नई दिल्ली: देश में कुछ स्थानों पर दलितों पर हुए अत्याचार और उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह का बसपा सुप्रीमो मायावती पर दिया गया विवादित बयान का मामला आज (गुरूवार) फिर राज्यसभा में उठाया गया। इस मुद्दे पर तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने मुखर होकर अपनी-अपनी बात रखी और दलितों की स्थिति के साथ-साथ उनके उत्थान पर विचार व्यक्त किए। सभी दलों ने सरकार से दलितों पर हो रहे अत्याचार पर तुरंत कार्रवाई की मांग भी की। इस मुद्दे पर आज राज्यसभा में मायावती ने कहा कि पहले गोहत्या के नाम पर मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा था अब दलितों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने सभी दलों से साथ आकर ऐसी चुनौतियों का सामना करने की अपील की। मायावती ने कहा कि भाजपा को खुद इस मामले का संज्ञान लेकर केस दर्ज करवाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। मायावती ने कहा कि इस प्रकार के हमलों से दलितों के लिए लड़ाई लड़ने की मेरी इच्छा और पक्की हो जाती है। दयाशंकर के बयान से पूरे देश का दलित समाज दुखी है। मायावती ने सदन में आरोप लगाया कि सभी लोगों ने दलितों की बात तो की लेकिन वास्तविक्ता में ज्यादा कुछ नहीं होता है। मायावती ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के संविधान बनाए जाने के बावजूद इस देश में दलितों को सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता है। कांग्रेस और भाजपा के लंबे शासन के बाद भी देश में दलितों की स्थिति ठीक नहीं है।
आजादी के इतने सालों बाद भी दलितों के साथ दुर्व्यवहार और उनपर अत्याचार खत्म नहीं हुआ है। मायावती ने आरोप लगाया कि दलितों पर लगातार अत्याचार हो रहा है लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है, इससे वे काफी निराश हैं। नेताओं और अधिकारियों के निलंबन से काम नहीं चलेगा, उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए। मायावती ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में होती है तब भाजपा दलितों पर अत्याचार पर राजनीति करती है और जब बीजेपी सत्ता में होती है तब कांग्रेस इस मुद्दे पर राजनीति करती है।