नई दिल्ली: कश्मीर के हालात का क्रांतिकारी समाधान सुझाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने उस 'बड़े समझौते' (ग्रैंड बारगेन) की वकालत की, जिसके तहत कश्मीर का भारत में विलय हुआ था और उसे व्यापक स्वायत्तता दी गई थी। चिदंबरम ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो देश को 'भारी कीमत' चुकानी पड़ेगी। 'इंडिया टुडे' चैनल पर जाने-माने पत्रकार करण थापर से बातचीत में चिदंबरम ने कहा, "मैं समझता हूं कि उनका तरीका गलत है... हमने उस बड़े समझौते की अनदेखी की है, जिसके तहत कश्मीर का भारत में विलय हुआ था... मेरा मानना है कि हमने भरोसा तोड़ा, हमने वादे तोड़े और नतीजा यह हुआ कि हमने भारी कीमत चुकाई..." चिदंबरम ने कहा कि उनके मुताबिक सबसे बेहतर समाधान यह है कि नई दिल्ली को कश्मीर की जनता को यह आश्वासन देना चाहिए कि कश्मीर के विलय होने के समय जिस 'बड़े समझौते' का वादा किया गया था, "उसका पूरी तरह पालन किया जाएगा..." चिदंबरम ने कहा, "मैं गलत हो सकता हूं, मैं सही हो सकता हूं, लेकिन जरूरी तो यह आश्वासन देना है कि बड़े समझौते का पूरा पालन किया जाएगा... जहां तक संभव हो, उन्हें (कश्मीर के लोगों को) अपने कानून बनाने दीजिए और तब तक बनाने दीजिए, जब तक यह हमारे संविधान से परे न जाता हो..." कांग्रेस नेता ने कहा, "हमें सुनिश्चित करना है कि हम पहचान, इतिहास, संस्कृति, धर्म का सम्मान करेंगे..." उत्तर एवं पूर्व के तमिल क्षेत्रों को ज्यादा अधिकार देने को लेकर भारत की ओर से श्रीलंका को दी जाने वाली सलाह का जिक्र करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि "हम श्रीलंका को जो उपदेश देते हैं, उन्हें हमें खुद भी लागू करना चाहिए..."
चिदंबरम ने कहा कि श्रीनगर और नई दिल्ली की सभी सरकारें कश्मीर के हालात से ठीक से नहीं निपट सकी हैं। उन्होंने कहा, "हम (यूपीए सरकार) ठीक से नहीं निपट सके, लेकिन 2010 में हमने खुद को सुधारा... अब दिल्ली और श्रीनगर की सरकारें बहुत, बहुत बुरे ढंग से हालात से निपट रही हैं..." कश्मीर के लिए एक विशेष राजनीतिक समाधान की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए चिदंबरम ने मौजूदा संकट के लिए पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार को जिम्मेदार करार दिया और कहा कि उन्हें (गठबंधन को) कभी सत्ता में नहीं आना चाहिए था। कांग्रेस नेता ने कहा, "यह गठबंधन खुद ही घाटी के लिए बड़े उकसावे की बात है... यह एक जायज़ सरकार है, उनके पास संख्याबल है, लेकिन सरकार की वैधता इस तथ्य को समाप्त नहीं करती कि सरकार बनाने वाले इन दोनों साझीदारों ने कश्मीर के लोगों में खौफ पैदा कर दिया है..." चिदंबरम ने कहा कि अलग-अलग लोगों के लिए 'आज़ादी' के मायने अलग-अलग होते हैं, लेकिन ज़रूरत यह आश्वासन देने की है कि बड़े समझौते का पालन पूरी तरह किया जाएगा।