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नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने एनएसजी की सदस्यता पाने के लिए देश के पुरजोर प्रयासों पर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए आज कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं थी और भारत को आवेदक के तौर पर इस समूह में शामिल नहीं होना चाहिए। पार्टी में दरकिनार कर दिये जाने के बाद मोदी सरकार की अकसर आलोचना करने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि भारत को एनएसजी की सदस्यता स्वीकार नहीं करनी चाहिए क्योंकि उसे जो जरूरत थी, पहले ही पा चुका है। 83 वर्षीय सिन्हा ने कहा, एनएसजी की सदस्यता पाने में भारत ने जो इतनी उत्सुकता दिखाई, उसकी कोई आवश्यकता नहीं थी। मैं पुरजोर तरीके से यह बात कहता हूं कि भारत को एनएसजी की सदस्यता स्वीकार नहीं करनी चाहिए। हमें वहां आवेदक के तौर पर नहीं जाना चाहिए। हमें जो पाना था, हमें मिल गया। दो दिन पहले ही 48 सदस्यीय एनएसजी के पूर्ण सत्र में इसका सदस्य बनने के भारत के प्रयासों को विफलता मिली थी। सोल में आयोजित पूर्ण सत्र से पहले भारत ने कई देशों के साथ अपना पक्ष रखा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमान संभालते हुए ताशकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन से इतर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात कर इस संबंध में सकारात्मक फैसला करने का आग्रह किया था। चीन भारत जैसे एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को एनएसजी में शामिल नहीं करने के अपने रख पर कायम रहा।

नई दिल्ली: परमाणु आपूतिकर्ता समूह (एनएसजी) की एक और बैठक इस साल के समाप्त होने से पहले हो सकती है जिसमें खासतौर पर परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को 48 सदस्यीय समूह में शामिल करने की मंजूरी देने की प्रक्रिया पर विचार-विमर्श हो सकता है। इससे भारत को अपने दावे को मजबूत करने का एक और मौका मिलेगा जिसे दो दिन पहले समूह की सदस्यता हासिल करने के प्रयासों में विफलता का सामना करना पड़ा था। चीन और कुछ अन्य देशों के कड़े विरोध के बीच शुक्रवार को सोल में संपन्न हुए एनएसजी के पूर्ण सत्र में सदस्यता के लिए भारत के आवेदन पर सहमति नहीं बन पायी। भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं और भारत के प्रयासों को इस आधार पर रोका गया। हालांकि कूटनीतिक सूत्रों ने रविवार को कहा कि मैक्सिको के सुझाव पर अब फैसला किया गया है कि साल के समाप्त होने से पहले एनएसजी की एक और बैठक होनी चाहिए जिसमें भारत जैसे एनपीटी पर दस्तखत नहीं करने वाले देशों को समूह में शामिल करने के मानदंड पर विचार होना चाहिए। सामान्य तौर पर एनएसजी का आगामी सम्मेलन अगले साल किसी समय होगा। सूत्रों के अनुसार मैक्सिको के सुझाव का चीन ने विरोध किया लेकिन अमेरिका समेत कई देशों से इसे समर्थन मिला है। एनएसजी ने भारत की सदस्यता पर अनौपचारिक बातचीत के लिए एक समिति का गठन भी किया है और इसके प्रमुख अर्जेंटीना के राजदूत रफेल ग्रॉसी होंगे।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अघोषित आय को सामने रखने का आग्रह करते हुए कहा कि 'जिन लोगों के पास अघोषित आय है, उनके लिए भारत सरकार ने एक मौका दिया है कि आप अपनी अघोषित आय को 30 सितंबर तक घोषित कीजिये। स्वेच्छा से जो अपनी मिल्कियत के सम्बन्ध में, अघोषित आय के सम्बन्ध में जानकारी देंगे, सरकार किसी भी प्रकार की जांच नहीं करेगी।' मोदी ने आज (रविवार) 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए 21वीं बार देशवासियों को सम्बोधित कर रहे थे। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा 'मैंने हमारे रेवेन्यू विभाग को साफ-साफ शब्दो में कहा है कि हम नागरिकों को चोर न मानें।' वहीं सही आय सामने न रखने वालों पर अपनी शंका व्यक्त करते हुए पीएम ने कहा 'सवा-सौ करोड़ के देश में सिर्फ और सिर्फ डेढ़ लाख लोग ही ऐसे हैं, जिनकी कर योग्य आय पचास लाख रूपये से ज्यादा है। 2-2 करोड़ का बंगला देखते ही पता चलता है कि ये कैसे 50 लाख से कम आय के दायरे में हो सकते हैं, कुछ तो गड़बड़ है, स्थिति को बदलना है।' मोदी ने आज 'मन की बात' के जरिए 1975 में भारत में लगी इमरजेंसी को याद करते हुए उसे देश की काली घटना बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 'लोकतंत्र ने हमें बड़ी ताकत दी है, लेकिन 26 जून, 1975 एक दिन था जब भारत में आपातकाल लागू किया गया। नागरिकों के सारे अधिकारों को खत्म कर दिया गया और देश को जेलखाना बना दिया गया। मोदी ने आगे कहा '26 जून को आपसे बात कर रहा हूँ, तब इस बात को न भूलें कि हमारी ताकत लोकतंत्र है,हमारी ताक़त लोक-शक्ति है, हमारी ताकत एक-एक नागरिक है।

नई दिल्ली: परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) की सदस्यता पाने के प्रयास में नाकामी के लिए कांग्रेस की आलोचना के बाद पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मोदी पर निशाना साधा है। विदेश से राहुल ने मोदी पर ट्विटर के जरिए निशाना साधते हुए ‘नाकाम कूटनीति’ कहा है। राहुल ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा है- ‘‘एनएसजी : हाउ टू लूज एक नेगोसिएशन बाइ नरेंद्र मोदी। इसके बाद उन्होंने लिखा है ‘फेल्ड मोदी डिप्लोमेसी’।’’ एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत का प्रसास सियोल की बैठक में चीन द्वारा इसमें रोड़ा अटका देने के बाद नाकाम हो गया। चीन ने इसके लिए भारत के परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने को आधार बनाया था। कांग्रेस ने शुक्रवार को जोर देकर कहा था कि भाजपा के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार एनएसजी की सदस्यता के लिए बिना वजह आतुरता दिखाई, जिनकी वजह से देश को शर्मिंदगी उठानी पड़ी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के उपनेता आनंद शर्मा ने पार्टी मुख्यालय में शुक्रवार को कहा- ‘‘कूटनीति हमेशा बुद्धिमानी से चुप रहकर की जाती है। ऐसा करना, जिसकी जरूरत नहीं थी, देश के लिए एक शर्मिंदगी है।

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