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नई दिल्ली: कश्मीर में जारी हिंसा पर लगाम कसने की कड़ी वकालत करते हुए कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बलूचिस्तान ‘जैसी दूसरी चीजों पर बात करने’ से पहले सुनिश्चित करना चाहिए कि घाटी में स्थिति नियंत्रण में लाई जाए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ‘जब घर में आग लगी है’ तो प्रधानमंत्री कुछ और बात कर रहे हैं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि हमारे प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय हैं। (विदेशों का दौरा करते हुए) उन्हें यहां हो रही घटनाओं पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्हें वहां ध्यान देना चाहिए जहां स्थिति खराब है। बलूचिस्तान और पीओके के बारे में प्रधानमंत्री के बयान के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने कहा कि मोदी को दूसरी चीजों के बारे में बात करने से पहले सुनिश्चित करना चाहिए कि घाटी की स्थिति पर नियंत्रण किया जाए। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की रोजाना मौत हो रही है, चाहे यह नागरिकों की हो या सुरक्षा बलों की, वे हमारे अपने लोग हैं। उन्होंने इस बारे में एक भी शब्द नहीं बोला। आजाद ने कहा कि मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के पहले से ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का स्वागत कर पड़ोसी देश की राजनीति शुरू कर दी। मोदी ने पाकिस्तान में एक शादी समारोह में भी हिस्सा लिया। आजाद ने कहा कि लेकिन वह देश के सिर का ताज बचाने के बारे में कुछ नहीं कहेंगे।
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नई दिल्ली: कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार की विदेश नीति मौसम से भी तेज रफ्तार से बदलती है और कहा कि उसे पाकिस्तान के प्रति अपनी ‘असंगत’ और ‘बिना सोचे अचानक’ अपनायी जाने वाली नीति खत्म करनी चाहिए और बलूचिस्तान जैसे मुद्दे उठाने से पहले देश के अंदर की समस्याएं निबटानी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, ‘सरकार की नीति में रोजाना के परिवर्तनों पर नजर रखना हमारे लिए तकरीबन असंभव हो गया है। एक दिन हम मंत्री स्तर पर बात कर रहे हैं, एक दिन हम विदेश सचिव स्तर पर बात कर रहे हैं, एक दिन हम वापस ले रहे हैं। मैं किसी स्थिर नीति का इंतजार कर रहा हूं।’ सिंघवी ने कहा, ‘मैं सोचता हूं कि वास्तविक चीज टेढ़ा-मेढ़ा (जिगजैग) है, वास्तविक चीज सुसंगतता है, वास्तकि चीज इसकी कमी है और वास्तविक चीज जुमलेबाजी और खोखली धमकियां हैं। यह इस सरकार के साथ और इस प्रधानमंत्री के साथ एक वास्तविक समस्या है।’ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की विदेश नीति मौसम से ज्यादा तेज रफ्तार से बदलती है और सवाल किया, ‘किस तरह की नीति है यह? इस नी-जर्क नीति को तुरंत रोकने की जरूरत है। अगर इन विषयों पर कोई सुसंगत, स्थिर, दीर्घकालिक नीति है तो हम अपना समर्थन देने के लिए तैयार हैं।’ सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री के बलूचिस्तान के बारे में ‘अति राष्ट्रवादी’ बयान पर गर्व महसूस करते है, लेकिन इसका कोई मायने नहीं रहता है जब देश के अपने कश्मीर में चीजें सही नहीं की जाती हैं।
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नई दिल्ली: चार राज्यों में नए राज्यपालों के नाम का ऐलान बुधवार को कर दिया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला को बुधवार को मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया जबकि पूर्व राज्यसभा सदस्य वीपी सिंह बडनोरे पंजाब के राज्यपाल बने। राष्ट्रपति भवन से जारी विज्ञप्ति के अनुसार नागपुर से तीन बार सांसद रह चुके दैनिक ‘द हितवाद’ के प्रबंध संपादक बनवारीलाल पुरोहित असम के राज्यपाल बनाए गए। दिल्ली के वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक प्रो. जगदीश मुखी अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के उपराज्यपाल बनाए गए हैं। हेपतुल्ला, बडनोरे, पुरोहित और मुखी चारों भाजपा से जुड़े रहे हैं। हेपतुल्ला (76) ने पिछले महीने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रूप में केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। माना जाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंत्रियों के लिए 75 साल की समयसीमा’ तय कर रखी है और इसी के चलते लालकृष्ण आडवाणी एवं मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज नेताओं को कैबिनेट से बाहर रखा है। उन्हें ‘मार्गदर्शक मंडल’ में शामिल किया गया है। मेघालय के राज्यपाल वी. षणमुगनाथम मणिपुर के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार संभाले हुए थे। विज्ञप्ति में बताया गया है कि राजस्थान से संबंध रखने वाले 68 वर्षीय बडनोरे पंजाब के नए राज्यपाल होंगे। हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी के पास पंजाब का अतिरिक्त प्रभार था। नगालैंड के राज्यपाल पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य के पास असम के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार था। अब इस पद पर 76 वर्षीय पुरोहित आसीन होंगे। मुखी (73) को लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) के स्थान पर अंडमाण निकोबार द्वीपसमूह का उप राज्यपाल बनाया गया है।
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इस्लामाबाद/नई दिल्ली: भारत ने कश्मीर पर विदेश सचिव स्तरीय वार्ता के पाकिस्तान के प्रस्ताव को बुधवार को ठुकरा दिया और जोर देकर कहा कि वह सीमा पार के आतंकवाद से संबंधित पहलुओं पर चर्चा करना चाहेगा जो जम्मू कश्मीर में मौजूदा स्थिति की वजह है। पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी के निमंत्रण का जवाब देते हुए भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने इस्लामाबाद जाने की अपनी इच्छा जाहिर की लेकिन साथ ही कहा कि पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर के हालात के किसी भी पहलू पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है जो कि भारत का आंतरिक मसला है। इस मामले में वह केवल इतना कर सकता है कि वह सीमा पार से जारी आतंकवाद और घुसपैठ को बंद करे। इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त गौतम बाम्बावाले ने इस जवाब को पाकिस्तान को सौंप दिया। सूत्रों ने बताया कि चूंकि सीमा पार से जारी आतंकवाद जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालात की जड़ में है, हम प्रस्ताव करते हैं कि विदेश सचिवों के बीच विचार विमर्श इस पर केंद्रित होना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि हमने यह भी संदेश दे दिया है कि भारत सरकार जम्मू कश्मीर के हालात के संबंध में उसके द्वारा अपने हितों के अनुरूप लगाए गए आरोपों को समग्रता में नकारती है, जो कि भारत का अभिन्न हिस्सा है जहां पाकिस्तान को कोई अधिकार नहीं है। पाकिस्तान ने सोमवार को भारत को कश्मीर पर चर्चा के लिए आमंत्रित करते हुए कहा था कि इस मुद्दे को सुलझाना दोनों देशों की ‘अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी' है। यह आमंत्रण दोनों के देशों के बीच संबंधों में तनाव के मध्य दिया गया था।
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