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नई दिल्ली: राज्यसभा में आज (गुरूवार) विपक्षी दलों द्वारा गुजरात के उना सहित देश भर में दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता जताये जाने के बीच जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने जहां देश के विभिन्न भागों में गौ रक्षकों पर रोक लगाने की मांग की वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि गुजरात की ताजा घटना से ‘गुजरात मॉडल’ की सच्चाई बेनकाब हो गयी है। शरद यादव ने देश के विभिन्न भागों में दलितों पर अत्याचार की घटनाओं पर राज्यसभा में हुई अल्पकालिक चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यह तालिबान जैसा रवैया है। उन्होंने कहा कि यह शर्म की बात है कि आजादी के इतने साल बाद भी दलितों विशेषकर महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, ‘इन गौ रक्षकों को किसने तैनात किया, क्यों तैनात किया। सरकार इन पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती है। यह क्या तमाशा है।’ उन्होंने कहा कि हम तालिबान की बात करते हैं। हमारी जाति व्यवस्था में तालिबान जैसा रूख है। हमें इस पर विचार करना चाहिए। जदयू नेता ने कहा कि युवा इस प्रकार के समूहों में शामिल हो रहे हैं क्योंकि बेरोजगारी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि गुजरात में ये गौ रक्षक कहते हैं कि गाय में 33 कोटि देवी देवताओं का निवास होता है। देश में किस तरह का अंधविश्वास फैलाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि गुजरात के उना में चार दलित युवकों की कुछ गौ रक्षकों ने सार्वजनिक रूप से पिटाई की तथा उन्हें शहर में घुमाया। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो गुजरात में स्थिति विस्फोट हो सकती है क्योंकि दलित आत्महत्या का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने केन्द्र सरकार को आगाह किया कि वह हाल की शर्मनाक घटना को सांप्रदायिक होने से रोके क्योंकि गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। पटेल ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास की बात करती है किन्तु वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है। उन्होंने कहा कि गुजरात माडल की वास्तविकता अब सामने आ रही है। उन्होंने कहा, ‘हम हमेशा से यह कहते आये हैं कि गुजरात मॉडल केवल कुछ उद्योगपतियों के लिए बनाया गया है। भाजपा ने हमेशा समाज को बांट कर शासन किया है।’ कांग्रेस नेता ने कहा कि केन्द्र को पूर्ण बहुमत होने का अहंकार नहीं करना चाहिए तथा लोगों की बात सुननी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल पीड़ितों से मिलने के लिए कल गईं जबकि इस घटना को घटे एक हफ्ते से अधिक समय हो गया है। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि गुजरात में दलित मामलों से निबटने के लिए विशेष अदालत के गठन में विलंब क्यों हुआ।

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