नई दिल्ली: अफगानिस्तान के उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने अपने नवीनतम साक्षात्कार में सभी किस्म की अफवाहों और दुष्प्रचारों को खारिज किया है और अफवाह फैलाने वालों को अफगानिस्तान और शांति का दुश्मनों करार दिया है। ट्विटर पर शेयर किए गए एक वीडियो क्लिप में बरादर को यह कहते हुए सुना जा सकता है।
इससे पहले भी बरादर ने एक ऑडियो संदेश जारी कर उन अफवाहों पर विराम लगा दिया था, जिसमें उनकी मौत की बात कही गई थी। तब, इस्लामिक एमीरेट्स ऑफ अफगानिस्तान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद नईम के ट्विटर अकाउंट से यह ऑडियो संदेश पोस्ट किया गया था। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद माना जा रहा था कि मुल्ला बरादर तालिबान की नई सरकार में प्रधानमंत्री होंगे। हालांकि बाद में कट्टरपंथी नेता मोहम्मद अखुंद को पीएम चुना गया।
तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि तालिबानी अंतरिम सरकार में आपसी फूट चरम पर है।
उसने बताया कि राष्ट्रपति भवन में तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला गनी बरादर के गुट और एक कैबिनेट सदस्य में जबरदस्त कहासुनी भी हुई है। मुल्ला बरादर भी सार्वजनिक रूप से नहीं दिख रहे हैं। कयास है कि तालिबान में नेतृत्व को लेकर असहमति तेज है।
तालिबान के एक वरिष्ठ सूत्र ने बीबीसी पश्तो से बात करते हुए कहा कि बरादर और खलील उर-रहमान के बीच आपसी कहासुनी हुई है। इसके बाद दोनों नेताओं के समर्थक आपस में भिड़ गए।
जानिए मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का इतिहास
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर उन चार लोगों में से एक है जिन्होंने तालिबान का गठन किया था। वह तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का खास था। 2001 में अमेरिकी हमले के वक्त वो देश का रक्षामंत्री था। 2010 में अमेरिका और पाकिस्तान ने एक ऑपरेशन में बरादर को गिरफ्तार किया था। उस वक्त शांति वार्ता के लिए अफगानिस्तान सरकार ने बरादर की रिहाई की मांग की थी। सितंबर 2013 में उसे रिहा कर दिया गया। 2018 में जब तालिबान ने कतर के दोहा में अपना राजनीतिक दफ्तर खोला तो वहां अमेरिका से शांति वार्ता के लिए जाने वाले लोगों में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर प्रमुख था। उसने हमेशा अमेरिका के साथ बातचीत का समर्थन किया है।