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नई दिल्ली: संसद का वीडियो शूट करके विवादों में फंसे आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान को लेकर लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने 9 सदस्यीय जांच समिति गठित करने का फैसला किया है और फैसला आने तक उन्हें सदन से निलंबित भी कर दिया है। जांच कमेटी 3 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट देगी। संसद भवन में मान के जाने और टिप्पणी वाले वीडियो से संसद के दोनों सदनों में हंगामा होने पर पंजाब से सांसद मान ने कहा कि उन्होंने अपने फेसबुक वाल से यह वीडियो हटा दिया था। संसद भवन का वीडियो बनाए जाने के विवाद को लेकर भगवंत मान जहां गुरुवार शाम को अपनी बात पर अड़े हुए थे और कह रहे थे कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। वहीं आज उन्होंने कहा कि मैं केवल मुद्दा उठाने की प्रक्रिया आम लोगों को बता रहा था। एनडीटीवी इंडिया से भगवंत मान ने कहा था कि मेरे क्षेत्र के लोग मुझे कहते हैं कि आप हमारा मुद्दा नहीं उठाते तो मैं उनको बताता था कि संसद में मुद्दा लकी ड्रॉ से तय होता। जैसे कल 160 सांसदों से अपने सवाल शून्य काल के लिए जमा कराये तो केवल 20 सांसद ही अपने सवाल उठा पाएंगे, लेकिन लोग मानते नहीं थे और कहते थे कि संसद में कैसा लकी ड्रॉ?" मान ने कहा कि उनका मकसद संसद की सिक्योरिटी दिखाना या उसको खतरे में डालना नहीं था। वहीं मान का बचाव करते हुए आप ने कहा था कि वीडियो सुरक्षा उल्लंघन नहीं है और उसने भाजपा पर गुजरात में दलितों पर हमले के मुद्दे से ध्यान बंटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

बीजिंग: भारत की ओर से चीन के तीन पत्रकारों के वीजा की अवधि बढ़ाने से इनकार किए जाने पर चीन के एक सरकारी दैनिक अखबार ने आज चेतावनी दी है कि यदि यह कदम एनएसजी में भारत की सदस्यता हासिल करने की कोशिश में चीन द्वारा उसका साथ न दिए जाने की प्रतिक्रिया है तो इस बात के गंभीर परिणाम होंगे। ‘द ग्लोबल टाइम्स’ के संपादकीय में कहा गया, ‘ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि चूंकि चीन ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने का विरोध किया, इसलिए भारत अब बदला ले रहा है। यदि नयी दिल्ली वाकई एनएसजी सदस्यता के मुद्दे के चलते बदला ले रही है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।’ चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिंहुआ के तीन चीनी पत्रकारों की भारत में रहने की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया गया है। इन तीन पत्रकारों में दिल्ली स्थित ब्यूरो के प्रमुख वू कियांग और मुंबई स्थित दो संवाददाता-तांग लू और मा कियांग शामिल हैं। इन तीन पत्रकारों का वीजा की अवधि इस माह के अंत में पूरी हो रही है। इन तीनों ने ही उनके बाद इन पदों को संभालने वाले पत्रकारों के यहां पहुंचने तक के लिए वीजा अवधि में विस्तार की मांग की थी। संपादकीय में कहा गया कि भारत के इस कदम को कुछ विदेशी मीडिया संस्थानों ने एक ‘निष्कासन’ करार दिया है। ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने संपादकीय में कहा, ‘‘वीजा की अवधि नहीं बढ़ाए जाने के लिए कोई आधिकारिक कारण नहीं दिया गया।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के दूसरे चरण में 26 में से 18 कैबिनेट मंत्रियों ने अब तक अपने संसदीय क्षेत्र में किसी गांव को गोद नहीं लिया है। इस योजना की घोषणा मोदी ने स्वतंत्रता दिवस समारोह के अपने पहले भाषण में की थी। यह योजना अब दूसरे चरण में प्रवेश कर गई है और गांव के चयन के लिए अंतिम तिथि इस साल 31 जनवरी थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दूसरे चरण में मोदी के अलावा सिर्फ आठ मंत्रियों ने अब तक गांव गोद लिए हैं। सुषमा स्वराज, रामविलास पासवान, जेपी नड्डा, अशोक गजपति राजू, वीरेंद्र सिंह, थावर चंद गहलोत, स्मति ईरानी और प्रकाश जावड़ेकर गांव गोद लेने वाले कैबिनेट मंत्रियों में शामिल हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, शेष 18 कैबिनेट मंत्रियों ने अब तक गांव गोद नहीं लिया है। एसएजीवाई के तहत सभी राजनीतिक दलों के सांसदों को गांव गोद लेना जरूरी है, ताकि इन गांवों को आधुनिक गांव में बदला जा सके और इन क्षेत्रों में भौतिक एवं संस्थागत अवसंरचना विकसित करने की जिम्मेदारी ली जा सके। लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 252 सांसदों सहित सभी 795 सांसदों को वर्ष 2019 तक तीन-तीन गांव विकसित करने हैं। पहले चरण में 795 सांसदों में से 701 ने गांवों को गोद लिया था, जबकि दूसरे चरण में प्रतिक्रिया कमजोर रही और केवल 102 सांसदों ने ही गोद लेने के लिए किसी गांव का चयन किया है। सांसदों ने योजना के लिए अलग से धन न होने की शिकायत की है।

नई दिल्ली: लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज (रविवार) कहा कि जीएसटी विधेयक को लेकर जो चिंताएं जताई गई हैं उनका निदान होने के बाद ही पार्टी इस विधेयक का समर्थन करेगी। सिंधिया ने कहा, ‘सरकार अभी हमारे पास नहीं आई है। उनको हमारे पास ठोस जवाब के साथ आना होगा कि हमारी सभी चिंताएं दूर कर ली गई हैं।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह मांग करती आ रही है कि कुल जीएसटी दर 18 फीसदी होनी चाहिए और विनिर्माण वाले राज्यों के संदर्भ में एक फीसदी का अतिरिक्त कर हटाया जाना चाहिए। पार्टी इस प्रस्तावित कानून में विवाद निवारण व्यवस्था भी चाहती है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘अगर इन चिंताओं को दूर कर लिया जाता है तो हमें इस विधेयक को पारित कराने में कोई समस्या नहीं है। परंतु समस्या यह है कि सरकार विपक्ष के सहयोग की बात करती तो है लेकिन वह हमारे पास कुछ ठोस बात लेकर नहीं आती है।’ सिंधिया ने कहा, ‘उनको इन चिंताओं को दूर करने की जरूरत है। इसके बाद निश्चित तौर पर हम समर्थन देंगे। वैसे भी कांग्रेस ही सात साल पहले जीएसटी का प्रस्ताव लाई थी। हम इसको पारित कराना चाहते हैं।’ देश में एक समान कर व्यवस्था लाने के मकसद से लाया गया जीएसटी विधेयक संसद में लंबित है।

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