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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर के लोगों के साथ वार्ता प्रक्रिया जल्द शुरू करने पर जोर देते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि अशांति से मिले मौके का इस्तेमाल लोगों के ‘दिल जीतने’ और उनकी समस्याएं सुलझाने के लिए करें, जैसा अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। महबूबा ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ दो घंटे चली बैठक में घाटी की स्थिति पर चर्चा की जिसके काफी बड़े हिस्से में एक महीने से अधिक समय से कर्फ्यू है। महबूबा ने बैठक से बाहर निकलते हुए संवाददाताओं से कहा कि मोदी सरकार के पास भारी जनादेश है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मैं उम्मीद करती हूं कि प्रधानमंत्री इस मौके का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ उनकी समस्याओं के समाधान के लिए वार्ता शुरू करने के लिए करेंगे। लोगों का दिल जीतने की उसी पहल की जरूरत है जो कि (अटल बिहारी) वाजपेयी जी के कार्यकाल में की गई थी।’ बैठक सिंह द्वारा राज्य की स्थिति की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई थी और महबूबा को बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया था। इस बैठक में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित कुमार डोभाल तथा गृह, रक्षा और वित्त मंत्रालयों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी बुरहान वानी के गत आठ जुलाई को मुठभेड़ में मारे जाने के बाद घाटी में सामान्य स्थिति बहाल करने में मुश्किलों का सामना कर रही महबूबा ने कहा कि कश्मीर के लोगों के साथ वार्ता प्रक्रिया स्थिति को सुधारने में मदद कर सकती है।उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ वार्ता शुरू करने के लिए लोगों के घावों पर मरहम लगाने की जरूरत है। ये हमारे अपने लोग हैं। यदि जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ वार्ता प्रक्रिया घाटी में स्थिति में सुधार ला सकती है तो यह हमें करना चाहिए।’

उन्होंने साथ ही कहा कि उनका राज्य भारत और पाकिस्तान के बीच सेतु बन सकता है। महबूबा ने कहा, ‘कश्मीरी लोगों के घावों पर मरहम लगाने की जरूरत है।’ बैठक ऐसे दिन हुई है जब घाटी में कफ्र्यू जारी रहने का मुद्दा संसद में गूंजा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने शून्य काल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए सरकार की ओर से सामान्य स्थिति बहाली के लिए उठाये जाने वाले कदमों के बारे में प्रधानमंत्री से एक बयान की मांग की। उन्होंने कहा, ‘ऐसी परिस्थितियों में हम सरकार को जगाना चाहते हैं। हम महसूस करते हैं कि सरकार और प्रधानमंत्री एक मूकदर्शक की तरह स्थिति को बिगड़ते हुए देख रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि मोदी ने कश्मीर की गंभीर स्थिति पर अभी तक कुछ क्यों नहीं बोला

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