नई दिल्ली: आपातकाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने आज (रविवार) आरोप लगाया कि मोदी शासनकाल में देश में ‘‘अघोषित आपातकाल’’ है । पार्टी प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने अरूणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में केंद्र की भूमिका को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये ‘‘लोकतंत्र के दमन के उदाहरण’’ हैं । वडक्कन ने कहा, ‘‘मौजूदा सरकार ने आज आपातकाल पर यह बहस शुरू की है । मैं शुरूआत में ही कह दूं कि यह देश एक अघोषित आपातकाल से गुजर रहा है ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक अघोषित आपातकाल है । मैं आपको यह भी याद दिला दूं कि जब आडवाणी जी ने आपातकाल की प्रवृतियां अब भी मौजूद होने की बात कही थी, तो वह इस तथ्य की ओर साफ तौर पर इशारा कर रहे थे कि यह सरकार आपातकाल घोषित करने में सक्षम है ।’’ वडक्कन एक साल पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की ओर से दिए गए इस बयान का जिक्र कर रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि अब ‘‘लोकतंत्र को कुचलने वाली ताकतें पहले से ज्यादा मजबूत हो गई हैं’’ और आपातकाल संभव है । देश में ‘‘अलिखित, अघोषित आपातकाल’’ होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मौजूदा शासनकाल में ‘‘संविधान के लिए अनादर, चुनी हुई सरकारों को गिराकर लोकतंत्र के दमन, असहमति के अधिकार को छीनने’’ की प्रवृतियां हैं ।
वडक्कन ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्य अरूणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जो कुछ हुआ, उससे लोकतंत्र के दमन को समझा जा सकता है । वित्त मंत्री अरूण जेटली और भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बीच हाल में हुई जुबानी जंग की ओर इशारा करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमारे यहां एक निरंकुश प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली सरकार है । मंत्री निष्क्रिय पड़े हुए हैं । इस देश के विदेश मंत्री की कोई भूमिका नहीं है, भाजपा के अनाधिकारिक प्रवक्ता वित्त मंत्री को ‘‘वेटर’’ कहकर बुलाते हैं । क्या आप उन्हें आका की आवाज कह सकते हैं । हो सकता है कि वह असल में प्रधानमंत्री के अनाधिकारिक प्रवक्ता हों ।’’ वडक्कन ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी में दलित छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी, जेएनयू विवाद, अंबेडकर पेरियार स्टर्डी सर्किल के मुद्दे पर आईआईटी चेन्नई में विवाद और एफटीआईआई विवाद जैसे मुद्दों का जिक्र करते हुए कहा कि ये ‘‘अघोषित आपातकाल के उदाहरण हैं ।’’