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नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आरएसएस के दृष्टिकोण को ‘विभाजनकारी’ बताते हुए उसे भारत के लिए ‘खतरा’ बताया। उन्होंने संघ को ‘कैंसर’ करार देते हुए देश को इस खतरे से बचाने के लिए आज सभी ‘उदारवादी’ एवं आधुनिक सोच वाले व्यक्तियों से एकजुट होने की अपील की। उन्होंने शुक्रवार को कहा, ‘संघ की विचारधारा इस देश के लिए खतरा है और इससे विचारधारा के स्तर पर लड़ने की जरूरत है। ये ‘सबका साथ सबका विकास’ एक थोथा नारा है। वे इस नारे में यकीन नहीं रखते, उनके लिए तो ये महज एक जुमला है।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए साम्प्रदायिक सद्भाव, सदाचार के मूल आधार सहिष्णुता में विश्वास रखने वाले सभी उदारवादी व्यक्तियों को इस कैंसर के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा।’
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नई दिल्ली: खेल मंत्री विजय गोयल की रियो ओलंपिक यात्रा से जुड़े विवाद के बीच राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्यों ने उन्हें ब्राजील से बुलाने की प्रधानमंत्री से मांग की और कहा कि यह विषय देश की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। शून्यकाल में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने यह मामला उठाया और कहा कि सभी राष्ट्रीय टीवी चैनल कल रात से ही केंद्रीय खेल मंत्री के आचरण के बारे में दिखा रहे हैं। गोयल ओलंपिक खेलों के सिलसिले में ब्राजील गए हुए हैं। बाजवा ने व्यवस्था के प्रश्न के तहत यह मुद्दा उठाना चाहा लेकिन उपसभापति पी जे कुरियन ने इसके लिए उन्हें अनुमति नहीं दी और कहा कि यह व्यवस्था का प्रश्न नहीं है और एक आरोप है। कई सदस्यों ने बाजवा की बात का समर्थन किया और कहा कि यह विषय राष्ट्र की प्रतिष्ठा से जुड़ा मामला है। उन्होंने प्रधानमंत्री से खेल मंत्री को बुलाने की मांग की। इस मुद्दे पर कुछ समय के लिए सदन में हुए हंगामे के दौरान कांग्रेस के कुछ और सदस्यों ने अपनी बात कहने की कोशिश की लेकिन शोरगुल में उनकी बात नहीं सुनी जा सकी। उधर गोयल ने आयोजन समिति द्वारा लगाये गए र्दुव्यवहार के आरोपों का खंडन करते हुए आज कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है। रियो ओलंपिक 2016 की आयोजन समिति की उपमहाद्वीपीय मैनेजर सारा पीटरसन ने कल भारत के दल प्रमुख राकेश गुप्ता को लिखे पत्र में बदसलूकी के कारण गोयल का मान्यता पत्र रद्द करने की धमकी दी थी।
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नई दिल्ली: न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के स्थानांतरण और नियुक्ति पर कॉलेजियम के निर्णय को लागू करने में केंद्र के विफल रहने पर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार नाखुशी जताई और कहा कि ‘अविश्वास क्यों है।’ उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वह सरकार से निर्देश प्राप्त करें। मुख्य न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कॉलेजियम ने उच्च न्यायालयों के 75 न्यायाधीशों के नामों को मंजूरी दी है (स्थानांतरण-नियुक्ति के लिए) लेकिन उन्हें मंजूरी नहीं दी गई। मुझे नहीं पता कि क्यों, कहां ये फाइल फंसी हुई हैं। पीठ ने कहा कि अविश्वास क्यों है? कॉलेजियम ने जिन न्यायाधीशों का स्थानांतरण किया उनका स्थानांतरण हुआ ही नहीं। हम यह सब नहीं चाहते। पीठ में न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ भी हैं। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि मैं इसे उच्चतम स्तर पर उठाउंगा और फिर अदालत आउंगा। उन्होंने अपील की कि 1971 के युद्ध में लड़ चुके लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल कबूतरा की तरफ से जारी जनहित याचिका पर फिलहाल कोई नोटिस जारी नहीं किया जाए। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने उच्च न्यायालयों में बढ़ती रिक्तियों और लंबित मामलों की संख्या बढ़ने का भी जिक्र किया। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों में रिक्तियां 43 फीसदी तक बढ़ गई हैं और उच्च न्यायालयों में 40 लाख मामले लंबित हैं।
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के एक स्वर और भावना व्यक्त करने पर खुशी का इज़हार किया । उन्होंने कश्मीर समस्या के लिए सीमा पार आतंकवाद को जिम्मेदार ठहराया। आज (शुक्रवार) सर्वदलीय बैठक में मोदी ने कहा कि पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाला कश्मीर जम्मू एवं कश्मीर का अभिन्न अंग है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 'मैं सभी राजनैतिक दलों के नेताओं का आभारी हूं कि उन्होंने जम्मू और कश्मीर के इलाकों में मौजूदा स्थिति के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र द्वारा पिछले छह दशकों से पोषित समृद्ध परंपरा हमारे देश की एकता और अखंडता की सबसे बड़ी ताकत रही है। कुछ मुद्दों पर हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जब देश की अखंडता और संप्रभुता की बात आती है, तब हम एकजुट रहते हैं।' उन्होंने कहा, जम्मू व कश्मीर में हाल ही में हुई घटनाओं से हर भारतीय की तरह, मेरे हृदय को भी काफी गहरा दुख पहुंचा है। मुझे यह देखकर बहुत दुख होता है कि बच्चे अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, सेब का उत्पादन मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहा, दुकानदारों की दैनिक आमदनी नहीं हो रही है और सरकारी कार्यालय लोकहित के कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इस स्थिति से सबसे अधिक गरीब प्रभावित हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, हम राजनीतिक कार्यकर्ताओं का अस्तित्व तो लोगों की वजह से ही है. ये हमारी ताकत हैं, हमारी ऊर्जा का स्रोत हैं; वास्तव में, जनशक्ति हमारे सार्वजनिक जीवन का अहम हिस्सा हैं।
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