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वाशिंगटन: काबुल एयरपोर्ट पर हमला करने वाले आतंकियों को मारने के लिए अमेरिकी एयरस्ट्राइक में दस निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी। अमेरिका ने भी इस तथ्य को मान लिया है और उसने इसके लिए माफी मांगी है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में 29 अगस्त को किये गये एक ड्रोन हमले में सात बच्चों सहित 10 निदोर्ष नागरिकों की मौत हो गई और ऐसी कोई आशंका नहीं है कि वे आईएसआईएस-के से जुड़े हुए थे या अमेरिकी सेना के लिए खतरा थे।
अमेरिकी रक्षा सचिव (रक्षा मंत्री) लॉयड ऑस्टिन ने काबुल में हुए ड्रोन हमले के लिए शुक्रवार को माफी मांगी, जिसमें दस लोगों की मौत हो गई थी। ऑस्टिन ने एक बयान में कहा कि मैं ड्रोन हमले में मारे गए लोगों के पीड़ित परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। उन्होंने आगे कहा कि हम क्षमा चाहते हैं और हम इस भयानक गलती से सीखने का प्रयास करेंगे।
वहीं, पेंटागन में जनरल केनेथ मैकेंजी ने कहा कि यह एक गलती थी, और मैं गंभीरतापूर्वक माफी मांगता हूं।
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पेरिस: हिंद-प्रशांत महासागर में चीन का दबदबा कम करने के लिए हाल ही अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने एक करार किया है, जिसे ऑकस कहा जा रहा है। इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से पनडुब्बी बनाने की तकनीक देने का फैसला किया गया है। 15 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने इसकी घोषणा की। वहीं, इस फैसले से फ्रांस बेहद खफा और नाराज हो गया है। फ्रांस ने पनडूब्बी सौदे को लेकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया से अपना राजदूत वापस बुला लिया है। इस समझौते के बाद फ्रांस का ऑस्ट्रेलिया के साथ किया गया अरबों डॉलर का समझौता खत्म हो गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा ऑकस गठन के फैसले पर फ्रांस ने पनडुब्बी सौदे को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की और अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अपने राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला लिया है। पहले फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच डीजल पनडुब्बियों के निर्माण के लिए करीब 100 अरब डॉलर का सौदा हुआ था।
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इस्लामाबाद: दुनिया का ठंडा रुख देखकर पाकिस्तान को अफगानिस्तान के हालात को लेकर चिंता लगातार सताने लगी है। अब पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने कहा है कि अफगानिस्तान को लेकर दुनिया की इंतजार करो और देखो की नीति सही नहीं है। इससे ये देश गहरे आर्थिक संकट में फंस जाएगा। इसके साथ ही यूसुफ ने दुनिया को अलकायदा और आईएस का भी डर दिखाने की कोशिश की।
डॉन में छपी खबर के मुताबिक, मोईद ने कहा कि अगर दुनिया बातचीत में यकीन रखी है तो उन्हें अफगानिस्तान की नई सरकार से बात करनी चाहिए। बिना बातचीत किए वैसा कुछ भी संभव नहीं हो पाएगा जैसा कि दुनिया तालिबान से चाहती है।
पाक एनएसए ने कहा कि अफगानिस्तान को अलग-थलग करने से वह आतंकियों के लिए स्वर्ग बन जाएगा। अफगानिस्तान में पहले से आईएस मौजूद है, पाकिस्तानी तालिबान और अल कायदा भी है। सुरक्षा को लेकर खतरा क्यों मोल लेना चाहिए?
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तालिबान के लिए सहमति बनाने के लिए 'जोरदार बैटिंग' में जुटे हैं ताकि अफगानिस्तान में 'इस्लाामिक अमरीत' की नई कार्यवाहक सरकार को मान्यता मिल सके। तालिबान के अफगानिस्तान पर नियंत्रण के बाद इंटरनेशलन न्यूज आर्गेनाइजेशन से पहली बार बात करते हुए पूर्व क्रिकेटर इमरान ने सीएनएन से कहा कि अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए सबसे अच्छा तरीका तालिबान से जुड़ना और उसे महिलाओं के अधिकार व समावेशी सरकार के लिए प्रेरित करना ही है।
इमरान ने कहा, 'तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है और अगर वे सारे धड़ों के साथ मिलकर समावेशी सरकार की दिशा में काम करते हैं, तो अफगानिस्तान में 40 साल के बाद शांति की बहाली हो सकती है। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है, जिसके बारे में हम सभी चिंतित है तो अराजकता की स्थिति बन सकती है। शरणार्थी समस्या के रूप में बड़ी मुसीबत आ सकती है।' उन्होंने कहा कि यह सोचना गलती है कि कोई बाहर से महिलाओं को अधिकार देगा। अफगान महिलाएं मजबूत हैं, उन्हें समय दीजिए, वे अपने अधिकार हासिल कर लेंगी।'
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