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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज (गुरूवार) कहा कि नदियों को जोड़ने की परियोजना पर राज्यों की सहमति से ही आगे बढ़ा जाएगा और जिन राज्यों की इस योजना के लिए पूरी सहमति नहीं है, वहां इस योजना पर काम नहीं किया जाएगा। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास मंत्री उमा भारती ने लोकसभा पूरक प्रश्नों के उत्तर में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपनी एक टिप्पणी में नदी जोड़ो परियोजना को लेकर कहा कि ये योजनाएं राष्ट्रहित में हैं। उन्होंने कहा कि हम इस योजना को लेकर प्रतिबद्ध हैं लेकिन जिन राज्यों की पूरी सहमति है उनकी ही परियोजना पर विचार किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अन्नाद्रमुक सांसद द्वारा इस संबंध में पूछे गये प्रश्न का उत्तर दे रहीं थीं। केरल के सांसदों ने इस संबंध में आपत्ति जताई थी। उमा ने कहा कि केरल के सदस्यों को चिंता करने की जरूरत नहीं है और प्रधानमंत्री का निर्देश है कि जिन राज्यों की पूरी सहमति नहीं हैं वहां पूरी तरह सहमति होने तक परियोजना पर काम नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘केरल को कुछ कारणों से इस योजना पर आपत्ति रही है इसलिए मैं केरल के सदस्यों को आश्वस्त करना चाहती हूं कि उनके राज्य की इंटरलिंकिंग (नदी जोड़ो) परियोजनाओं पर अभी विचार नहीं किया जाएगा। उमा ने कहा कि बाढ़ प्रबंधन के लिए हाल में 5000 करोड़ रूपये खर्च किये गये हैं लेकिन यह धन बाढ़ से होने वाले नुकसान के मुकाबले बहुत कम है।

नई दिल्ली: राज्यसभा में आज (गुरूवार) विपक्षी दलों द्वारा गुजरात के उना सहित देश भर में दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता जताये जाने के बीच जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने जहां देश के विभिन्न भागों में गौ रक्षकों पर रोक लगाने की मांग की वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि गुजरात की ताजा घटना से ‘गुजरात मॉडल’ की सच्चाई बेनकाब हो गयी है। शरद यादव ने देश के विभिन्न भागों में दलितों पर अत्याचार की घटनाओं पर राज्यसभा में हुई अल्पकालिक चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यह तालिबान जैसा रवैया है। उन्होंने कहा कि यह शर्म की बात है कि आजादी के इतने साल बाद भी दलितों विशेषकर महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, ‘इन गौ रक्षकों को किसने तैनात किया, क्यों तैनात किया। सरकार इन पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती है। यह क्या तमाशा है।’ उन्होंने कहा कि हम तालिबान की बात करते हैं। हमारी जाति व्यवस्था में तालिबान जैसा रूख है। हमें इस पर विचार करना चाहिए। जदयू नेता ने कहा कि युवा इस प्रकार के समूहों में शामिल हो रहे हैं क्योंकि बेरोजगारी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि गुजरात में ये गौ रक्षक कहते हैं कि गाय में 33 कोटि देवी देवताओं का निवास होता है। देश में किस तरह का अंधविश्वास फैलाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि गुजरात के उना में चार दलित युवकों की कुछ गौ रक्षकों ने सार्वजनिक रूप से पिटाई की तथा उन्हें शहर में घुमाया। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो गुजरात में स्थिति विस्फोट हो सकती है क्योंकि दलित आत्महत्या का प्रयास कर रहे हैं।

नई दिल्ली: देश में कुछ स्थानों पर दलितों पर हुए अत्याचार और उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह का बसपा सुप्रीमो मायावती पर दिया गया विवादित बयान का मामला आज (गुरूवार) फिर राज्यसभा में उठाया गया। इस मुद्दे पर तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने मुखर होकर अपनी-अपनी बात रखी और दलितों की स्थिति के साथ-साथ उनके उत्थान पर विचार व्यक्त किए। सभी दलों ने सरकार से दलितों पर हो रहे अत्याचार पर तुरंत कार्रवाई की मांग भी की। इस मुद्दे पर आज राज्यसभा में मायावती ने कहा कि पहले गोहत्या के नाम पर मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा था अब दलितों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने सभी दलों से साथ आकर ऐसी चुनौतियों का सामना करने की अपील की। मायावती ने कहा कि भाजपा को खुद इस मामले का संज्ञान लेकर केस दर्ज करवाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। मायावती ने कहा कि इस प्रकार के हमलों से दलितों के लिए लड़ाई लड़ने की मेरी इच्छा और पक्की हो जाती है। दयाशंकर के बयान से पूरे देश का दलित समाज दुखी है। मायावती ने सदन में आरोप लगाया कि सभी लोगों ने दलितों की बात तो की लेकिन वास्तविक्ता में ज्यादा कुछ नहीं होता है। मायावती ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के संविधान बनाए जाने के बावजूद इस देश में दलितों को सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता है। कांग्रेस और भाजपा के लंबे शासन के बाद भी देश में दलितों की स्थिति ठीक नहीं है।

नई दिल्ली: न्यायाधीशों के पदों पर नियुक्ति में विलंब के लिए सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आज (गुरूवार) राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने दावा किया कि यह विलंब राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हो रहा है। सत्ता पक्ष ने उनके इस दावे को गलत बताया। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान शर्मा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा, ‘पूरे देश की विभिन्न अदालतों में पांच करोड़ से अधिक दीवानी एवं फौजदारी मामले लंबित हैं। कई गरीब लोग जेल में बंद हैं और उनकी यह अवधि उस अपराध की सजा से भी अधिक हो रही है जिस अपराध के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और वे लड़ रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि विभिन्न हाई कोर्ट में न्यायाधीशों के रिक्त पदों पर नियुक्तियां न होने की वजह से यह समस्या और अधिक बढ़ रही है। शर्मा ने कहा कि देश के 24 हाई कोर्ट में न्यायाधीशों के करीब 470 पद रिक्त हैं और यह गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘पिछले एक साल में कोलेजियम, प्रधान न्यायाधीश ने सरकार को सिफारिशें भेजी हैं लेकिन एनजेएसी संबंधी फैसले के बाद ऐसा लगता है कि सरकार बहुत गुस्से में और सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम के साथ टकराव की राह पर है।’

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