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नई दिल्ली: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के एक नये अध्ययन के अनुसार राज्यसभा में 55 नवनिर्वाचित करोड़पति सांसद हैं वहीं 13 नये सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। दिल्ली स्थित एडीआर द्वारा कराये गये अध्ययन के अनुसार, ‘नवनिर्वाचित 57 सांसदों में से 55 करोड़पति हैं।’ राज्यसभा में 2016 में नवनिर्वाचित 57 सांसदों के स्वघोषित हलफनामों का विश्लेषण करने के बाद एडीआर ने कहा, ‘अधिकतम संपत्ति रखने वाले सांसदों में राकांपा के प्रफुल्ल पटेल के पास कुल 252 करोड़ रुपये की संपत्ति है, कांग्रेस के कपिल सिब्बल के पास 212 करोड़ रुपये और बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा के पास 193 करोड़ रुपये की संपत्ति है।’ सबसे कम संपत्ति रखने वाले सांसदों में भाजपा के अनिल माधव दवे (960 लाख रूपये) और रामकुमार (86 लाख रुपये) हैं। अनिल माधव दवे की संपत्ति में सर्वाधिक प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी जो 58,21,437 रुपये से 60,97,179 रुपये हो गयी। इनके अलावा 19 सांसदों ने एक करोड़ रुपये या इससे अधिक देनदारी की जानकारी दी है। बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा की कुल संपत्ति का मूल्य 193 करोड़ रुपये है, वहीं उन पर 38 करोड़ रुपये की देनदारी है। हाल ही में हुए राज्यसभा चुनावों में उच्च सदन में 57 नये सदस्यों का निर्वाचन हुआ है।

नई दिल्ली: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की खबरों के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान मोदी और शाह के बीच हुई बातचीत की आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पाई है और पार्टी सूत्रों ने इसे तवज्जो न देते हुए कहा कि ऐसी मुलाकात लगभग हर माह होती है जिसमें केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली, राजनाथ सिंह तथा सुषमा स्वराज भी शामिल होते हैं। शीर्ष पार्टी नेताओं ने इस मुलाकात में राजनीतिक मामलों पर बात की। कुछ समय से पार्टी में फेरबदल के बारे में भी चर्चा चल रही है। अगले साल के शुरू में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। समझा जाता है कि फेरबदल में उत्तर प्रदेश को अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा। असम को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है क्योंकि वहां के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल पहले केंद्रीय मंत्री ही थे। सूत्रों के अनुसार, कुछ राज्य मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है।

नई दिल्ली: भाजपा सांसद सुब्रमण्‍यम स्वामी ने आज कहा कि वह प्रचार के पीछे नहीं भागते बल्कि प्रचार उनके पीछे बेतहाशा भागता है और इस संदर्भ में उन्होंने अपने दरवाजे के बाहर खड़े बहुत से मीडियाकर्मियों का हवाला दिया। दरअसल पीएम नरेन्द्र मोदी ने स्वामी की कुछ टिप्पणियों को खारिज करते हुए इसे प्रचार पाने का हथकंडा बताया था। उन्होंने कहा कि वह मोदी के समर्थक हैं और उनके हौसले की दाद देते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने उन्हें उकसाने के लिए जान बूझकर झूठी खबरें छापने के लिए मीडिया को भी आड़े हाथों लिया। स्वामी ने ट्वीट किया, नयी समस्या: जब प्रचार लगातार एक राजनीतिज्ञ के पीछे भागता है। 30 ओवी आपके घर के बाहर हैं। चैनलों और पैपराजी के 200 मिस काल्स। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, प्रेस्टीटयूट्स हर रोज जानबूझकर झूठी कहानियां बनाते हैं और यह उम्मीद करते हैं कि मैं उनके उकसावे में आकर जवाब दूंगा। हां, उन्हें ऐसी उम्मीद है। स्वामी ने कहा, मैंने पहले भी कहा है और फिर कहता हूं: चाहे कितनी भी आफतें टूटें, मैं मोदी के साथ हूं। मैं उनके हौसले की दाद देता हूं। कोई विदेशी ताकत उनको झुका नहीं सकती।

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): सरकार ने आज (बुधवार) संसद के मॉनसून सत्र का ऐलान कर दिया। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा। इस सत्र में कई महत्वपूर्ण बिल के पास होने की उम्मीद की जा रही है जिसमें जीएसटी विधेयक भी शामिल है। सरकार ने कहा कि संसद के मानसून सत्र में जीएसटी विधेयक को पारित कराने के लिए उसके पास ‘पर्याप्त’ समर्थन है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की एक बैठक में इस सत्र के लिए कार्यक्रम तय किया गया। संसदीय मामलों के मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संवाददाताओं को बताया कि मानसून सत्र जरूरत के मुताबिक दो.तीन बढ़ाया या घटाया जा सकता है। इस सत्र में फिलहाल 20 कार्य दिवस होंगे। नायडू ने कहा कि जीएसटी देश के व्यापक हित में है। ‘ हमारे पास व्यापक समर्थन है और जीएसटी के लिए हमारे पास पर्याप्त संख्या है, लेकिन हम सभी दलों की सहमति चाहेंगे क्योंकि इसका राज्यों पर प्रभाव होगा। उन्होंने कहा कि सरकार आम सहमति से इस विधेयक को पारित करना चाहती है और इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन इसके बावजूद आम सहमति नहीं बनी तो भी ‘हमें इसे मानसून सत्र में ही पारित कराना है।’ नायडू ने कहा कि इस विधेयक पर मत विभाजन आखिरी विकल्प होगा और सरकार इस मुद्दे पर संख्या बल के परीक्षण से परहेज करना चाहेगी और सभी दलों को साथ लेकर चलने का प्रयास करेगी। चूंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए मतविभाजन तो होगा ही ।

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