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नई दिल्ली: न्यायपालिका और सरकार के बीच गतिरोध जारी रहने के बीच प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने आज कहा कि वह इस बात से निराश हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में न्यायाधीशों की नियुक्ति का कोई उल्लेख नहीं किया। प्रधान न्यायाधीश ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘मैंने लोकप्रिय प्रधानमंत्री को डेढ़ घंटे तक सुना। मुझे अपेक्षा थी कि वह न्याय क्षेत्र और न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में भी कुछ उल्लेख करेंगे।’ इस कार्यक्रम में विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद थे। अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, ‘मैं सिर्फ एक ही बात प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं। आप गरीबी हटाएं, रोजगार का सृजन करें, योजनाएं लाएं लेकिन देशवासियों के लिए न्याय के बारे में भी सोचें।’ प्रधान न्यायाधीश का यह बयान उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले पर कॉलेजियम के फैसले को लागू नहीं करने पर प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के केंद्र को कठोर संदेश देने के बाद आया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वह न्यायाधीशों की नियुक्ति में अड़चन को बर्दाश्त नहीं करेगी और जवाबदेही को तेज करने के लिए हस्तक्षेप करेगी क्योंकि न्याय प्रदान करने की व्यवस्था चरमरा रही है। न्यायमूर्ति ठाकुर ने आज कहा कि अदालतों का काम कई गुना बढ़ गया है। यह न्याय प्रदान करना काफी कठिन बना रहा है। उन्होंने कहा, ‘ब्रिटिश काल के दौरान मामलों पर 10 साल में फैसला हो जाता था।
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नई दिल्ली: आजाद भारत की 70वीं सालगिरह पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले के प्राचीर से बड़ा ऐलान किया। उन्होंने ऐलान किया कि गरीबों के 1 लाख रुपये तक बीमारी का खर्चा सरकार उठाएगी। इसके अलावा उन्होंने पीओके, बलूचिस्तान आदि का जिक्र करते हुए पाकिस्तान को आतंकवाद पर निशाने पर लिया। इसके अलावा उन्होंने देश से वादा किया कि उनकी थाली महंगी नहीं होने देंगे। ग्राम प्रधान हो या प्रधानमंत्री हर किसी को सुराज के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाना होगा। ये सही है देश के सामने समस्याएं अधिक हैं लेकिन ये हम न भूलें कि देश के पास सामर्थ्य भी अधिक है। देश के पास समस्याएं अधिक हैं तो 125 करोड़ मस्तिष्क भी है। एक समय था जब सरकार आक्षेपों से घिरी रहती थी लेकिन हम अपेक्षाओं से घिरी है। आज कार्य की नहीं इस सरकार की कार्य संस्कृति के प्रति देश का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं। आज मैं सिर्फ नीति की नहीं नीयत और निर्णय की भी बात करूंगा। पहले की सरकार में मुद्रास्फीति 10% के पार कर गया था, हमने 6% से ऊपर जाने नहीं दिया। रिजर्व बैंक से हमने बात किया है अभी और असर दिखेगा। दो साल देश में आकाल रहा। सब्जियों के दाम पर असर दिखा, दाल का उत्पादन गिरा, महंगाई बढ़ी। हमने महंगाई को रोकने का भरपूर प्रयास किया है और करता रहूंगा। आपकी थाली को महंगी नहीं होने दूंगा। रिस्पॉन्सिबिलिटी और एकाउंटिबिलिटी सुशासन की जड़ में होना चाहिए।
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नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पिछले चार वर्षों में कुछ अशांत, विघटनकारी और असहिष्णु शक्तियों ने सिर उठाया है और इसने राष्ट्रीय चरित्र के विरुद्ध कमजोर वर्गों पर हमले किए। उन्होंने कहा कि ऐसी शक्तियों से सख्ती से निपटने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि ऐसे तत्वों को निष्क्रिय कर दिया जाएगा और भारत की शानदार विकास गाथा बिना रुकावट आगे बढ़ती रहेगी। राष्ट्रपति मुखर्जी ने रविवार को 70वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, 'महिलाओं और बच्चों को दी गई सुरक्षा और हिफाजत देश और समाज की खुशहाली सुनिश्चित करती है। एक महिला या बच्चे के प्रति हिंसा की प्रत्येक घटना सभ्यता की आत्मा पर घाव कर देती है. यदि हम इस कर्तव्य में विफल रहते हैं तो हम एक सभ्य समाज नहीं कहला सकते।' उन्होंने कहा, 'आजादी के बाद हमारे संस्थापकों द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और भाईचारे के चार स्तंभों पर निर्मित लोकतंत्र के सशक्त ढांचे ने आंतरिक और बाहरी अनेक जोखिम सहन किए हैं और यह मजबूती से आगे बढ़ा है। संसद के अभी सम्पन्न हुए सत्र में निष्पक्षता और श्रेष्ठ परिचर्चाओं के बीच वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक का पारित होना हमारी लोकतांत्रिक परिपक्वता पर गर्व करने के लिए पर्याप्त है।' राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारा संविधान न केवल एक राजनीतिक और विधिक दस्तावेज है, बल्कि एक भावनात्मक, सांस्कृतिक और सामाजिक करार भी है।
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में सामान भेजने के पाकिस्तान के प्रस्ताव को ‘बेतुका’ बताते हुए भारत ने कड़े शब्दों में कहा कि भारत और क्षेत्र के अन्य देश उस देश से आतंकवाद और घुसपैठ समेत ‘ट्रेडमार्क एक्सपोर्ट’ पहले ही बहुत झेल चुके हैं। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय द्वारा जम्मू कश्मीर में सामान की आपूर्ति संबंधी नोट शुक्रवार को मिलने के बाद भारत ने यह कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के इस संदेश को ‘पूरी तरह और साफ शब्दों में’ ठुकरा दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, ‘12 अगस्त को इस्लामाबाद में हमारे उच्चायोग को एक संदेश भेजा गया। मैं इस संदेश की विषय वस्तु के बारे में केवल इतना कह सकता हूं कि भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित सामान आपूर्ति बेतुकी बात है।’ उन्होंने कहा, ‘भारत और क्षेत्र के अन्य देश पहले ही पाकिस्तान के ट्रेडमार्क एक्सपोर्ट अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, सीमा पार से घुसपैठ, हथियार, मादक पदार्थ और जाली मुद्रा पहले ही बहुत पा चुके हैं।’ भारत की प्रतिक्रिया ऐसे दिन आयी है जब पाकिस्तानी बलों ने जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम का उल्लंघन किया है। इससे पूर्व दिन में भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कश्मीर के संबंध में भड़काऊ बयान दिया और कहा कि उनका देश जम्मू-कश्मीर के लोगों को पूर्ण राजनयिक, राजनीतिक और नैतिक समर्थन जारी रखेगा। बासित ने यहां पाकिस्तानी दूतावास में देश के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान ये टिप्पणियां कीं।
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