें सीमा पार घुसपैठ सहित सुरक्षा संबंधी सूचनाओं तथा उठाए गए कदमों का विश्लेषण किया गया। सूत्रों के अनुसार बीते शनिवार को पुलवामा में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के आठ जवानों के मारे जाने पर चिंता जाहिर करते हुए सिंह ने अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा मजबूत बनाने और चौकसी बढ़ाने का निर्देश दिया। पुलवामा हमले के संदर्भ में गृह मंत्री ने पहले ही तीन सदस्यीय टीम का गठन कर दिया है जो खामियों पर गौर करेगी और अगर कोई खामी पाई जाती है तो उसे दूर किया जाएगा। यह टीम संभावित सीमा पार घुसपैठ और अर्धसैनिक बलों के इधर-उधर जाने के दौरान इसी तरह के हमले होने की आशंका के पहलू पर भी गौर करेगी।

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