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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कश्मीर में चल रही मौजूदा समस्या से राजनैतिक तौर पर निपटा जाना चाहिए और सबकुछ न्यायिक मानदंडों के भीतर नहीं संभाला जा सकता। शीर्ष अदालत ने सॉलीसीटर जनरल को भी कहा कि वह ऐक्टिविस्ट वकील और जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) के नेता भीम सिंह की इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में मदद करें। प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘इस मुद्दे के विभिन्न आयाम हैं और इसलिए इससे राजनैतिक तौर पर निपटा जाना चाहिए और इसके अलावा सबकुछ को न्यायिक मानदंडों के भीतर नहीं संभाला जा सकता।’ पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं। पीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में राज्य की विपक्षी पार्टियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच आज की मुलाकात का जिक्र किया। पीठ ने सिंह से भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने को कहा। जब वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि ‘आरएसएस निर्देशित’ सरकार उन्हें नहीं आमंत्रित करेगी तो अदालत ने सॉलीसीटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि वह मोदी से सिंह की मुलाकात में मदद करें। वैसे पीठ सिंह के यह बात कहने से चिढ़ गई थी। पीठ ने कहा, ‘यहां राजनैतिक बयान नहीं दें। आप हमें बताएं क्या आप जाना चाहते हैं और राजनैतिक नेतृत्व से मिलना चाहते हैं या नहीं।’ सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की व्यवस्था कराने के संबंध में वह व्यक्तिगत रूप से गृह सचिव से बात करेंगे।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कश्मीर में व्याप्त स्थिति को लेकर आज (सोमवार) ‘गहरी पीड़ा’ जतायी तथा संविधान के दायरे में स्थायी समाधान निकालने के लिए वार्ता करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जम्मू कश्मीर के विपक्षी नेताओं के एक शिष्टमंडल से यह बात कही। उन्होंने कहा कि हाल की गड़बड़ी में जान गंवाने वाले हमारे ही अंग हैं तथा हमारे युवाओं, सुरक्षा बलों अथवा पुलिस, भले ही किसी की जान जाये यह हमारे लिए परेशान करने वाली बात है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार जम्मू कश्मीर राज्य के साथ है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी राजनीतिक दलों को जनता से संपर्क साधना चाहिए और इस बात से अगवत कराना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में शिष्टमंडल से मुलाकात में प्रधानमंत्री ने राज्य में व्याप्त स्थिति पर गहरी चिंता एवं पीड़ा जतायी तथा घाटी में सामान्य स्थिति कायम किये जाने की अपील की। घाटी में पिछले 44 दिनों से अशांति कायम है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें संविधान के दायरे में समस्या का एक स्थायी एवं टिकाउ समाधान निकालने की आवश्यकता है।’ सूत्रों के अनुसार मोदी ने जम्मू कश्मीर की समसयाओं का समाधान निकालने के लिए सभी राजनीति दलों से मिलकर काम करने के लिए कहा।

नई दिल्‍ली: जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दलों के एक संयुक्त शिष्टमंडल ने सोमवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें जमीनी परिस्थितियों की जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे घाटी में व्याप्त अशांति से निपटने के लिए राजनीतिक रुख अपनाएं। जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दलों के शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन सौंपकर राज्य में पैलेट बंदूकों पर ‘तत्काल’ प्रतिबंध लगाने की मांग की। उमर के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध किया कि वे कश्मीर घाटी में सभी पक्षों के साथ तुरंत बातचीत शुरू करें। उमर के नेतृत्व वाले शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा- कश्मीर में अशांति से निपटने में लगातार विफल रहने से अलगाव की भावना गहरी होगी। घाटी में पिछले 45 दिन से कर्फ्यू लगा हुआ है। वहां के मौजूदा हालात के मद्देनजर राज्य के सभी विपक्षी दल दलगत सीमाओं से परे जाकर एकजुट हुए हैं और उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया है कि वह राज्य में सभी पक्षों के साथ राजनीतिक वार्ता की शुरुआत करें। उमर के अलावा इस शिष्टमंडल में प्रदेश कांग्रेस का सात सदस्यीय दल और मुख्य विपक्ष नेशनल कांफ्रेंस का आठ सदस्यीय दल शामिल है। यह शिष्टमंडल राष्ट्रीय राजधानी में है और सरकार एवं विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर रहा है। शिष्टमंडल में कांग्रेस दल का नेतृत्व प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख जीए मीर कर रहे हैं।

नई दिल्ली: तुर्की के विदेश मंत्री मौलूद काउसोगलू ने कहा है कि ‘फतहुल्ला टेररिस्ट आर्गनाइजेशन’ (फेटो) ने भारत में ‘घुसपैठ’ कर ली है। पिछले महीने तुर्की में तख्तापलट की नाकाम कोशिश के लिए वहां की सरकार ने फेटो को जिम्मेदार ठहराया है। कावुसोगलू ने इस बात पर जोर दिया कि फेटो ‘गोपनीय अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क’ है जो पूरी दुनिया में मौजूद है। उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण है कि फेटो ने संगठनों और स्कूलों के माध्यम से भारत में घुसपैठ कर ली है।’’ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ बातचीत करने के बाद काउसोगलू ने कहा, ‘‘मैंने पहले इस मुद्दे को अपनी भारतीय समकक्ष के साथ उठाया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन सभी देशों में जहां फेटो की मौजूदगी है, उनसे हम कहते हैं कि वे अपने क्षेत्र से इनको हटाने के लिए तत्काल कदम उठाएं।’’ तुर्की के विदेश मंत्री के बयान पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि भारत तुर्की की चिंताओं को लेकर ‘संवेदनशील’ है और भारतीय सुरक्षा एजेंसियां फेटो से जुड़े उन संगठनों को बंद करने की अंकारा की मांग पर ‘विचार कर रही हैं’ तो गैरकानूनी गतिविधियां चला रहे हैं। भारत और तुर्की के लिए सभी तरह के आतंकवाद से खतरा होने पर जोर देते हुए काउसोगलू ने कहा, ‘‘इन खतरों को लेकर सूचना के आदान-प्रदान और आतंकवाद के खिलाफ द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय सहयोग और एकजुटता महत्वपूर्ण है।’’उन्होंने कहा, ‘‘इसी पर तुर्की और भारत दोनों ध्यान दे रहे हैं।’’

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