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पेरिस: हिंद-प्रशांत महासागर में चीन का दबदबा कम करने के लिए हाल ही अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने  एक करार किया है, जिसे ऑकस कहा जा रहा है। इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से पनडुब्बी बनाने की तकनीक देने का फैसला किया गया है। 15 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने इसकी घोषणा की। वहीं,  इस फैसले से फ्रांस बेहद खफा और नाराज हो गया है। फ्रांस ने पनडूब्बी सौदे को लेकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया से अपना राजदूत वापस बुला लिया है। इस समझौते के बाद फ्रांस का ऑस्ट्रेलिया के साथ किया गया अरबों डॉलर का समझौता खत्म हो गया है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा ऑकस गठन के फैसले पर फ्रांस ने पनडुब्बी सौदे को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की और अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अपने राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला लिया है। पहले फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच डीजल पनडुब्बियों के निर्माण के लिए करीब 100 अरब डॉलर का सौदा हुआ था। 

लेकिन ऑकस के गठन के बाद पेरिस ने इस करार को खो दिया। बता दें कि ईयू भी इस फैसले से नाराज चल रहा है।

फ्रांस को इस गठबंधन के बारे में जानकारी एलान करने से कुछ कुछ ही घंटों पहले दी गई थी, जिसके बाद फ्रांस ने अपने राजदूतों को वापस बुलाने का निर्णय लिया। फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां ईवरे द्रियां ने बयान जारी कर कहा कि  राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के निर्देश पर राजदूतों को वापस बुलाया गया है। 

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